(मनोज इष्टवाल)
यूँ तो उत्तर भारत में आज से 24 बर्ष पूर्व भारत बर्ष के पहले साहसिक खेलों के ज्ञाता सबसे पहले उत्तराखण्ड की धरती (कंडारा पैडुलस्यूँ पौड़ी गढ़वाल) में इन साहसिक खेलों का अभियान चला चुके हैं लेकिन वर्तमान की त्रिवेंद्र सरकार ने इसे अपने अधिकारी की प्रबल इच्छाशक्ति के चलते आखिर अब अमलीजामा पहना ही दिया है। अब आपको कुछ समय बाद पौड़ी जनपद की विभिन्न घाटियों, वादियों में चील-गरुड़ों की तरह सतरंगी पर लगाये इंसान आकाश में विचरण करते नजर आएंगे। कोई पैराग्लाडिंग से तो कोई मोटर के माध्यम से।
जिलाधिकारी पौड़ी धिराज गर्ब्याल इसका श्रेय मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत एवं प्रभारी मंत्री श्री सुबोध उनियाल को देते हुए सोशल साइट पर ट्वीट करते हैं कि इन दोनों की ही प्रेरणा से जिला योजना क़े अन्तर्गत प्रथम “पैरा मोटर” (Solo Paramotor) इटली से देहरादून पहुंच चुकी है!Tandem Paramotor भी अगस्त माह के द्वितीय सप्ताह तक देहरादून पहुँच जायेंगी।
उन्होंने बताया कि “Moster 285” नामक इतालवी इंजन युक्त 8000 rpm की “Fly Product” नामक पैरा मोटर कंपनी द्वारा विकसित किया गया है।
70 किलो की ज़बरदस्त थ्रस्ट का यह इंजन कुछ समय पहले Bear Grills नामक साहसिक खेल विशेषज्ञ के द्वारा एवरेस्ट पर्वत शृंखला को पार करने के लिये प्रयोग किया गया था।
जिलाधिकारी धिराज गर्ब्याल लिखते हैं कि “ITV Boxer” नामक विंग (जो कि एक बड़े पैरा ग्लाईडर के पंख से काफी मेल खाता है) का उपरोक्त इंजन के साथ उपयोग किया जाता है, व यह 40 किलो मीटर प्रति घंटे की गति से 165 किलो वजन के साथ उड़ सकने में सक्षम है।
लगभग 4 लीटर प्रति घंटे की दर से यह मशीन देहरादून से पौड़ी, और पौड़ी से देहरादून (दोनों ओर मिला कर) , कुल 10 लीटर से कम पैट्रोल में पहुंचा सकती है।
इस मशीन को स्थानीय युवाओं को ट्रेनिंग के उद्देश्य से पौड़ी जिले के सतपुली, बांघाट, और खैरासैण के लिये तैयार किया जा रहा है, व वर्तमान में “हिमालयन एरो सपोर्ट्स असोसिएशन” की टीम के द्वारा BSF ट्रेनिंग एरिया- देहरादून में ट्रायल किया जा रहा है।
पत्रकार मित्र अजय सिंह रावत लिखते हैं कि “उम्मीद: सतपुली-बांघाट के आसमान में भर सकेंगे परवाज़।”
जिलाधिकारी गढ़वाल श्री Dhiraaj Garbyal जी ने कल इस मंच के जरिये एक जनकारी साझा की, कि सरकार शीघ्र ही नयार ( बाल कुंवारी) घाटी के सतपुली- बांघाट में ऐरो-एडवेंचर स्पोर्ट्स की एक्टिविटी शुरू कर घाटी में पर्यटन को बढ़ावा देने को अभिनव प्रयोग करने जा रही है, इस हेतु पैरा-मोटर भी क्रय कर ली गयी है।
समूह पलायन एक चिंतन ..! की अवधारणा के तहत शीला-बांघाट में संचालित हो रहे The Camp Golden Mahseer ने इसी परिकल्पना के साथ घाटी में अपनी तरह का नया प्रयोग किया था। इसी कड़ी में कैम्प ने पिछले वर्ष नवम्बर माह मेँ पौड़ी-कांसखेत-सतपुली प्रांतीय राजमार्ग के ढाडूखाल से शीला कैम्प तक पैरा ग्लाइडिंग का सफल ट्रायल भी किया था, इसके पश्चात इसी वर्ष मई माह में कैम्प से खैरासैन तक पैरा मोटरिंग का भी सफल ट्रायल पूरा किया।
अब सरकार और जिला प्रशासन द्वारा इस दिशा में गंभीर प्रयास शुरू किए जाने से हमारे हौसले को भी पंख लग गए हैं।
आशा है जल्द पैरा ग्लाइडर्स, पैरा मोटर्स और हॉट एयर बलून के विविध रंगों से नयार घाटी का आसमान रंगीन होगा..। आभार सरकार, आभार जिलाधिकारी गढ़वाल।
पौड़ी गढ़वाल के कंडारा में 24 बर्ष पूर्व से चल रहा है हिमालयन पैराग्लाइडिंग इस्टीट्यूट।
यूँ तो मनीष जोशी माइक्रोफ्लाइट विमान के साथ नब्बे के दशक में (1983) कंडोलिया, पौड़ी, झंड़ीधार के ऊपर से उड़ते हुए दिखाई देते थे लेकिन आपको यह जानकर आपको हैरानी होगी कि उत्तर भारत में पहली बार पैराग्लाइडिंग प्रशिक्षण करवाने का जिम्मा भी पौड़ी जनपद में पौड़ी गढ़वाल के सुप्रसिद्ध बिजनेशमैन मोहन जोशी के पुत्र मनीष जोशी ने उठाया था, जिन्होंने अपनी दून स्कूल में पढ़ाई के दौरान ही मात्र 8वीं कक्षा के छात्र के रूप में एक ऐसा एयर प्लेन को ईजाद किया जो आसानी से बहुत कम लागत में दो व्यक्तियों को उड़ाकर ले जाा सकता है।
मनीष जोशी ने इसी उम्र में अपना नाम लिम्का बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्डस में दर्ज करवाने के बाद व दून स्कूल की पढ़ाई पूरी करने के बाद जर्मनी की ओर रुख किया जहां उन्होंने पैराग्लाइडिंग का विधिवत कोर्स किया व भारत के पहले ऐसे पैराग्लाइडिंग पायलट कहलाये जिन्होंने विधिवत कोर्स किया। भारत लौटकर उन्होंने अपनी जन्मभूमि उत्तराखण्ड के पौड़ी गढ़वाल को अपनी कर्मभूमि बनाया व कहाँ-कहाँ पैराग्लाइडिंग के लिए मुफीद स्थल हैं, उसका उन्होंने सर्वे करने के पश्चात सितोंनस्यूँ में पैराग्लाइडर उड़ाया। उन्होंने अपने गांव के पास ही पैडुलस्यूँ कंडारा में हिमालयन पैराग्लाइडिंग इंस्टीटूट चलाया जिसमें तत्कालीन उत्तरप्रदेश के आईएफएस, आईएएस, आईपीएस अधिकारियों के साथ सैन्य अधिकारियों ने भी प्रशिक्षण प्राप्त किया लेकिन राज्य गठन के बाद अफसरों व मंत्रियों की उदासीनता के चलते उन्हें यह इंस्टीटूट बन्द करना पड़ा।
नायर घाटी में उड़ते पैराग्लाइडर।
19 अक्टूबर 2019 को अचानक नयार घाटी के ऊपर उड़ती जुगलबंदी करती कुछ सतरंगी बड़ी बड़ी पतंगे देख घाटी के लोग हैरत में पड़ गए क्योंकि यहां के ज्यादात्तर लोगों ने पैराग्लाइडर कभी देखे भी होंगे तो किसी फिल्म में देखे रहे होंगे। दरअसल पर्यटन विभाग के पर्यटन मंत्री सतपाल महाराज, मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत व जिलाधिकारी धिराज गर्ब्याल ने नयार घाटी को पर्यटन के रूप में विकसित करने के लिए जो योजना बनाई थी उनमें हवाई खेल, जल क्रीड़ाएं जैसे क्याकिंग, फिश एंगलिंग व हट टूरिज्म, झील निर्माण मुख्यत: शामिल है। जिसे तेजी से बढ़ाने के लिए मुख्यमंत्री ज्यादा उत्सुक दिखे।
जिलाधिकारी की कार्यशैली आज और अभी की होने के कारण उन्होंने उन्होंने एयर स्पोर्ट्स के लिए हासा के विश्व रिकॉर्डधारी मनीष जोशी से मन्त्रणा की जो हिमालयन ऐरो स्पोर्ट्स एसोसिएशन (हासा) के वाइस प्रेसिडेंट हैं। जिलाधिकारी के प्रपोजल व पर्यटन विभाग के दिशा निर्देश पर मनीष जोशी को ऐसे स्थान चिन्हित करने की जिम्मेदारी सौंपी गई जो एयर स्पोर्ट्स के लिए मुफीद हों।
हासा के पैरामोटर पायलट विनय कुमार, हर्ष सचान, पैराग्लाइडर पायलट विक्रम सिंह नेगी व हासा के अध्यक्ष सुभांग रतूड़ी की कार्ययोजना पर इसे विस्तार दिया गया।
ज्ञात हो कि इससे पूर्व हासा बीएसएफ के सहयोग से मालदेवता पैराग्लाइडिंग फेस्टिवल को सफल बना चुकी थी, इसमें पूरे देश भर से 75 प्रतिभागियों ने प्रतिभाग किया था। इन्हीं पायलट्स द्वारा जब नयार घाटी के आकाश में अपने पुष्पक (पैराग्लाइडर) उड़ाए गए तो लगने लगा कि सचमुच नयार घाटी के दिन बहुरने वाले हैं।
लगभग 22 दिन बाद यानि 3 नवम्बर 2019 को पैरा मोटर पायलट विनय सिंह जिन्होंने आईआईटी रुड़की से आर्किटेक्ट (वास्तुकार) हैं, द्वारा सुबह 06:55 बजे मालदेवता से पैरामोटर्स से उड़ान भरते हैं व लगभग पौने दो घण्टे बाद 70 किमी हवाई यात्रा कर पौड़ी के रांसी स्टेडियम उतर आते हैं। तब मैंने पायलट विनय सिंह से इस यात्रा के बारे में जानकारी लेनी चाही तो उन्होंने बताया कि इस सबके पीछे एयर स्पोर्ट्स के बढ़ावे के अलावा एक और सन्देश पहुंचाना भी है कि हम आपातकाल में पैरामोटर्स के माध्यम से दुर्गम से दुर्गम स्थान तक दवाइयां व 20 किलो तक आवश्यक सामग्री पहुंचा सकते हैं।
बहरहाल अब पौड़ी जनपद ने जिला प्लान से पहल करते हुए इटली से पैरामोटर्स मंगवाए हैं जिनसे वह पौड़ी जनपद में हवाई खेलों को बढ़ावा देने के अलावा इसका विधिवत प्रशिक्षण भी देंगे ताकि भविष्य में यह आय का साधन बनने के साथ साथ आपातकालीन सेवाएं भी दे सके। मैं भी यही कहूंगा शुक्रिया #मुख्यमंत्रीउत्तराखंडसरकार #पर्यटनमंत्रीउत्तराखंडसरकार #कृषिमंत्रीउत्तराखंडसरकार व #जिलाधिकारीपौड़ीगढ़वाल।