Saturday, July 27, 2024
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बीटल्स यानि गोबर के कीड़े (म्वळकीड़ा)। जिन्होंने आदिगुरु शंकराचार्य की चौरासी कुटिया ध्यान केंद्र को बना डाला बीटल्स आश्रम।

बीटल्स यानि गोबर के कीड़े (म्वळकीड़ा)। जिन्होंने आदिगुरु शंकराचार्य की चौरासी कुटिया ध्यान केंद्र को बना डाला बीटल्स आश्रम।

(मनोज इष्टवाल)

सचमुच सनातन हिन्दू परम्पराओं को गर्त में डालने का काम किसी बाहरी व्यक्ति ने नहीं किया बल्कि स्वभाव से बीटल्स अर्थ गोबर के कीड़े जिन्हें उत्तराखंड के पौड़ी गढ़वाल के यमकेश्वर क्षेत्र में ही नहीं बल्कि समस्त उत्तराखंड में म्वळ कीड़ा के नाम से जाना जाता है व जिनका भोजन ही मल, सडी हुई लकड़ी, सडे फलों के रस, पेडों का रस, बदबूदार पानी इत्यादि होता है और जो लकड़ी व अन्य वनस्पति की जड़ों को काट-काटकर नष्ट कर देते हैं, उन्हीं में से ऐसे कई भारत में जन्मे सनातन हिन्दू घरों की संततियाँ हैं जो इन्हीं गोबर के कीड़ों के मानिंद हिन्दू सनातन परम्पराओं को चाट खाने वाले हुए।

इन्हीं बीटल्स के नाम से 1960 के दौर में एक महर्षि ने चौरासी कुटिया क्षेत्र को बीटल्स आश्रम में तब्दील कर दिया, जिसे इस से पूर्व सन 1968 तक शंकराचार्य ध्यान केंद्र व शंकराचार्य नगर के नाम से जाना जाता था। जहाँ कभी ॐ शब्द के जाप में धरा पवित्र होती थी वहीं सेक्स, ड्रग्स और पॉप संगीत के मिश्रण ने सम्पूर्ण धर्म नगरी को सनातन से 60 के दशक के उत्तरार्ध में आध्यात्मिक प्रशिक्षक महर्षि महेश योगी (“सेक्सी सैडी” गीत में अमर) के तहत चार-टुकड़े वाले बैंड ने ट्रान्सेंडैंटल मेडिटेशन का अभ्यास करने के बाद आश्रम को प्रचारित -प्रसारित करना शुरू कर दिया।

पहले बीटल्स आश्रम का नाम चौरासी कुटिया आश्रम था। बहुत समय पहले आकर्षक बीटल्स बैंड के सदस्यों ने इस स्थान पर अपना दौरा किया था। महर्षि महेश योगी इस स्थान के संस्थापक थे। फरवरी 1968 में, अंग्रेजी रॉक बैंड बीटल्स ने महर्षि महेश योगी के साथ ट्रान्सेंडैंटल मेडिटेशन का अध्ययन करने के लिए भारत में ऋषिकेश की यात्रा शुरू की।

उत्तराखंड के ऋषिकेश को पूर्व में “सागों की जगह” के नाम से भी जाना जाता है, चंद्रभागा और गंगा के संगम पर हरिद्वार से 24 किलोमीटर की ऊंचाई पर स्थित एक आध्यात्मिक शहर माना जाता है, जहाँ देश दुनिया की विभिन्न संस्कृतियों के लोग ध्यान, योग व गंगा के दर्शन हेतु आते हैं।

बीटल्स के मूल ड्रमर, पीटर रैंडोल्फ बेस्ट का जन्म 24 नवंबर 1941 को मद्रास, भारत में हुआ था और वे लिवरपूल में पले-बढ़े। उनके पिता, जॉन बेस्ट, लिवरपूल खेल प्रमोटरों के परिवार से थे। उनकी मां मोना का जन्म दिल्ली में हुआ था और वह एक ब्रिटिश सेना अधिकारी की बेटी थीं।

बीटल्स को महर्षि ने पारलौकिक ध्यान का अभ्यास करने के लिए ऋषिकेश में अपने आश्रम में समय बिताने के लिए आमंत्रित किया था और वे भारतीय संगीत के बारे में जानने व सीखने में भी रुचि रखते थे। शायद उनका यही प्रेम उन्हें चौरासी कुटी ले आया। शुरुआत में यह सब उनके लिए नया था लेकिन अंततः चीजें बिगड़ गईं। क्योंकि यहाँ की धर्म संस्कृति व पाश्चात्य धर्म संस्कृति में ज़मीन आसमान का अंतर था। इसलिए इनके दो पॉप गायक रिंगो स्टार लगभग दस दिनों में चले गए और पॉल मेकार्टनी एक महीने बाद चले गए।

टीम सदस्य लेनन ने आश्रम छोड़ने के बाद अपने देश जाकर एक पत्रिका में महर्षि पर तल्ख़ टिप्पणी करते हुए लिखा है कि 1968 में भारत के ऋषिकेश में महर्षि के आश्रम का दौरा हुआ , जो एक प्रमुख मीडिया कार्यक्रम बन गया। बीटल्स न केवल ध्यान के माध्यम से आध्यात्मिक जागृति के लिए भारत गए, बल्कि यह यात्रा उनकी सबसे रचनात्मक अवधियों में से एक साबित हुई – उन्होंने कथित तौर पर 48 गाने लिखे, जिनमें से अधिकांश व्हाइट एल्बम पर समाप्त हुए, जो उस वर्ष के अंत में रिलीज़ हुआ । हालाँकि, महर्षि के खिलाफ यौन दुर्व्यवहार के आरोपों के बाद बैंड की आश्रम में तीन महीने की योजना को कम कर दिया गया था। “हमने वहां गलती की,” लेनन ने बाद में कहा, जैसा कि द बीटल्स एंथोलॉजी में उद्धृत किया गया है । “हम ध्यान में विश्वास करते हैं, लेकिन महर्षि और उनके दृश्य में नहीं। … हमने सोचा कि वह जो था उसके अलावा कुछ और था।”

दीपक चोपड़ा एक डाक्टर और लेखक हैं। उन्होंने आध्यात्म पर कई पुस्तकें लिखी हैं जिन्हें लोगों ने काफी पसंद किया है। वे कहते हैं कि वो कृष्णमूर्ति से काफी प्रभावित हैं। उन्हें वेदान्त और भगवद्गीता से भी प्रेरणा मिलती है। दीपक चोपड़ा, जोकि उस दौरान आश्रम में उपलब्ध नहीं थे लेकिन बाद में महर्षि महेश योगी के शिष्य और हैरिसन के मित्र बन गए, ने 2006 में कहा कि महर्षि बीटल्स से नाराज थे क्योंकि वे आश्रम में एलएसडी सहित ड्रग्स ले रहे थे। दूसरी ओर बीटल्स ने महर्षि पर खुले आरोप लगाते हुए कहा था कि उनका उद्देश्य पॉप और भारतीय संगीत को मिश्रित कर उसे विश्व फलक पर शोभायमान करने का था लेकिन महर्षि का उद्देश्य कुछ और ही था।

बीटल्स पर ड्रग्स लेने व सेक्स प्रचारित करने के भी आरोप लगे जिससे उस दौर में ऋषिकेश व यमकेश्वर ही नहीं बल्कि काफी मात्रा में देवभूमि की जनता में उनकी व महर्षि की कारगुजारियों का बेहद आक्रोश था जिसके फलस्वरूप 1970 के दशक में किसी समय बीटल्स ने चुपचाप चौरासी कुटिया आश्रम व ऋषिकेश को छोड़ दिया गया था। तीन दशकों से अधिक समय तक इस आश्रम की किसी ने कोई सुध नहीं ली, अगर यूँ कहें कि इस आश्रम को यूँही सड़ने के लिए छोड़ दिया गया था तो सही रहेगा। इसके कारण कई इमारतें नष्ट हो गईं।  2003 में, स्थानीय वन विभाग ने इस स्थल को अपने कब्जे में ले लिया और फिर 2015 में इस आश्रम को एक पर्यटक आकर्षण के रूप में फिर से खोल दिया गया।

बताया जाता है कि वर्ष 1968 में फरवरी से अप्रैल के बीच अनेक बीटल्स कंसेंर्ट 84 कुटिया क्षेत्र में आयोजित किये गए थे , किन्तु 1990 से यह क्षेत्र पूरी तरह से बेगाना हो गया, और आखिरकार 2003 में महेश योगी को लीज़ पर दी गई इस जमीन को पुनः वन महकमे ने वापस ले लिया।

उत्तराखंड सरकार के पर्यटन मंत्री सतपाल महाराज द्वारा दिसम्बर 2020 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को लिखे पत्र में कहा गया था कि – “राजा जी उद्यान के अंतर्गत स्थित चौरासी कुटिया वर्तमान में वन विभाग के अधीन है जो रख रखाव के अभाव में जीर्ण-शीर्ण हो गई है।इसलिए मेरा अनुरोध है कि इसके रखरखाव की जिम्मेदारी उत्तराखंड पर्यटन विकास को सौंपी जाए, ताकि इसे अंतरराष्ट्रीय गंतव्य के रूप में विकसित कर विश्व धरोहर में सम्मिलित किया जा सके।”

अब इस मुहिम को आगे बढ़ाने का बीड़ा पौड़ी गढ़वाल के जिलाधिकारी आशीष चौहान ने उठाया है। बीटल्स आश्रम कहें या चौरासी कुटिया या फिर शंकराचार्य नगर… लेकिन जिलाधिकारी आशीष चौहान ने 54 वर्ष पूर्व 84 कुटिया में आयोजित बीटल्स संगीत विधा को पुनर्जीवित करने हेतु एक आयोजन करने का फैसला लिया है। इसीलिए आगामी 27 से 29 अक्टूबर तक इस आश्रम में योग, ध्यान व अध्यात्म नगरी के रूप में विश्व प्रसिद्ध ऋषिकेश से गंगा पार पौड़ी गढ़वाल जनपद की यमकेश्वर तहसील के नगर पंचायत जोंक के निकट कभी महर्षि योगी की अंतर्राष्ट्रीय योग केंद्र के रूप में संचालित होने वाली 84 कुटिया में ध्यान, योग आयोजन किये जाने की प्रबल संभावना है होगा। जिसमें विश्व भर से योग साधकों के पहुँचने की प्रबल संभावना है।

हम सभी यह बात भले से जानते हैं कि भारत के लिए बीटल्स आधुनिक संस्कृति के प्रतीक थे और भारत ने इनमें से कुछ को आत्मसात किया। लेकिन ये सबसे प्रसिद्ध पॉप सितारे भी थे जिन्होंने खुद को सांस्कृतिक प्रतीक के रूप में फिर से स्थापित किया और भारत ने इसमें खूबसूरती से भूमिका निभाई। फिर भी प्रश्न यह अवश्य उठता है कि पाश्चात्य संगीत की वानगी में ध्यान, योग के मध्य महर्षि व बीटल्स पर लगे ड्रग्स व सेक्सुअल आरोपों की सत्यता परखे बगैर क्या यह चौरासी कुटिया फिर भी गोबर के कीड़े अर्थात बीटल्स आश्रम के रूप में जानी जाएगी या बीटल्स में हिन्दू सनातन परम्पराओं के संचार के साथ पाश्चात्य व भारतीय संगीत के घालमेल में कुछ नया इतिहास दोहराया जायेगा?

बहरहाल अब चौरासी कुटिया अर्थात बीटल्स आश्रम घूमना बेहद सरल हो गया है क्योंकि चौरासी कुटिया नाममात्र प्रवेश शुल्क के साथ प्रतिदिन सुबह 9 बजे से शाम 4 बजे तक खुली रहती है। यह राजाजी टाइगर रिजर्व क्षेत्र के अंदर है और वन विभाग के अधीन है।

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35 बर्षों से पत्रकारिता के प्रिंट, इलेक्ट्रॉनिक व सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर सामाजिक, आर्थिक, राजनैतिक, धार्मिक, पर्यटन, धर्म-संस्कृति सहित तमाम उन मुद्दों को बेबाकी से उठाना जो विश्व भर में लोक समाज, लोक संस्कृति व आम जनमानस के लिए लाभप्रद हो व हर उस सकारात्मक पहलु की बात करना जो सर्व जन सुखाय: सर्व जन हिताय हो.
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