Thursday, November 21, 2024
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श्रद्धांजलि! — वापस लौट आइये न कमल दा…..।

श्रद्धांजलि! — वापस लौट आइये न कमल दा…..।

(संजय चौहान की कलम से)

कमल दा आज भी विश्वास नहीं होता है कि आप हमारे बीच नहीं हो। आज ही के दिन ठीक एक साल पहले प्रख्यात फोटोग्राफर और पत्रकार स्व. कमल जोशी अपनी अनंत यात्रा पर बिना किसी को बताये, सबको रूलाते हुए चल दिए। उनका इस तरह से जाना सबके लिए असहनीय था। अभी भी ऐसे लगता है कि आप अभी लौट आओगे कमल दा!

गौरतलब है कि कमल दा ने पहाड़ की खाक छानते हुये कैमरे के जरिए उत्तराखंड की लोकसंस्कृति और लोकजीवन को देश दुनिया तक पहुँचाया। पाँच भाई और दो बहिनों में छटवें नंबर के कमल जोशी का जन्म कोटद्वार में 1953 को हुआ था। इनकी माँ का नाम सत्यभामा और पिताजी का नाम फतेहराम जोशी था। इनका पैतृक घर घोलतीर/रूद्रप्रयाग है। जबकि इनका निवास गोखले मार्ग कोटद्वार था। रसायनशास्त्र में स्नाक्तोतर उपाधि और समाजशास्त्र में भी स्नाक्तोतर उपाधि प्राप्त थे कमल दा।

अपनी बेहतरीन छाया चित्रों के माध्यम से कमल जोशी ने उत्तराखण्ड के सौन्दर्य को ही नहीं, अपितु यहाँ की विषम परिस्थितियों और विकास में बाधक बनी तमाम समस्याओं को भी बखूबी उजागर किया। फोटोग्राफी में अपनी विशिष्ट पहचान रखने वाले कमल जोशी अपनी घुमक्कड़ी के लिए भी जाने जाते थे। अस्थमा से पीडि़त रहने बावजूद भी उन्होंने अपनी घुमक्कड़ी के शौक को जारी रखा है। कैलाश मानसरोवर, छोटा कैलाश व नंदा राज जात के अतिरिक्त उन्होंने उत्तराखण्ड के कई इलाकों में दर्जनों छोटी-बड़ी पैदल यात्राएँ की। पहाड़ के दस सालों के अन्तराल पर होने वाले ‘अस्कोट-आराकोट अभियान’ के तहत कमल जोशी 1984 से लेकर 2014 तक लगातार 3 बार ये यात्राएँ कर चुके थे। इनके तमाम छायाचित्र देशी व विदेशी पत्र-पत्रिकाओं में प्रकाशित हो चुके थे। वे विभिन्न संस्थानों के जनसंचार व डॉक्यूमेंटेशन सलाहकार थे और हिन्दी-अंग्रेजी पत्रिकाओं मे लेखन व सम्पादन से भी सम्बद्ध रहे। ये पहाड़ पत्रिका के फोटो संपादक भी थे।

वास्तव मे कमल जोशी जी ने फोटोग्राफरी और पत्रकारिता के जरिए उत्तराखंड की लोकसंस्कृति और लोकजीवन के अनछुये पहलूओं से देश दुनिया के सामने रखा था और उत्तरखंड और पहाड को एक नयी पहचान दिलाई थी। इनका कार्य बेहद प्रशंसनीय तो था ही अपितु अनुकरणीय भी। आज भले ही कमल दा हमारे बीच न हो लेकिन उनकी यादों और फोटो का अनमोल खजाना उनके चाहने वालों के बीच है!

एक बार फिर से आपको श्रद्धांजलि। नमन।

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35 बर्षों से पत्रकारिता के प्रिंट, इलेक्ट्रॉनिक व सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर सामाजिक, आर्थिक, राजनैतिक, धार्मिक, पर्यटन, धर्म-संस्कृति सहित तमाम उन मुद्दों को बेबाकी से उठाना जो विश्व भर में लोक समाज, लोक संस्कृति व आम जनमानस के लिए लाभप्रद हो व हर उस सकारात्मक पहलु की बात करना जो सर्व जन सुखाय: सर्व जन हिताय हो.
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