Wednesday, May 14, 2025
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मुख्यमंत्री धामी ने ली मौसमी मिठास..! एक घण्टे के अंतराल में दो ट्वीट आम जनता के बीच हुए तेजी से वायरल।

◆ मुख्यमंत्री पुष्कर धामी ने पकड़ी वह राह जो जनता के हृदय तक पहुंचे। सीजनल फल लींची व कुल्हड़ पर किया ट्वीट। 

(मनोज इष्टवाल)

राजनीति व राजनेता का एक ही धर्म होता है कि वह जो भी करे वह सामाजिक गलियों से होकर निकलें व खोमचे-चौपालों में चाय की चुस्कियों में चर्चा का बिषय बने। आज अपनी सोशल साइट पर उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के दो ट्वीट आम जन के बीच चर्चा का बिषय रहे। फल बेचने वाले कहते सुने गए कि अरे साहब इस सीजन में ना खाओगो लींची तो कब खाओगे। ईब की तो मुख्यमंत्री भी देहरादून की लींची के मुरीद हो गए। अब भाव ताव तो करो ना जी, देखो लेना है तो ₹150 किलो पड़ेगा। इससे एक रति नीचे ना है। यो देखो बागीचे से अभी अभी तोड़े हैं। यकीन ना आये तो ये रिया बागीचा लींची का मिलान कर लो। गारंटी की मीठी हैं। ग्राहक- और मीठी न हुई तो? दांत निपोरकर..अरे साहिब झक्क ना करो, देखियो मीठी ना हुई तो मुख्यमंत्री से पूछ लियो।

कुम्हार के पास ग्राहक अरे ये घड़ा कैसे दिया। कुम्हार – साहेब ना ही पूछो। आज तो हद ही हुई..लोग घड़ा खूब ले जा रहे हैं। कुछ खास बात है का? ग्राहक- अरे फ्रीज का पानी गला पकड़ रहा है इसलिए ..! लो साहब, हम तो हमेशा ही बोलते फिरते हैं। फ्रीज का पानी तो हड्डियां गला देता है। हां.. मेरे पास तो यो बटन वाला मोबाइल है। आपके पास तो वो वाला मोबाइल होगा जिसमें फोटू दीखती है। सुना है आज मुख्यमंत्री व उनके अधिकारी कुल्हड़ में चाय पी रहे थे। अभी अभी एक साहब ने फोटो दिखाई।

ये दोनों ही घटनाएं और किसी ग्राहक के साथ नहीं बल्कि मेरे साथ घटित हुई तब मैं भौंचक रह गया और जाना कि सोशल मीडिया की ताकत देखिए फोटो वायरल हुई हमें पता तक न चला और उसकी जानकारी बिल्कुल दबे कुचले तबके के काश्तकारों तक पहुंच गई।

खबर लिखे जाने से लगभग 06 घण्टे पहले मुख्यमंत्री ने कुल्हड़ की चाय /लस्सी की चुस्की लेते खबर साझा करते हुए ट्वीट किया था कि  ”

समृद्ध एवं प्राचीन हस्तकला कलाओं में से एक “कुम्हारी कला” को पुनर्जीवित करने के उद्देश्य से आज सचिवालय में अधिकारियों की बैठक ली और इस हस्तकला को प्रदेश में बढ़ावा देने हेतु मिट्टी के गिलासों में चाय पीकर पहल की।

अधिकारियों को कुम्हारों को नि:शुल्क मिट्टी उपलब्ध कराने की व्यवस्था तथा पोर्टल बनाने के साथ ही इस कला को सीएम स्वरोजगार योजना से जोड़ने के निर्देश भी दिए हैं।”

वहीं उन्होंने अब से 05 घण्टे पूर्व लींची के बाग में खड़े होकर लींची के गुच्छे को हाथ में पकड़कर लिखा कि:-

“शाश्वतम्, प्रकृति-मानव-सङ्गतम्,
सङ्गतं खलु शाश्वतम् ।

प्रकृति एक मां की तरह हमारा पालन करती है और इस से प्राप्त होने वाली हर वस्तु हमारे लिए ईश्वर के प्रसाद के समान है। आज यही प्रसाद मुख्यमंत्री आवास में लगे लीची के पेड़ों से प्राप्त हुआ।

हमारा परम दायित्व है कि हम हर स्तर पर प्रकृति का संरक्षण करें और इसके संवर्धन के लिए सदैव प्रयासरत रहें।”

यहां कुछ समानताएं मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी की पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत से मिलती जुलती दिखाई देती हैं। शायद यही कारण है कि उनकी लोकप्रियता जनता के बीच काफ़ी हद तक एक सी है। भले ही जनता ने पार्टी बेस पर कांग्रेस को नकार दिया हो लेकिन जहां हरीश रावत खड़े हो जाते हैं वहां उनके आस पास  मजमा लग जाता है। अब चम्पावत का चुनाव ही देखिए हरीश रावत काफल खीरा बांटते दिखाई दिए तो पुष्कर सिंह धामी खोमचे पर खड़े होकर चोले समोसे खाते खिलाते व उत्तर प्रदेश के मुखिया योगी आदित्यनाथ को काफल की टोकरी भेंट करते भी दिखे। चुनाव दोनों ही पार्टियां लड़ी लेकिन एक जानती थी कि वे हर हाल में हार रहे हैं इसलिए उन्होंने पहले ही हथियार डाल दिये, और एक जानती थी कि हम जीत रहे हैं लेकिन जीतने के प्रयास अंतिम क्षण तक पूरे जोश खरोस के साथ करेंगे।

कुल्हड़ में चाय पीने के पीछे मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी का एक ही मकसद था कि इस बहाने “कुम्हारी कला” को बढ़ावा मिलेगा इसीलिए आज अधिकारियों के साथ बैठक में कुल्हड़ में चाय पी ताकि समाज में अच्छा संदेश जा सके मुख्यमंत्री ने विलुप्त होती जा रही इस कुम्हारी कला को बढ़ावा देने के लिए सरकार कदम उठा रही है।

इस दौरान मुख्यमंत्री ने कहा कि कुम्हारी हस्तकला को बढ़ावा देने के लिए एक पोर्टल बनाया जाए। इस विद्या से जुड़े लोगों के सुझावों को ध्यान में रखते हुए, उन्हें हर सम्भव मदद दी जाए।

बैठक में अपर मुख्य सचिव श्रीमती राधा रतूड़ी, सचिव बीवीआरसी पुरूषोत्तम, डॉ. पंकज कुमार पाण्डेय, महानिदेशक उद्योग रणवीर सिंह चौहान, अपर सचिव आनन्द श्रीवास्तव, निदेशक उद्योग सुधीर चन्द्र नौटियाल, माटी कला बोर्ड के उपाध्यक्ष  शोभाराम प्रजापति उपस्थित थे। काफी सराहनीय है।

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35 बर्षों से पत्रकारिता के प्रिंट, इलेक्ट्रॉनिक व सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर सामाजिक, आर्थिक, राजनैतिक, धार्मिक, पर्यटन, धर्म-संस्कृति सहित तमाम उन मुद्दों को बेबाकी से उठाना जो विश्व भर में लोक समाज, लोक संस्कृति व आम जनमानस के लिए लाभप्रद हो व हर उस सकारात्मक पहलु की बात करना जो सर्व जन सुखाय: सर्व जन हिताय हो.
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