रामणी गाँव! — गर्ररर ऐगे हे बरखा झुकी ऐगे—! नेगी दा के इस बेहतरीन गीत से रामणी गाँव की सुंदरता को मिली नयी पहचान!
ग्राउंड जीरो से संजय चौहान!
इन दिनों प्रख्यात लोकगायक नरेंद्र सिंह नेगी जी द्वारा गाये गीत — गर्ररर ऐगे हे बरखा झुकी ऐगे, सर्ररररर डांड्यों मा कन कहेडी छै गे–! का वीडियो सोशल मीडिया पर बेहद वाइरल हो रहा है। 30 जून को जारी हुये इस वीडियो को 45 हजार से अधिक लोग देख चुके हैं।
इस वीडियो का फिल्मांकन जनपद चमोली के बेहद खूबसूरत गाँव रामणी में हुआ है। इस बेहतरीन गीत से हिमालय की गोद में बसे रामणी की सुंदरता और गाँव को नयी पहचान मिली है। जिससे आने वाले दिनों मे दूसरे लोग भी फिल्म से लेकर वीडियो फिल्मांकन के लिए रामणी का रूख करेंगे।
गौरतलब है कि समुद्र तल से 2500 मीटर ऊंचाई पर स्थित रामणी गांव के लिए ऋषिकेश से लगभग 250 किमी का सफर वाहन से तय कर पहुंचा जा सकता है। जबकि चमोली जिला मुख्यालय गोपेश्वर से रामणी की दूरी 82 किमी है। वहीं ब्लाॅक मुख्यालय घाट से 29 किमी की दूरी पर स्थित है ये गांव । लगभग 300 परिवारों के इस गांव की जनसंख्या लगभग 1300 से अधिक है। हिमालय की गोद मे बसे इस गाँव पर प्रकृति नें अपना सबकुछ न्यौछावर किया है।
रेमजे के नाम से गांव का नाम रामणी नाम पडा!
लोगो की मानें तो रामणी गांव की सुंदरता से स्कॉटिश मूल के कमिश्नर हेनरी रेमजे अभिभूत हो गये थे जिसके कारण ही इस गाँव का नाम रेमजे से रामणी हो गया था। उत्तराखंड में कमिश्नर हेनरी रैमजे का शासन 1856-1884 तक रहा। इस दौरान वे कई बार रामणी आये थे। उन्होंने उत्तराखंड के पर्वतीय क्षेत्रों की सुंदरता, सांस्कृतिक व धार्मिक मान्यताओं को पूरा महत्व दिया। 132 वर्ष के अंग्रेजी राज में 70 वर्ष स्कॉटिश मूल के कमिश्नर भारत में रहे। ट्रेल, बेटन व रैमजे उत्तराखंड को अपने घर की तरह मानते थे। उन्होंने परंपरागत कानूनो को महत्ता दी, स्थानीय लोक संस्कृति व धार्मिक मान्यताओं का रखा ख्याल रखा।
कमिश्नर हेनरी रेमजे से लेकर लार्ड कर्जन को भायी थी रामणी की सुंदरता!
स्कॉटिश मूल के कमिश्नर हेनरी रेमजे के बाद लार्ड कर्जन भी रामणी के मुरीद बने थे। ग्वालदम से तपोवन 200 किमी का ऐतिहासिक पैदल लार्ड कर्जन रोड भी इस गाँव से होकर जाता है। वर्ष 1899 में लार्ड कर्जन जब उत्तराखंड की यात्रा पर आए तो वे घाट विकासखंड के रामणी गांव में भी पहुंचे। रामणी गांव की प्राकृतिक सुंदरता उन्हें इतनी भायी कि लार्ड कर्जन ने कुछ समय यहीं गुजारा। आज भी लार्ड कर्जन का बंगला रामणी गांव में मौजूद है। तब उन्होंने इस क्षेत्र के विकास के लिए पैदल ट्रैक का निर्माण भी किया। ब्रिटिश व अन्य विदेशी पर्यटक अभी भी इस ट्रैक से गुजरकर क्षेत्र के दर्जनों पर्यटन स्थलों की सैर करने के लिए प्रतिवर्ष यहां आते हैं।
रामणी गाँव के परंपरागत पठाल के मकान बरबस ही लोगों को करते हैं आकर्षित!
गांव हो या शहर, हर जगह लोगों में चकाचौंध की ओर भागने की होड़ मची है। हर ओर कंक्रीट के जंगल नजर आते हैं। लेकिन, इस सबके बीच जिले की सुदूरवर्ती गांव रामणी ने अपनी पहचान को मिटने नहीं दिया। यहां ग्रामीण आज भी सीमेंट-कंक्रीट के नहीं, बल्कि पारंपरिक पठालों (पत्थरों) के मकानों में ही रहना पसंद करते हैं।यहां के लोगों नें पठालों के मकानों को ही तवज्जो दी।यही वजह है कि 300 परिवारों वाले इस गांव में हर ओर पठालों के मकान ही नजर आते हैं। इन मकानों का फायदा सबसे बड़ा यह है कि बर्फबारी होने पर वह छतों पर नहीं टिकती। साथ ही मिट्टी व लकड़ी का प्रयोग होने के कारण वे गर्म भी रहते हैं। पठाल की छत वाले मकानों के निर्माण में स्थानीय लोगों को भी रोजगार मिलता है। इन मकानों के अंदर गर्मियों में शीतलता तो सर्दियों में गर्माहट का अहसास होता है। साथ ये मकान भूकंपरोधी भी होते हैं। मकान की नींव खोदकर मिट्टी और पत्थरों से भरा जाता है। चिनाई के बाद लकड़ी की बल्लियों पर लकड़ी चीर कर (तख्ते) बिछाई जाती है। उसके ऊपर घास और मिट्टी डाली जाती है। इसके बाद टॉप में पठाल बिछाई जाती है।
रामणी गांव में– बरखा झुकी ऐगे —! वीडियो गीत के कला निर्देशक कैलाश भट्ट नें बताया की रामणी गाँव की सुंदरता नें हर किसी को अभिभूत किया है। यहाँ की लोकेशन फिल्म इंड्रस्टी और वीडियो फिल्मांकन के लिए मुफीद है। साथ ही यहां भविष्य के लिए असीमित संभावनाएँ हैं। वीडियो फिल्मांकन के दौरान यहाँ हमारी पूरी यूनिट नें बेहद लुत्फ उठाया। आशा है की आपको भी –बरखा झुकी ऐगे –। वीडियो बेहद पसंद आया होगा। अगर आपने अभी तक नहीं देखा तो जरूर देखिए इस वीडियो को इस लिंक पर —
वास्तव मे देखा जाय तो रामणी की बेपनाह सुंदरता का कोई सानी नहीं है। उम्मीद की जानी चाहिए की —गर्ररर ऐगे हे बरखा झुकी ऐगे—! नेगी दा के इस बेहतरीन गीत से रामणी गाँव को नई पहचान मिलेगी।
अगर आप भी रेम्जे के रमणीक रामणी गाँव की सुंदरता के दीदार करना चाहते हैं तो चले आइये रामणी।
ग्राउंड जीरो से संजय चौहान!