बलूचिस्तान ने बलूचिस्तान पर एससीओ संयुक्त वक्तव्य पर हस्ताक्षर करने से इनकार करने और पहलगाम आतंकवादी हमले को नकारने के लिए भारत की सराहना की।
बलूचिस्तान गणराज्य, 26 जून, 2025 (हि. डिस्कवर)
चीन के शंघाई में आयोजित एस सी ओ की बैठक में भारत के रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह द्वारा शंघाई सहयोग संगठन (एससीओ) शिखर सम्मेलन में मसौदा प्रस्ताव पर हस्ताक्षर करने से इंकार करने पर बलूचिस्तान गणराज्य ने जहाँ एक ओर रक्षा मंत्री की खुलकर प्रशंसा की है, वहीं दूसरी ओर देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी व विदेश मंबलूचिस्तान ने बलूचिस्तान पर एससीओ संयुक्त वक्तव्य पर त्री एस जयशंकर और भारत के प्रति अपनी कृतज्ञता प्रकट की है।
भारत को लिखे अपने पत्र में बलूच नेता ने लिखा है कि- “बलूचिस्तान के लोग शंघाई सहयोग संगठन (एससीओ) द्वारा बलूचिस्तान की स्वतंत्रता के लिए वैध और उचित प्रयास को स्वीकार न करने और पाकिस्तान के अवैध कब्जे को अनदेखा करने को कूटनीतिक कपट और अंतर्राष्ट्रीय अखंडता के उल्लंघन के रूप में देखते हैं।” बलूचिस्तान के लोग इस अवसर पर भारत के माननीय रक्षा मंत्री श्री राजनाथ सिंह को उनके नेतृत्व के लिए एक आभासी प्रशंसा पत्र प्रस्तुत करते हैं। हम बलूच राष्ट्र की शांतिपूर्ण आकांक्षाओं के लिए उनके अटूट समर्थन के लिए विदेश मंत्री डॉ. एस. जयशंकर, प्रधान मंत्री श्री नरेंद्र मोदी और भारत के लोगों के प्रति अपनी हार्दिक कृतज्ञता व्यक्त करते हैं।
बलूचिस्तान के साठ करोड़ लोग भारत सरकार की सराहना करते हैं कि उसने हाल ही में शंघाई सहयोग संगठन (एससीओ) शिखर सम्मेलन में मसौदा प्रस्ताव का समर्थन नहीं करने का सैद्धांतिक और साहसी निर्णय लिया, जिसमें बलूचिस्तान के आत्मनिर्णय के वैध संघर्ष को पाकिस्तान और चीन द्वारा प्रस्तावित आतंकवाद से गलत तरीके से जोड़ने की कोशिश की गई थी। यह स्थिति सत्य या न्याय से समझौता किए बिना, आतंकवाद के खिलाफ वैश्विक लड़ाई के लिए भारत की दीर्घकालिक और दृढ़ प्रतिबद्धता को दर्शाती है।
सत्तर से अधिक वर्षों से, बलूचिस्तान के लोगों को पाकिस्तान राज्य द्वारा गैरकानूनी और हिंसक कब्जे के अधीन किया गया है। हाल के वर्षों में, शोषणकारी आर्थिक उपक्रमों और संयुक्त सैन्य अभियानों के माध्यम से चीन की सक्रिय मिलीभगत से यह और बढ़ गया है, जिसके कारण बड़े पैमाने पर मानवाधिकारों का उल्लंघन हुआ है और जिसे कई पर्यवेक्षक व्यवस्थित जातीय सफाई मानते हैं। बलूचिस्तान में पाकिस्तानी सैन्य बलों की उपस्थिति को बलूच लोग अवैध मानते हैं। हम अंतरराष्ट्रीय समुदाय से आह्वान करते हैं कि वे बलूचिस्तान पर पाकिस्तान के निरंतर कब्जे के खिलाफ आवाज उठाएं और ठोस कार्रवाई करें।
हम एससीओ के सभी सदस्य देशों को यह भी याद दिलाते हैं कि पहलगाम में हाल ही में हुआ आतंकी हमला पाकिस्तान की सेना और खुफिया एजेंसियों द्वारा जानबूझकर की गई योजना और क्रियान्वयन का परिणाम था। निर्दोष पर्यटक परिवारों को क्रूर तरीके से निशाना बनाना आतंकवाद का एक जघन्य कृत्य था। इस हमले की सामूहिक निंदा करने में एससीओ की विफलता मौन स्वीकृति का एक परेशान करने वाला संकेत है और आतंकवाद के राज्य प्रायोजक के रूप में पाकिस्तान और चीन की चल रही भूमिका को और भी रेखांकित करता है।
हम भारत के लोगों को आश्वस्त करते हैं कि भारतीय उपमहाद्वीप के साथ अपने सहस्राब्दियों पुराने सभ्यतागत संबंधों के साथ बलूचिस्तान एक शांतिपूर्ण राष्ट्र बना हुआ है जिसने लगातार सभी रूपों में विदेशी कब्जे और आतंकवाद को खारिज किया है। अब यह आवश्यक है कि भारत और बलूचिस्तान के नेतृत्व पाकिस्तान और चीन द्वारा उत्पन्न आर्थिक दबाव और कूटनीतिक धमकी के बढ़ते खतरों का सामना करने के लिए अपनी-अपनी आबादी को संगठित करने के लिए समन्वित प्रयासों में संलग्न हों।
आपसी सम्मान और साझा लोकतांत्रिक मूल्यों के माध्यम से, हमारे देश एक अधिक सुरक्षित, न्यायसंगत और स्थिर क्षेत्र में योगदान कर सकते हैं।