Monday, October 20, 2025
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हिमालय की गोद में में सोयी एक राजकुमारी – जो कई रूप बदल कर जागती है…।

(मुकेश प्रसाद बहुगुणा की कलम से)

जॉन मार्गरेट लेगी …..( जन्म -२१ फरवरी १८८५ , मृत्यु – ४ जुलाई १९३९ )।

इस राजकुमारी का जन्म ब्रिटेन के शाही परिवार में हुआ था। उसके शौक ने उसे वनस्पति वैज्ञानिक बना दिया, नियति ने उसे उस हिमालय का एक अभिन्न अंग बना दिया जिससे वह अथाह प्रेम करती थी ।

सन १९३९ में प्रो0 जॉन मार्गरेट लेगी इंग्लैंड के रॉयल बोटनिकल गार्डन की तरफ से फूलों पर शोध करने के लिये फूलों की घाटी आई और हमेशा के लिए यहीं की हो कर रह गयी।

फूलों को इकट्टा करते हुऐ अचानक उनका पैर फिसला और वो हमेशा के लिये फूलों के बीच में सो गई। 1941 में उनकी बहन ने आकर यहाँ उनकी कब्र पर एक स्मृति शिला पट्टिका बनवाई ,जिस पर लिखा है –
“ मेरी दृष्टि हिमालय के उन शिखरों पर जाएगी ,जहाँ से मुझे शक्ति आई है। “

दुनिया की निगाह में प्रसिद्द होने से पहले फूलों की घाटी के बारे में स्थानीय मान्यता थी कि यहाँ परियां एवं किन्नर निवास करते हैं ,अतः स्थानीय लोग यहाँ कम ही जाया करते थे।

उस दिन, ज़ब मैरी की समाधि पर गया तो उसने बताया कि वह  शायद भी इन परियों में शामिल हो गयी है, कभी तितली बन उड़ती है, तो कभी बदली बन छा जाती है, कभी ओंस की बूँद बन पत्तियों से लिपट जाती है और कभी मंद -मीठी -सुगंधित हवा का झोंका बन कानों में कुछ फुसफुसा जाती है ।

 

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