(मनोज इष्टवाल)
“क्य छैs तू बल छमना पातर सी होई” या फिर लोली छमना पातर या लोळी दुत्ति छमना पातर…!” आज भी समाज के बीच माँ-बहनें स्वयं उन बाचाल बेटियों को उलाहने देती नजर आती हैं जो अति-उत्सुकता के साथ स्वच्छन्द भाव से जीवन यापन करना पसंद करती हैं! सिर्फ माँ-बहनें ही नहीं बल्कि आपस में एक लड़की दूसरी लड़की को यह बोलती नजर आती है! यह सब बचपन से सुनते आयें हैं लेकिन एक भी नहीं बता पाया कि आखिर यह छमुना पातर थी कौन? इतिहास कुरेदते-कुरेदते जिन्दगी की आधी उम्र निकल गयी और तब जाकर इस गूढ़ रहस्य का मालुम हुआ जब यह छमुना पातर नामक नाम अब लोक संस्कृति के बोलों में धूमिल सा होने लग गया है क्योंकि अब समाजिक परिवेश के बदलाव में महिलाओं में भी कई सामाजिक परिवर्तन आये हैं व उन्हें क़ानून ने भी मजबूती प्रदान की है!
(फोटो-काल्पनिक)
छमुना पातर कुमाऊं में भी उतना ही लोकप्रिय नाम है जितना गढ़वाल में…! यह तो नहीं जानता लेकिन अब इतिहास की जानकारी से साफ़ विधित हो गया है कि यह एक गजब की नृत्यांगना, अद्भुत खूबसूरत, शानदार गले की धनि व राज घरानों में विचरण करने वाली एक ऐसी शख्सियत थी जिसकी जासूसी के बल पर कई गढ़ियाँ तबाह हुई, कई राज्यों का नक्शा बदला व बदले में वह सबसे ईनाम पाती रही! और तो और इसके नाजायज पुत्र बिजुला नैक ने तो राजा धामदेव से उनकी राणी का ही हाथ मांग लिया! यह वही पातर हुई जिसने राजुला-मालूशाही की पटकथा लिखकर दो राज्यों में युद्ध करवाया!
उत्तराखंड के जागरों और तंत्र साधना में भी छमना पातर का स्मरण होता है …….अथा सुमैण विधयाँण लिखिते . ॐ नमो निलम द्यौ सुकिली सभा बोल्दी काली झालीमाली देवी . गोरिखाडा खेत्रपाल बेतालमुखी छुरी: खेगदास झाळीमाली देवी सुजस जैपाल ब्रना महरि : लेंडा महरि कुव महरि छमना पातर गुरु बेग्दास झालीमाली देवी तन का (संकलित) … ! यह भी प्रचलित है कि बिजुला नेक और उसकी माँ छमना पातर ‘नर्तकी’ नित्यप्रति दुलाशाह के खैरागढ की मैंलचौंरी में हुड़कयों के साथ कार्यक्रम प्रस्तुत किया करती थी, ऐसा भी उल्लेख आता है।(जनश्रुति) लोकगीतों में भी “डीडीहाट की छमना छ्योरी… लोकगीत पर लोग झूमते हैं उत्तराखंड में छमना नाम से स्थान अभिधान भी हैं. छमना पातर के बारे में आपकी जानकारी एटकिंसन पर आधारित हैं . छमना पातर का उल्लेख नेपाल के लोक साहित्य में भी. छमना ओड़िया लोकसाहित्य में भी है.
कटार से तीखे नैन नक्श सुराई सी कमर, खूबसूरती ऐसी की जो देखे वह देखता रह जाय! आवाज में ऐसी खनक कि जो सुने कानों में मिश्री घोल दे! और नृत्य ….! जो ठुमके लगाए तो मानों इंद्र की सभा से उनकी अप्सरा आ पहुंची हो! छमना पात्तर न सिर्फ कुमाऊं बल्कि गढ़वाल हिमाचल व तराई के राजाओं के बीच उस दौर की सबसे प्रसिद्ध नृत्यांगना थी जिसका नृत्य देखने के लिए बड़ी बड़ी महफ़िलें सजती थी!
डॉ रणवीर सिंह चौहान/हरीश खँखरियाल द्वारा छमुना पातर के बारे में प्रदत्त जानकारी:-
छमुना पातर कत्यूरी नरेश धाम देव की नृत्यांगना थी यह चौकोट के सैलून का नैखाणा गाँव की बताई गई है! छमुना का पति हमेरू नायक था! छमुना के पुत्र बिजुला सुजल गुजराती मधु नायक थे ! छमुनादेवी पातर, हमेरू की हुडकी की थाप पर बाद में अपने पुत्र बिजुला की हुडकी में नाचती थी! गाथाओं के अनुसार वह #विरमदेब, #धामदेव #मालूशाह तथा शक देश जाकर शौका के सौकाण राज्य में जाकर नृत्य करके लुभाती थी! छमना के कंठो से निकले स्वर और नृत्य देश देशान्तर मे डंका बज रहा था प्रत्येक राजा ऐसी नृत्यांगना का नृत्य अपने दरबार की शान समझता था! कहा जाता है बिरमदेव अपनी आशक्ति को ना रोक सका स्वंभावतः बिरमदेव का अवैध सम्बध छमुना सा हो गया जिससे बिजुला नैक (नायक) को उत्पन्न मानते हैं! धाम देव सागर ताल गढ़ विजय अभियान पर गया! उस युद्ध में बिजुला नायक भी साथ गया उस युद्ध में धाम देव ने समुआ या बिछुआ को परास्त कर गिरा देता है! जिन्हें कटार से बिजुला उसे मार देता है! बिजुला नायक की इस वीरता से छमुना का राज दरबार में सम्बध बन गया! धाम देव वृद्ध हो गये थे, उनकी युवा रानी कामसिणा का दिल बिजुला नैक पर आ गया था! रानी ने संगीत सम्राट बिजुला नैक से कहा तुम राजा से पुरस्कार में मुझे मांगना! बिजुला ने कहा -रानी मैं तुम्हारा दास हूँ, ऐसा सोचना भी पाप है! परंतु रानी का कामसिणा प्रेम अग्नि मे जल रही थी! उसने कहा तुमने मेरी बात नही मानी तो मैं कहुगी कि तुमने मेरी इज्जत लुटने की कोशिश की है! बिजुला धर्म संकट में फंस गया! दूसरे दिन राज सभा में पुरस्कार मिलने थे! राजा ने कहा- बिजुला में तुम हमारे राज्य की अनमोल निधि हो! आज जो चाहोगे वह मिलेगा! राजा धामदेव वचन के पक्के थे! छमुना ने बिजुला से कहा- राजा से #पालीपछाओं की या #चौकोट की जागीर मांग ले, परंतु बिजुला ने रानी कामसीणा को झरोंके से देखा और राजा की कटार से डरते हुए उसने कामसीणा रानी को माँग लिया! यह सुनकर राजा धामदेव का तलवार पर हाथ चला गया, परंतु छमुना पातर ने राजा को कत्यूरी राजाओं की वचन की मर्यादा का इतिहास दोहराया! राजा ने वचन का पालन किया इससे छमुना विशेष राजदूति बनी! धाम देव की मृत्यु के बाद छमुना मालुशाह की राजधानी बैराठ चली गई! छमुना ने मालुशाह को बताया उसके राज्य के उतरी भाग में शक्तिशाली राजा सोनपाल की कन्या अति सुंदर है! राजुला यदि उस से विवाह करके सम्बध स्थापित होंगे उसका राज्य भी मिल जायेगा! उसका पुत्र नही है और पैदा होते ही तुम्हारी मंगनी हो गई थी! छमुना ने मालुशाह के हृदय में प्रेम अग्नि जला दी! मालूशाह ने उसे सोनपाल के दरबार में भेजा! छमुना ने सुरीले कंठ और मनमोहक नृत्य से सोनपाल को साध दिया! छमुना कई दिनों से उनके दरबार की शोभा बनकर रहने लगी! अवसर पाते ही राजुला के मन में मालूशाह के प्रति प्रेमाग्नी जागृत कर एक नई गाथा को जन्म दिया! आज भी कत्यूरी जागरो में उषेल मंत्रों में छमुना का जिक्र आता है! छमुना महान नर्तकी के साथ-साथ एक राजनीतिक दूती थी, कई राजवंश उसकी कोठारी नजरों की कटार से बने और बिगड़े! राजूला हरण का युद्ध छमुना की कुटनीतिज्ञता थी!
ऐसे ही बहुत से किस्से कहानियां व इतिहास के अंश कुमाऊं के अल्मोड़ा राजदरबार की मिटती विरासत के साथ मिटते चले गए, जिसके नक़्शे के ब्रिटिश एम्पायर ने जड से ही समाप्त कर दिया! कवि गुमानी ने ब्रिटिश काल में अल्मोड़ा के बदलते परिवेश को अपने शब्दों में कुछ यों वर्णित किया:-
बिष्णु को देवाल उखाड़ा, ऊपर बँगला बना खरा! महाराज का महल ढवाया, बेड़ीखाना तहां धरा!
मल्ले महल उड़ाई नंदा, बंगलों से भी तहां भरा! अंग्रेजों ने अल्मोड़े का नक्शा और ही और करा!!