Friday, November 22, 2024
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केदारनाथ के नाराज पंडा-पुरोहित समाज को मनाने में आखिर कामयाब रहे मुख्यमंत्री धामी व उनके मंत्री।

(मनोज इष्टवाल)

देवस्थानम बोर्ड के गठन के बाद लगातार इसका विरोध दर्ज करवाने वाले पंडा-पुरोहित समाज ऐन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के केदारनाथ दौरे से पूर्व ही भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष मदन कौशिक, काबीना मंत्री डॉ धन सिंह रावत व पूर्व मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत पर इतने बिफर पड़े कि उन्होंने पूर्व मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत को केदारनाथ मंदिर में प्रवेश तक नहीं करने दिया, और हंगामेदार ऐसे-ऐसे नारे तक लगाए जो सचमुच अशोभनीय कहे जा सकते हैं। इसका सोशल मीडिया में लोगों द्वारा विरोध भी दर्ज हुआ कि क्या पंडा-पुरोहित समाज को यह अधिकार है कि वे किसी को भी भगवान के मंदिर में प्रवेश करने से रोक सकते हैं? हां… विरोध दर्ज करना लोकतंत्र में सभी नागरिकों का जन्मसिद्ध अधिकार है।

बहरहाल विगत 31 अक्टूबर को घटी इस अप्रत्यक्षित घटना ने पूरे प्रदेश ही नहीं बल्कि पूरे देश की राजनीति में हलचल पैदा कर दी। आनन फानन मौके की नजाकत समझते हुए प्रदेश की राजनीति के चाणक्य कहे जाने वाले कांग्रेस के वरिष्ठ नेता व उत्तराखंड के पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत विगत दिवस पंजाब के मुख्यमंत्री चरणजीत सिंह चन्नी व पंजाब कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष नवजोत सिंह सिद्धू के साथ केदारनाथ जा पहुंचे।

दूसरी ओर भाजपा संगठन व संघ के लिए यह प्रकरण किसी सदमें से कम नहीं था क्योंकि आगामी 5 नवम्बर को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का केदारनाथ दौरा अहम समझा जा रहा है और हो न हो वह उत्तराखंड सहित उत्त प्रदेश के विधान सभा चुनाव का शंखनाद बाबा केदार के दर्शन कर ही करने वाले हों। ऐसे में पंडा-पुरोहित समाज को मनाने के लिए राजनीति के क्षत्रप कहे जाने वाले डॉ हरक सिंह रावत व सुबोध उनियाल के साथ मुख्यमंत्री स्वयं केदारनाथ जा पहुंचे। यों तो सुबोध उनियाल पूर्व ही पहुंचकर पंडा-पुरोहित समाज के नब्ज टटोल चुके थे। इसलिए हल्का सा विरोध दर्ज होने के बावजूद आखिरकार मुख्यमंत्री व उनकी टीम पंडा-पुरोहित समाज को मनाने में कामयाब रही।

क्या बोले मुख्यमंत्री

मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने श्री केदारनाथ धाम पहुंच कर बाबा केदारनाथ जी के दर्शन किये। मुख्यमंत्री ने केदारनाथ पुनर्निर्माण कार्यों का भी निरीक्षण किया। 5 नवम्बर को प्रधानमन्त्री नरेंद्र मोदी के केदारनाथ आगमन के लिए की जा रही तैयारियों का भी जायजा लिया।

मुख्यमंत्री ने तीर्थ पुरोहितों और पंडा समाज के प्रतिनिधियों से भी वार्ता की। सौहार्दपूर्ण बातचीत में मुख्यमंत्री ने कहा कि हमारी सरकार जन भावनाओं का सम्मान करने वाली सरकार है। तीर्थों के पंडा, पुरोहित और पुजारियों के मान सम्मान को कोई ठेस नहीं पहुंचाई जायेगी। हम सकारात्मक, धनात्मक और विकासात्मक दृष्टिकोण से चारधाम, पंडा, पुरोहित और पुजारी समाज के सम्मान तथा धार्मिक आस्था की गरिमा के सम्मान के लिए तत्पर हैं।

इस अवसर पर मुख्यमंत्री ने मीडिया से अनौपचारिक बातचीत करते हुए कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की बाबा केदार के प्रति विशेष आस्था और श्रद्धा है। उनका उत्तराखण्ड को दुनिया की आध्यात्मिक और सांस्कृतिक राजधानी के तौर पर विकसित करने का विजन है। पूरी दुनिया के लोग यहां आध्यात्मिक शांति के लिए आएंगे। आधुनिक इतिहास में पहली बार इतने बङे पैमाने पर केदारनाथ धाम का पुनर्निर्माण किया जा रहा है। पहले चरण के काम हो चुके हैं। दूसरे चरण के काम शुरू हो रहे हैं। आदि गुरू शंकराचार्य जी की समाधि का लोकार्पण करने के साथ ही उनकी प्रतिमा का भी अनावरण किया जाएगा।

सूत्रों ने बताया कि नाराज पंडा पुरोहित समाज को मनाने में काबीना मंत्री डॉ हरक सिंह रावत व सुबोध उनियाल ने अहम भूमिका निभाई है।

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