Tuesday, October 21, 2025
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एक प्रमुख ऐसा भी…। जिसने लगातार तीन कार्यकालों में अपने विकासखंडों को दिलाये दीन दयाल उपाध्याय पंचायत सशक्तिकरण पुरस्कार।

(मनोज इष्टवाल)


सच कहें तो फाउंडेशन स्टोन तय करता है कि वह आपको किस दिशा व दशा में लेकर जाएगा। अचानक लगभग 12 बर्ष पूर्व पौड़ी जिले के विकास खंड कल्जीखाल में एक नाम तेजी से उछला..महेंद्र सिंह राणा! ग्रामीणों में तरह-तरह के अपवाद व कय्यास लगने शुरू हुए। कोई कहता बड़ा मालदार है, कोई कहता बहुत शार्प बुद्धि का है तो कोई कहता सुनने में आया ऐरे-गैर बदमाश उसके आगे टिकते नहीं हैं। बहरहाल यह व्यक्तित्व एकाएक
विकास खंड कल्जीखाल के निर्विरोध प्रमुख चुने जाते हैं और जिस विकास खंड के बारे में कहावत प्रचलित थी “दीपक तले अंधेरा” उसी विकास खण्ड कल्जीखाल को पंडित दीनदयाल उपाध्याय पंचायत सशक्तीकरण पुरस्कार दिलवा देते हैं।
इस दौरान महेंद्र सिंह राणा प्रदेश के प्रमुखों के अध्यक्ष अध्यक्ष भी बन जाते हैं व तेजी से प्रदेश के राजनीतिक गलियारों में उनके नाम की आवाज भी गूंजने लगती है। कांग्रेस के वर्तमान प्रदेश अध्यक्ष प्रीतम सिंह के खासम-खास कहे जाने वाले महेंद्र सिंह राणा दुबारा कल्जीखाल विकास खण्ड के प्रमुख पद पर निर्विरोध निर्वाचित होते हैं और फिर 2017 में अपने विकास खण्ड की झोली में पंडित दीनदयाल उपाध्याय पंचायत सशक्तीकरण पुरस्कार डाल लाते हैं।
नई पारी भाजपा सरकार के सत्तासीन होने पर जब उन्हें यह लगने लगता है कि राजनीति क्षेत्र में उनके विरोधी ज्यादा सक्रिय हैं व कल्जीखाल विकास खंड में प्रमुख पद महिला आरक्षित हो गया है तो वह विकास खण्ड कल्जीखाल की सीमा से लगे नयार पार के विकास खंड द्वारीखाल जा धमकते हैं। यह फैसला लोगों की नजर में आत्मघाती समझा गया लेकिन अचानक पाते हैं कि उन्होंने अपनी पत्नी को भाजपा की सदस्यता दिलाकर उन्हें कल्जीखाल विकास खंड से प्रमुख का दावेदार घोषित करवा दिया है। क्षेत्रीय जनता को तब घोर आश्चर्य का सामना करना पड़ता है , जब पता चलता है कि महेंद्र सिंह राणा न स्वयं बल्कि उनकी पत्नी भी निर्विरोध प्रमुख चुनी गई हैं।
बस यहीं से बड़े राजनीतिज्ञों की आंख में वे खटकने शुरु हो गए क्योंकि सभी को अपनी विधायक की कुर्सी व मंत्री कुर्सी भी डगमगाती दिखाई देने लगी। पुनः महेंद्र सिंह राणा प्रमुख संगठन के अध्यक्ष भी बन जाते हैं। और यह तक कहा जाने लगता है कि राजनीति उनके गलियारे से गुजरकर आगे बढ़ती है।
उनकी कुंडली खंगालने का काम अब भाजपा ही नहीं कांग्रेस ने भी अप्रत्यक्ष रूप से करना शुरू कर दिया। पुराने क्षेत्रीय भाजपाईयों की यह नाराजगी थी कि महेंद्र सिंह राणा की पत्नी ने भाजपा जॉइन करते ही प्रमुख पद की दावेदारी ही नहीं की अपितु प्रमुख बन भी गई। वहीं कांग्रेसियों को भी यह लगने लगा कि 2022 में महेंद्र राणा विधायक के प्रबल दावेदार के रूप में उभर सकते हैं क्योंकि पौड़ी जिले का ऐसा कोई क्षेत्र नहीं है जहां महेंद्र सिंह राणा की फोटो प्रचारित न हुई हो। हर जगह महेंद्र सिंह राणा के पोस्टर विगत डेढ़ दो बर्षों से पटे पड़े हैं।
इधर भाजपा नेता व वकील महेंद्र सिंह असवाल ने हाई कोर्ट में पीआईएल दाखिल कर महेंद्र सिंह राणा की पत्नी विकास खंड कल्जीखाल की प्रमुख के शैक्षिक प्रमाण पत्रों पर आपत्ति दर्ज की है, जिस पर माननीय न्यायालय में अभी वाद चल रहा है।
बहरहाल एक बार फिर महेंद्र सिंह राणा ने अपनी कार्यकुशलता को साबित करते हुए पौड़ी विकास खण्ड के पिछड़े विकास खंडों में शामिल द्वारीखाल विकासखंड को चर्चाओं में ला दिया है और लगातार प्रमुख की पारी में तीसरा पंडित दीनदयाल उपाध्याय पंचायत सशक्तीकरण पुरस्कार हासिल किया है।

ज्ञात हो कि 24 अप्रैल अंतरराष्ट्रीय पंचायत दिवस के उपलक्ष में विज्ञान भवन नई दिल्ली में होने वाले कार्यक्रम में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारीखाल के ब्लाक प्रमुख महेंद्र राणा को पंडित दीनदयाल उपाध्याय पंचायत सशक्तीकरण पुरस्कार से नवाजा जाएगा जिसमें उन्हें प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी
प्रशस्तिपत्र, 25 लाख रुपये की नकद धनराशि प्रदान कर सम्मानित करेंगे।
ज्ञात हो कि यह पुरस्कार देश भर के किसी भी विकास खंड में कराए गए विकास कार्यों के आधार पर प्रति वर्ष दिया जाता है। महेंद्र सिंह राणा पौड़ी जिले के कल्जीखाल ब्लाक में दो बार ब्लाक प्रमुख रहे, तब भी कल्जीखाल ब्लाक को वर्ष 2013 एवं वर्ष 2017 में पंडित दीनदयाल उपाध्याय पंचायत सशक्तीकरण पुरस्कार से सम्मानित किया गया था।
इस वर्ष भी केंद्र सरकार की ओर से तीसरी बार महेंद्र राणा को स्वरोजगार, महिला सशक्तीकरण और गांवों में बुनियादी सुविधाएं उपलब्ध कराने पर उन्हें सम्मानित किया जाएगा।
सूत्रों की माने तो महेंद्र सिंह राणा तीन बार की प्रमुख पारी में अपने आप को अबल साबित करते हुए 2022 में विधान सभा टिकट की प्रबल दावेदारी का दावा ठोक सकते हैं। एक कय्यास यह भी लगाया जा रहा है कि अगर इस बार भी महेंद्र सिंह राणा को पार्टी द्वारा विधायक का टिकट नहीं मिलता तो उन्हें “आप” टिकट दे सकती है। राजनीतिक विश्लेषकों का यह मानना भी है कि जिस तरह महेंद्र सिंह राणा चुनाव लड़ते हैं उस हिसाब से उन्हें हरा माना मुश्किल ही नहीं नामुकिन भी है।
बहरहाल महेंद्र सिंह राणा को 24 अप्रैल को मिलने वाले पंडित दीनदयाल उपाध्याय पंचायत सशक्तीकरण पुरस्कार के लिए शुभकामनाएं।

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