Thursday, August 21, 2025
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क्या नयार घाटी एडवेंचर टूरिज्म के साथ ही कंडोलिया पार्क भी जुड़ जाएगा एडवेंचर टूरिज्म से।

(मनोज इष्टवाल)

मुझे आज भी याद हो लेता है वह चेहरा जिलाधिकारी प्रभात कुमार सारंगी का ….! उत्तर प्रदेश के राज्य से लेकर नए उत्तराखंड राज्य तक यानि 1998 से 2001 तक । वो अक्सर गाया करते थे बेड़ू पाको बारामासा। लेकिन जनता जनार्दन का क्या उन्हें तो सुनाना आता है बस…! यह मेरी नजर में ऐसे जिलाधिकारी थे जो पहाड़ प्रेम के सच्चे चितेरे कहे जा सकते थे। जिन्हें कंडोलिया देवता के आशीर्वाद से यहीं बर्षों बाद पुत्र रत्न प्राप्त हुआ। इन्हीं की परिकल्पना में कहीं गगवाडस्यूँ की वर्तमान में बन रही झील भी है, जिसे धरातल पर लाने का काम मुख्यमंत्री मेजर जनरल (से.नि. ) भुवन चन्द खंडूरी के कार्यकाल में प्रारम्भ किया गया और आज मूर्त रूप मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत के कार्यकाल में मिल रहा है।

यहां भले ही मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत पर यह आरोप लगते आ रहे हैं कि उन पर अफसरशाही हावी है और जनप्रतिनिधियों की कोई बगत नहीं रही लेकिन मैं इस अफसरशाही को बहुत पसंद करता हूँ जिसे बिना राजनीतिक दबाब के मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने फ्री हैंड कर रखा है ताकि वह अपने को साबित कर सकें।

कई मित्र मुझे कई बार गाहे-बगाहे चारणी करने वाला पत्रकार साबित करने की कोशिश करते हैं, तब मैं मुस्करा भर देता हूँ क्योंकि मैं जानता हूँ कि लोकसमाज के हित में जो भी ब्यूरोक्रेट आउट ऑफ टर्म जाकर काम करता है व वह धरातल पर दिखे तो उसे सराहना हर नागरिक का कर्तब्य है, चाहे वह पत्रकार ही क्यों न हो।

यहां 20 साल के राज्य में 22 साल पुराने डीएम प्रभात कुमार सारंगी को इसलिये याद करने का मन हुआ क्योंकि उन्होंने भी अपने कार्यकाल में कंडोलिया में एक पार्क डेवलप करने की कोशिश की थी जिसमें राजनीतिक विरोध व राजनीतिक दबाब के बाद उन्हें यह अधूरा छोड़ना पड़ा। उनके सचिव मुख्यमंत्री रहते गगवाडस्यूँ झील निर्माण पर सहमति बनी थी लेकिन उसके बाद दो मुख्यमंत्री आये चले गए लेकिन इस पर कोई परिणाम सामने नहीं आये। आज त्रिवेंद्र सिंह रावत की इच्छाशक्ति व जिलाधिकारी धिराज गर्ब्याल की कार्यनिष्ठा के बीच कोई पॉलिटिकल दबाब नहीं है तब पौड़ी जिले में गगवाडस्यूँ झील भी बन रही है तो कंडोलिया का पार्क भी।

जिलाधिकारी धिराज गर्ब्याल की यह व्यापक सोच व ठेठ पहाड़ीपन इस बार हम सबके काम आ रहा है क्योंकि वह जिस काम को भी योजनाबद्ध तरीके से ला रहे हैं, वह आईने की तरह दमदार तरीके से हमारे सामने दिखाई दे रहा है। उसमें पटेलिया की इकलौती सेब नर्सरी नहीं है बल्कि होम स्टे के रूप में बासा, एडवेंचर टूरिज्म के रूप में माउंटेन बाइक रुट्स, कृषि, पशुपालन इत्यादि भी शामिल हैं। पौड़ी को सरसब्ज करने के लिए ठंडी सड़क निर्माण, पैदल पथ निर्माण, शहर के पुराने पैदल रास्तों को माउंटेन बाइक रुट्स से जोड़कर पर्यटन की सम्भावनाएं तलाशना और वर्तमान में कंडोलिया पार्क के साथ ही यही वाइल्ड लाइफ पार्क निर्माण पर युद्ध स्तर पर कार्य करवाने के साथ साथ गढ़वाल कुमाऊं के पौराणिक काष्ठ, पाषाण शिल्प को उकेरने के काम में भगीरथ प्रयास करना आम बात नहीं है।

धिराज गर्ब्याल की यह जिजीविषा का नतीजा ही है कि उन्होंने उपेक्षित खिरसू क्षेत्र को पुनः पर्यटन की गतिविधियों से जोड़कर वहां “बासा” का निर्माण  कर उसके संचालन की जिम्मेदारी मात्रिशक्ति के हवाले कर दी है ताकि उसके रखरखाव में कोई कमी न रहे व कई घरों की रोजी रोटी भी चले। नायर घाटी में भले ही पर्यटन मंत्री सतपाल महाराज की योजनाओं को पर्यटन के क्षेत्र में विकसित करने का काम रहा हो लेकिन उसे मूर्त रूप देने में जो तत्तपरता जिलाधिकारी धिराज गर्ब्याल ने दिखाई वह काबिलेगौर है।

नायर घाटी में एडवेंचर टूरिज्म की गतिविधियां सिर्फ संचालित करना ही उनका मकसद नहीं था, उनका मकसद है कि वहाँ के युवा इसे अपने शौक के साथ जीविकोपार्जन का माध्यम भी बनाये ताकि घाटी में यह उद्योग पांव फैला सके व इससे बंजर हो रहे घाटी के गांव सरसब्ज हों व वहां पर्यटन सम्बन्धी व्यवसाय से भी लोग जुड़ सकें।

माना तो यह जा रहा है कि आगामी 19 नवम्बर से 22 नवम्बर तक नयार घाटी में हो रहे राष्ट्रीय साहसिक खेलों के दौरान ही कंडोलिया में बन रहा एडवेंचर टूरिज्म पार्क का भी शिलान्यास या लोकार्पण किया जा सके ताकि जिलाधिकारी धिराज गर्ब्याल अपने कार्यकाल की समाप्ति से पूर्व यह सौगात अमूल्य भेंट के रूप में पौड़ीवासियों को सौंप सकें और उसके लिये युद्धस्तर पर वे पूरे मनोयोग से कार्य भी करवा रहे हैं।

ज्ञात हो कि पौड़ी के कंडोलिया में पर्यटकों के मनोरंजन के लिए एमपी थिएटर, रेस्टॉरेंट, फव्वारे, ओपन जिम के अलावा जंगल में पैदल ट्रैक का काम भी जोरोंपर चल रहा है। एमपी थिएटर में कल्चरल कार्यक्रमों की धूम रहेगी।
जिलाधिकारी धीराज गर्ब्याल कहतेेेेे कि क्यों न बच्चों को मोबाइल की दुनिया से बाहर निकाल कर प्रकृति के करीब लाया जाय, ताकि उनकी शारीरिक क्षमता के विकास के साथ-साथ उनका मानसिक विकास भी प्रबलता के साथ बढ़े। हमें स्वयं यह पहल करनी होगी कि कैसे हम बच्चों की आत्मशक्ति को मजबूत बनाये।उनका मानना है कि कंडोलिया पार्क में पर्यटकों, बच्चों के लिए बेहतरीन समय बिताने के लिए बहुत ही दिलचस्प अवसर मिलेंगे।

यह पार्क मेरे हिसाब से सिर्फ बच्चों के लिए ही माकूल नहीं समझा जाना चाहिए बल्कि यहां की पाषाण कला से पर्यटक भी अवश्य आकर्षित होंगे। मेरे हिसाब से जिस दिन रेल श्रीनगर छुवेगी उस दिन वे लोग जरूर पश्चाताएँगे जो पौड़ी से अपना सबकुछ बेचकर महानगरों में जा बसे क्योंकि उसके बाद यह तय है कि पौड़ी पर्यटन हब बनेगा व यह बड़े टूरिस्ट डेस्टिनेशन के रूप में जाना जाएगा।

बहरहाल इस पार्क के कायाकल्प के साथ नैनिताल की ठंडी सडक की तरह जिलाधिकारी धिराज गर्ब्याल यहां मॉल रोड भी विकसित कर रहे हैं जो यहाँ के टूरिज्म व टूरिस्ट व्यवसाय के लिए विकास की खींची गई लकीर साबित होगी।

लगता है कि इस शानदार देवदार के जंगल से घिरी सड़क में अब सिर्फ पेडों की झुरमुटों के बीच हवा की सांय-सांय करती आवाज नही नहीं गूंजेगी बल्कि अब कंडोलिया जंगल में गूंजेगी मानव स्वर लहरियां व बच्चों की आंनद विभोर कर देने वाली किलकरियाँ। स्केटिंग, ध्यान-योग और जिम भी पर्यटकों को लुुुभाएंगे। दूरबीन सुदूर हिमालयी पहाड़ियों को आपके करीब लायेगी। ठंड गुनगुनी धूप मिटाएगी तो थियेटर और कैफेटेरिया कंडोलिया लैंडस्केप योजना की आकर्षण का केंद्र होगी।

पौड़ी के कंडोलिया इलाके में करीब 2 करोड़ की लागत से एक बेहतरीन व खूबसूरत ऑडिटोरियम का निर्माण कार्य धीरे-धीरे रफ्तार पकड़ रहा है। इस उपेक्षित मंड़ल मुख्यालय में पर्यटकों की कम आवाजाही हमेशा से ही चिंता का मुद्दा रही है। इस पौड़ी जिले ने देश और प्रदेश को कई बड़े चेहरे दिए हैं, लेकिन मिला कुछ नही।
इस बीच, करीब 6 हजार फीट पर मौजूद कंडोलिया जंगल मे बन रहे आडिटोरियम में पर्यटकों के लिए स्केटिंग रिंग, गार्डन, वाक ट्रेक एक बहुत बड़ा आकर्षण बनने जा रहा है। इसके अलावा प्राकृतिक वातावरण में योगा व जिम की पूरी सुविधाएं दी जाएंगी। ओपन एयर थियेटर में सांस्कृतिक कार्यकर्मों की धूम रहेगी। नाटक, गायन समेत अन्य विधा से जुड़े कलाकार अपने हुनर को दिखा सकेंगे। पर्यटकों को वाटर फाल्स, तालाब, फव्वारे भी कंडोलिया जंगल में दिखेंगे। कैफेटेरिया भी कंडोलिया लैंडस्केप योजना का अहम हिस्सा होगा।

अब एक दिव्य स्वप्न के साकारात्मक रूप की अनुभूति लेने का समय है जिसके लिए पौड़ी वासियों के साथ -साथ देश विदेश के पर्यटकों को थोड़ा सब्र करने की आवश्यकता है। मेरे कहना है कि थोड़े इंतजार मजा लीजिये।

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35 बर्षों से पत्रकारिता के प्रिंट, इलेक्ट्रॉनिक व सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर सामाजिक, आर्थिक, राजनैतिक, धार्मिक, पर्यटन, धर्म-संस्कृति सहित तमाम उन मुद्दों को बेबाकी से उठाना जो विश्व भर में लोक समाज, लोक संस्कृति व आम जनमानस के लिए लाभप्रद हो व हर उस सकारात्मक पहलु की बात करना जो सर्व जन सुखाय: सर्व जन हिताय हो.
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