Tuesday, January 21, 2025
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कौथिग मुंबई में नहीं जाएंगे मुख्यमंत्री धामी। आखिर क्यों छलका मुख्यमंत्री धामी का दर्द….!

देहरादून (हि. डिस्कवर)

कौथिग मुंबई बनाम कौथिग मुंबई के खेले में तब नया मोड़ आ गया जब दोनों ही दल प्रतिनिधि एक साथ एक ही समय पर मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी से भेंट करने जा पहुंचे। कौथिग मुंबई के एक दल का नेतृत्व केशर सिंह बिष्ट कर रहे थे जबकि कौथिग मुंबई के दूसरे दल का नेतृत्व मनोज भट्ट कर रहे थे। पूर्व में केशर सिंह बिष्ट व मनोज भट्ट कौथिग मुंबई के क्रमशः अध्यक्ष व महासचिव हुआ करते थे। अब आप कहोगे फिर ये कौथिग बनाम कौथिग क्या बला है?

दरअसल जब कौथिग मुंबई पूरे शबाब पर था तब गढ़वाल व कुमाऊं के प्रवासी मुंबई वासियों का जन सैलाब इस कौथिग में हजारों-हजार की संख्या में उमड़ पड़ता था। मराठा समाज के मध्य उत्तराखंड की यह आवाज अपना बड़ा प्रतिनिधित्व करके मराठा समाज के मध्य अपनी लोकप्रिय छवि के लिए प्रसिद्ध था। क्या फ़िल्मी हस्तियाँ और क्या महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री सब मुंबई कौथिग में उमड़ते थे। लेकिन जाने किसकी नजर लगी यहाँ कौथिग मुंबई गढ़वाल व कुमाऊवाद में दो फाड़ तब हुआ जब कौथिग के अध्यक्ष केशर सिंह बिष्ट पैरालाइज होकर अस्पताल में भर्ती थे। यह असहनीय पीड़ा केशर सिंह बिष्ट जहाँ अस्पताल में झेल रहे थे वहीं मुंबई का उत्तराखंडी समाज भी इस पीड़ा से रूबरु हुआ।

आज मुख्यमंत्री आवास में जब गढ़वाल व कुमाऊ के अलग-अलग धड़े मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी से मिलने पहुंचे तो वह यह अपनी बेबसी व दुःख को सार्वजनिक किये बिना नहीं रह पाये। उन्होंने दुःख जाहिर करते हुए दोनों दलों के प्रतिनिधियों को साथ बैठाया व स्पष्ट किया कि तब तक कौथिग मुंबई के किसी भी कार्यक्रम में नहीं जाएंगे जब तक दोनों एक नहीं हो जाते।

उन्होंने अपना दुःख जाहिर करते हुए कहा कि उन्हें जितना प्यार कुमाऊ की जनता ने दिया है उतना ही अधिक प्यार गढ़वाल की जनता देती आ रही है, केदारनाथ उप चुनाव इसका साक्षी है। उन्होंने कहा कि उत्तराखंड राज्य बनने के बाद गढ़वाल व कुमाऊ की जनता एक जुट एक मुठ होकर राजशाही के दौरान घटित घटनाओं का काला अध्याय अपने दिलोदिमाग से मिटा चुकी है और अब गढ़वाल कुमाऊं में आपसी भाई-चारे के साथ रोटी बेटी के रिश्ते भी बहुत सौहार्दपूर्ण ढंग से होने लगे हैं, फिर ऐसे में अचानक लखनऊ उत्तरायणी भी दो हिस्सों में बंट गई और मुंबई कौथिग का भी वही हाल है। ऐसे में आप ही तय करो की ये मेले त्यौहार बँटने के लिए होते हैं या फिर जुड़ने के लिए!

मुख्यमंत्री धामी ने कौथिग मुंबई के दोनों धड़ों को साथ बैठाकर बातचीत में कहा कि वे इसी कारण लखनऊ उत्तरायणी में नहीं गए और मुंबई कौथिग में भी वे नहीं आयेंगे। आप लोग आपसी मनमुटाव भुलाकर अगले बर्ष फिर विलय कर एकजुट हों व मुंबई के प्रवासी समाज व महाराष्ट्रीयन समाज के मध्य उत्तराखंड की उस छवि के साथ उतरें जिसने महाराष्ट्र की थाती माटी में उत्तराखंडी समाज के गौरव की गाथा लिखी, तब हम पूरे जोश के साथ मुंबई कौथिग के लिए दोगुनी ऊर्जा से जुटेंगे।

उन्होंने स्पष्ट कहा कि उन्होंने अपने कैंप कार्यालय व सचिवालय कार्यालय के कर्मियों के मध्य साफ ऐलान कर रखा है कि यहाँ गढ़वाल कुमाऊवाद की बात करने वाले की बात भी मेरे कानों तक पहुंची तो ठीक नहीं होगा। उन्होंने कौथिग केशर सिंह बिष्ट टीम व कौथिग मनोज भट्ट टीम को आपसी कलह को दूर कर अगले बर्ष एक होकर कौथिग आयोजन करने की सलाह दी। इसका असर यह हुआ कि दोनों टीम मेंबर्स ने ख़ुशी-ख़ुशी मुख्यमंत्री आवास में फोटो खिंचवाई और अपने अपने सोशल पेज पर साझा कर आम समाज तक एक सुखद संदेश पहुंचाने का कार्य किया है। ऐसे में अभी लग तो यही रहा है कि आगामी समय में कौथिग बनाम कौथिग एक प्लेटफार्म कौथिग मुंबई फिर एक साथ दिखने को मिलेगी व समाज में बेवजह पड़ी ग व क की आपदाई दरार पुन: भरकर मजबूती के साथ उत्तराखंडी प्रवासी समाज के बीच दिखेगी।

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35 बर्षों से पत्रकारिता के प्रिंट, इलेक्ट्रॉनिक व सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर सामाजिक, आर्थिक, राजनैतिक, धार्मिक, पर्यटन, धर्म-संस्कृति सहित तमाम उन मुद्दों को बेबाकी से उठाना जो विश्व भर में लोक समाज, लोक संस्कृति व आम जनमानस के लिए लाभप्रद हो व हर उस सकारात्मक पहलु की बात करना जो सर्व जन सुखाय: सर्व जन हिताय हो.
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