3800 रुपए , कुछ मुट्ठी राशन और एक प्लास्टिक के तिरपाल के लिए सरे बाजार लाइनों मे खड़ा पहाड़ का मानुष ।
(समाजसेवी रतन सिंह असवाल की कलम से)
सोमवार को सुबह 2.30 बजे जनपद चमोली की तहसील थराली, घाट व चमोली क्षेत्र में अतिवृष्टि व भूस्खलन के कारण चार दर्जन के करीब परिवारों के प्रभावित होने की सूचना प्राप्त हो रही हैं। वहीं दो दर्जन के करीब मार्गो के बंद होने की भी खबर है । एक मोटर पुल और आधा दर्जन से अधिक पैदल पुल भी अतिवृष्टि की भेंट चढ़ गए ह़ै।
शासन प्रशासन का आपदा के बाद के बचाव कार्य और चल अचल संपत्तियों के नुकसान का आंकलन अब शुरू हो जाएगा । एक मोटी फाइल राज्य के सचिवलाय में सड़क पुलों के पुनर्निर्माण के लिए खर्च होने वाली मोटी रकम के लिए चलेगी । कुछ ही माह में यह राशि संबंधित विभागों को स्वीकृत भी हो जाए़गी और फिर यह बजट ठिकाने लगेगा और फिर आने वाली आपदाओं की इंतजार मे अमला एक साल और इंतजार करेगा ।
सवाल यह है कि लगातार वर्षवार आने वाली आपदाओं के न्यूनीकरण और उपायों पर राज्य की सरकारों ने अभी तक किया क्या है ? एक भी सक्सेज स्टोरी तो गिना दे राज्य की सरकारे़ और आपदा प्रबंधन तंत्र ।
पहाड़ के निवासी जिसके दुःस्वारियों के समाधान और बेहतरी के लिए इस पर्वतीय राज्य का गठन हुआ था वह इतने हाशिए पर हुक्मरानों और चालक बाबुओं ने धकेल दिया है कि आज उस मेहनतकश और पराक्रमी की यह स्थिति हो गई है कि वह 3800 रुपए , कुछ मुट्ठी राशन और एक प्लास्टिक के तिरपाल के लिए सरे बाजार लाइनों मे खड़ा है ।
चेतो मेहरबानों हुक्मरानों.. इसी के पराक्रम और आज दो अभी दो के जयघोषों से तुम इस लायक बन पाए होकि बड़े बड़े आलीशान आशियानों और महंगी SUV मे चढ़ पा रहे हो यदि किसी दिन इस लाचार, असहाय और चेहरे पर उग आई झुर्रियों वाले पहाड़ के मनुष्यों ने मान लिया कि अब तुम उनके नेतृत्व के लायक नही रहे तो निश्चित वह दिन भी जल्द ही आएगा