Tuesday, October 21, 2025
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कोरोना संकट के बाद हर्बल चाय प्रशिक्षण कार्यक्रम का लक्ष्य वित्तीय वर्ष 2021- 2022 में 11,000 लोगों को प्रशिक्षण का लक्ष्य-सुनील दत्त कोठारी।

देहरादून (हि. डिस्कवर)।

कोरोना संकट के दर्द को हर संस्था समझकर कुछ ना कुछ ग्रामीण आर्थिक पक्ष को मजबूत करने के लिए कदम उठा रही है, ऐसी ही एक संस्था कोठारी पर्वतीय विकास समिति चेलुसैन ब्लॉक द्वारीखाल, पौड़ी गढ़वाल में स्थित संस्था के फाउंडर एवं सचिव सुनील दत्त कोठारी ने आज एक नई मुहिम का आगाज कार्यकारी संस्था की सभा में किया, जिसके अंतर्गत वित्तीय वर्ष 2021- 2022 मैं 11000 लोगों को हर्बल चाय प्रशिक्षण देने का लक्ष्य साधा।

इस मुहिम के अंतर्गत कोठारी बताते हैं कि इनमें मुख्यतः स्वयं सहायता समूह की महिलाएं, कृषक समूह एवं जो भी व्यक्ति स्वरोजगार करना चाहता है उत्तराखंड के परिपेक्ष में, इसमें उसकी योग्यता एवं समूह की कार्य रूपांतरण की दृष्टि के हिसाब से, संस्था उसको विभिन्न प्रकार के हर्बल चाय उत्पादन का प्रशिक्षण जो मुख्य रूप से 2 दिन से 11 दिन तक के पाठ्यक्रम व प्रयोगात्मक प्रशिक्षण कम लागत व जनसेवा की भावना एवं मुख्य उद्देश्य उत्तराखंड की आर्थिक व्यवस्था को मजबूती प्रदान करना है।

सुनील दत्त कोठारी, वर्ष 2016 से लगातार हर्बल चाय बना रहे हैं, उत्तराखंड में पाई जाने वाली वनस्पतियों को आधार लेकर खासकर कंडाली यानी बिच्छू बूटी नेटल पर आप की प्रसिद्ध रही है, जो खाली पत्तियां ही नहीं पत्तियों को आधार लेकर उपचार एवं मिश्रण मिलाया जाता है। जिसका व्यवस्थित प्रशिक्षण एवं पाठ्यक्रम द्वारा किया जाएगा।

कोठारी बताते हैं, इस तरह की मुहिम शायद किसी व्यक्ति विशेष द्वारा आजीविका के लिए प्रशिक्षण नहीं दिया होगा, जो भविष्य में अपने आप में एक रिकॉर्ड स्थापित करेगा।

वास्तव में ,भौगोलिक स्थिति मौसम, पैदल मार्ग द्वारा जाना, रात्रि सोने की व्यवस्था एवं भोजन जैसी आवश्यकता की पूर्ति के लिए संस्था आंतरिक कार्यक्रम बना रही है, जगह का चुनाव एवं व्यक्तियों की जनसंख्या को भी आधार बनाया जा रहा है।

उत्तराखंड में अपार संभावनाएं हैं, परंतु युवा वर्ग से ही उम्मीद की जा सकती है ,जो यहां पर किसी लक्ष्य को पूरा कर सकता है। वह सक्षम उत्तराखंड व स्थानीय लोगों की आजीविका वृद्धि में सहयोग दे सकता है। अभी तक कोठारी प्रयोगात्मक दौर से लगभग 195 महिलाओं को बिच्छू बूटी की चाय पर प्रशिक्षण दिया है।

अब यह मुहिम संपूर्ण उत्तराखंड में लागू होगी, पिछले कोरोना जैसे संकट आने के कारण संस्था ने कई असुविधाओं का सामना किया, परंतु किसी भी लक्ष्य का निर्धारण ना करके कार्य करती रही। तथा इस वित्तीय वर्ष में 11000 व्यक्तियों को प्रशिक्षण में प्रयोगात्मक किया जाएगा जो संपूर्ण उत्तराखंड प्रदेश में लागू होगा।

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