मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत ने उत्तराखण्ड की प्रसिद्ध लोकगायिका श्रीमती कबूतरी देवी के निधन पर गहरा दुख व्यक्त किया है। उन्होंने दिवंगत आत्मा की शांति एवं दुःख की इस घडी में उनके परिजनों को धैर्य प्रदान करने की ईश्वर से कामना की है। मुख्यमंत्री ने कहा कि उत्तराखण्ड के लोक संगीत को बढ़ावा देने में स्व. कबूतरी देवी का योगदान अतुलनीय रहा है। उत्तराखण्ड के ऋतु आधारित गीतों की वे विशेषज्ञ गायिका थी:- पहाड़ों को ठंडो पाणी, कि भलि मीठी वाणी…… गीत आज भी आम उत्तराखण्डी के जेहन से जुड़ा है। राष्ट्रपति पुरस्कार से सम्मानित कबूतरी देवी ने पिथौरागढ़ के सुदूर ग्रामीण अंचल से निकलकर उत्तराखण्ड की पहाड़ी संस्कृति और लोकगीत शैली को अंतर्राष्ट्रीय मंचो पर नई पहचान दिलाई। उनका जाना पर्वतीय लोक संगीत के लिए अपूर्णीय क्षति है। कबूतरी देवी जैसे लोक संस्कृति के वाहक का योगदान सदैव स्मरणीय रहेगा तथा वे हर उत्तराखण्डी के दिल में जीवित रहेंगी।
मुख्यमंत्री श्री त्रिवेन्द्र ने कहा कि स्व. कबूतरी देवी हमारे पर्वतीय लोक संगीत एवं लोक संस्कृति की जीवंत प्रतिमूर्ति थी। उनके गीतों में शास्त्रीय संगीत का पुट भी मौजूद था। सत्तर के दशक से आकाशवाणी के उत्तरायणी कार्यक्रम से जुड़ी रहकर अपनी लोक संस्कृति एवं लोक संगीत से देश व दुनिया को रूबरू कराती रही।
ज्ञातव्य है कि उत्तराखण्ड की तीजनबाई कही जाने वाली कबूतरी देवी ने पहली बार दादी-नानी के लोकगीतों को आकाशवाणी और प्रतिष्ठित मंचो के माध्यम से प्रचारित और प्रसारित किया था। जब उन्होंने आकाशवाणी पर प्रस्तुतियां देनी शुरू की थीं, उस वक्त कोई महिला संस्कृतिकर्मी आकाशवाणी के लिए नहीं गाती थीं। 70 के दशक में उन्होंने पहली बार पहाड़ के गांव से स्टूडियो पहुंचकर रेडियो जगत में अपने गीतों से धूम मचा दी थी। कबूतरी देवी ने आकाशवाणी के लिए करीब 100 से अधिक गीत गाए। उनके गीत आकाशवाणी के रामपुर, लखनऊ, नजीबाबाद और चर्चगेट, मुंबई के केन्द्रों से प्रसारित होते थे।
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