Friday, July 26, 2024
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भेदभाव का नायाब नमूना

नोएडा में लड़कियां अब आठ बजे शाम के बाद क्लास ज्वाइन नहीं कर पा रही हैं। ऐसी रोक लगाते हुए इसे ध्यान में नहीं रखा गया है कि अनगिनत लड़कियां आर्थिक उपार्जन के लिए दिन भर कहीं काम करने के बाद शाम को क्लास ज्वाइन करती हैं।

राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली से लगे उत्तर प्रदेश के नोएडा पुलिस ने अपनी सेफ सिटी प्रोजेक्ट के तहत लड़कियों/महिलाओं के खिलाफ भेदभाव भरा कदम उठाया है। यह पुलिस का अपने दायित्व से मुकरना भी है और महिलाओं को घर के दायरे में धकेलने की उसकी सोच को भी जाहिर करता है। इस परियोजना के तहत कोचिंग एवं अन्य संस्थानों में शाम आठ बजे के बाद लड़कियों के लिए क्लास चलाने पर रोक लगा दी गई है। लेकिन ऐसी कोई रोक लडक़ों पर लागू नहीं होगी। पुलिस की यह सोच घोर आपत्तिजनक है कि लड़कियों के सडक़ों पर घूमने-फिरने से शहर की सुरक्षा खतरे में पड़ती है। इस सोच में यह निहित है कि अगर लड़कियां घूमती-फिरती हैं तो यह पुरुष अपराधियों को जुर्म करने के लिए न्योता देने जैसा है। यह इस बात की स्वीकारोक्ति भी है कि ऐसे अपराधियों पर लगाम लगाने में नोएडा पुलिस अपने को अक्षम मानती है। वह यह बात नहीं मानती कि सबको हर जगह सुरक्षित महसूस कराना उसका कर्त्तव्य है। पुलिस ने ऐसा निर्णय लेते वक्त इस हकीकत को ध्यान में नहीं रखा कि अनगिनत लड़कियां आर्थिक उपार्जन के लिए दिन भर कहीं काम करती हैं और करियर में आगे बढऩे के लिए शाम की क्लास ज्वाइन करती हैं।

बेशक राष्ट्रीय राजधानी के आसपास गुजरे वर्षों में महिलाओं के खिलाफ गंभीरतम अपराध हुए हैँ। इससे महिलाएं अपने को खौफजदा महसूस करती हैं। साथ ही इसका दुनिया में भारत की बदनामी हुई है। देश को महिलाओं के लिए आम तौर पर वहां असुरक्षित समझा जाता है। लेकिन इस समस्या का समाधान कानून-व्यवस्था का तंत्र दुरुस्त करने के साथ-साथ समाज में जागरूकता लाना है। इसके बजाय महिलाओं को घर में सिमट जाने की सलाह देना कुछ वैसा ही है, जैसे अगर किसी के घर चोरी होती है, तो उससे पूछा जाए कि उसने धन रखा ही क्यों था। इसलिए बेहतर होगा कि नोएडा पुलिस अपना यह फरमान तुरंत वापस ले। वरना आशंका यह है कि दूसरे शहरों की पुलिस भी इससे सीख लेने लगेगी और महिला स्वतंत्रता की बलि चढ़ जाएगी। ऐसी सोच का पुरजोर विरोध किए जाने की जरूरत है।

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35 बर्षों से पत्रकारिता के प्रिंट, इलेक्ट्रॉनिक व सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर सामाजिक, आर्थिक, राजनैतिक, धार्मिक, पर्यटन, धर्म-संस्कृति सहित तमाम उन मुद्दों को बेबाकी से उठाना जो विश्व भर में लोक समाज, लोक संस्कृति व आम जनमानस के लिए लाभप्रद हो व हर उस सकारात्मक पहलु की बात करना जो सर्व जन सुखाय: सर्व जन हिताय हो.
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