(मनोज इष्टवाल)
30 अप्रैल 2021 को श्रीमती कविता जोशी ने अपनी एक सेल्फी मास्क के साथ मुझे व्हाट्सएप की। जिसमें वह सज धजकर किसी शादी में शिरकत करने गयी थी। सेल्फी मॉड में होने के कारण नथ उल्टी लग रही थी मैंने उसे कैमरा मॉड में किया और वापस उन्हें भेजा। फिर अचानक ध्यान आया कि कोरोना काल में फोटो एक सुंदर विज्ञापन के तौर पर काम कर सकती है क्योंकि इस फोटो में एक अलग फीलिंग व अट्रैक्शन के साथ शानदार सन्देश भी छुपा है जो जनता के बीच फैशन के साथ साथ मास्क की जागरूकता पैदा कर सकती है। फिर क्या था मैंने श्रीमती कविता जोशी से उस फोटो को अपनी सोशल साइट पर पोस्ट करने की परमिशन के साथ चन्द पंक्तियां “कविता” के रूप में प्रकाशित कर फेसबुक पर चस्पा कर दी।
मेरी सोशल साइट पर तो जो भी कमेंट आये या लाइक आये वह गौण से रहे लेकिन अगले ही दिन श्रीमती कविता जोशी व उनके पति जीवन चन्द जोशी का फोन आया कि आपने तो धमाल कर दिया। वह फोटो तो जबरदस्त वायरल हो गयी।
तीन मई को उनकी बड़ी बहन प्रभा जोशी फोन करती हैं कि मनोज जी, फोटो जबरदस्त वायरल हो रही है लेकिन एक उत्तराखण्डी ग्रुप के किसी सदस्य ने फोटो उठाकर उस पर लिखा है -“हे प्रभु उठा ले ….इन्हें”। मैने उनसे फोटो मंगवाई तो पाया कि वह फोटो बिट्टू शर्मा जोक्स ने शेयर की थी जिसे चौहान रमेश नामक किसी घटिया व्यक्ति ने उठाकर उस पर ये शब्द चस्पा करके उत्तराखण्ड के एक ग्रुप में पोस्ट किया। मैंने ग्रुप एडमिन से बात की और उन्होंने उसे तुरंत ग्रुप से हटा दिया।
अगले दिन पाया कि एक आईपीएस दीपांशु काबरा ने उसे अपने ट्वीटर पर ट्वीट किया और खूबसूरत से शब्द “ज्वेलरी जुगाड़” के साथ पोस्ट किया। अब तक यह फोटो सैकड़ों ग्रुप्स में सर्कुलेट हो चुकी थी। बिट्टू शर्मा जोक्स, कपिल शर्मा जोक्स, सहित रिपब्लिक भारत व आज टाइम्स नाउ तक ने इस पर खबर बना डाली। अभी तक यह फोटो दुनिया भर के लाखों लोगों के बीच वायरल हो चुकी है व कोरोना संक्रमण से बचाव के लिए मास्क जरूरी जैसा मेसेज देने के साथ साथ एक फैशन के रूप में भी उभर कर सामने आई है।
यह पब्लिक है जो एक्शन रिएक्शन के मध्य किसी भी फोटो का तुलनात्मक विश्लेषण कर हम तक उसे वापस पहुंचाती है। लेकिन यह देखकर खुशी हुई कि एक फोटो जो मेरे द्वारा एक कविता की रचना के साथ फेसबुक में पोस्ट की गई थी वह दुनिया भर में तीन तरह के सन्देश दे रही है जिनमें नम्बर एक पर “फैशन के साथ मास्क जरूरी”, नम्बर दो “उत्तराखण्डी नथ का प्रचलन” व तीसरा सन्देश “कोरोना काल में अपने स्टेटस सिंबल के साथ किस तरह पार्टियों में भागीदारी निभाई जा सकती है।