कर्नल अजय कोठियाल की निम् और उत्तरकाशी विदाई की एक ख़ास सौगात……….।
(कृष्ण कुड़ियाल की कलम से)
निम् में एक विश्व स्तरीय HIMALAYAN MUSIUM का निर्माण अपनी अंतिम अवस्था में है। ये MONUMENT सिर्फ निम् और उत्तरकाशी ही नहीं बल्कि पूरे देश और प्रदेश के लिए एक बहुत बड़ी सौगात है। NIM PRINCIPAL कर्नल अजय कोठियाल निम् के अन्य भवन/ऑफिसियल बिल्डिंग्स के आरसीसी युक्त डिज़ाइन से अलग इस म्युसियम को पूरी तरह से पहाड़ी वास्तु शैली मेँ डिज़ाइन करवाने परि-कल्पना की। इसमें उन्होंने इस डिज़ाइन हेतु एक लोकल स्थानीय आर्किटेक्ट के रूप मेँ मुझे एक अवसर दिया। इससे सम्बधित कुछ बातें और इसके निर्माण कि कुछ झलक मै यहाँ शेयर करना चाहूंगा।
निम् में एक हिमालयन म्युसियम पिछले 15 वर्षों से प्रस्तावित था जिसके लिए निम् के क्यूरेटर (मुसिऑलोजिस्ट) विशाल रंजन कई वर्षों से तत्कालीन कई निम् प्रिंसिपल्स के माध्यम से प्रयासरत थे ,कई बार निम् से फाइल दिल्ली जा चुकी थी , मगर इसका प्रस्ताव केंद्रीय स्तर पर केवल शुरुवाती कार्यवाही से कभी आगे बढ़ ही नहीं पाया …!
निम् के क्यूरेटर विशाल एक बेहद SINCERE और वेल क्वालिफाइड मुसिऑलोजिस्ट है उनके सहपाठीगण देश के विभिन्न टॉपमोस्ट म्युसियम में हेड हैं। निम् का पूर्व में म्युसियम वैसे तो उनके लिए उनकी क्वालिफिकेशन के हिसाब से अपेक्षित सीमित जॉब है। वो निम् में म्युसियम के अलावा अनेकों सबसे महत्वपूर्ण जिम्मेदारी पूरे शौक से निभाते हैं और NIM के केदारनाथ कार्य मेँ भी उनका एक बेहद जिम्मेदारी वाला BEHIND THE SCENES बेहद महत्वपूर्ण ROLE रहा है।
………….उत्तरकाशी स्थित निम् में अपने पढाई और एक्सपोज़र के हिसाब से एक शानदार पूरी आधुनिक तकनीकी और सिस्टम और हर तरह की पूरी हिमालयन ज्ञान इनफार्मेशन से लैस “HIMALAYAN MUSIUM” को बनाना उनके लिए हमेशा एक सपना रहा है। बिहार से BELONG करने वाले और उत्तरकाशी और उत्तराखंड को अपना घर बनाने वाले विशाल , दिल्ली यूनिवर्सिटी के हंसराज कॉलेज और नेशनल इंस्टिट्यूट ऑफ़ मुसिओलोग्य से ग्रेजुएट २ बार सिविल सर्विस (आईएएस/आईपीएस सर्विसेज ) के PRELIM और MAINS CLEAR कर इंटरव्यू स्टेज तक जा चुके हैं। मगर उनका पहला शौक हिस्ट्री और MUSEOLOGY रहा है & he preferred to pursue this………………!
उत्तराखंड के गढ़वाल क्षेत्र से पहली बार निम् प्रिंसिपल के रूप में जब कर्नल अजय कोठियाल का उत्तरकाशी आगमन हुआ तो हमेशा कि भाँती उन्होंने नए प्रिंसिपल के समक्ष भी पूरी केस हिस्ट्री के साथ इसका प्रस्ताव रखा मगर इस बार इन नए प्रिंसिपल ने इस प्रोजेक्ट कि उपयोगिता को तुरंत भली भाँती समझते हुए इसको स्वयं दिल्ली मेँ जाकर,वही डेरा डाल कर इस बार इसको FINALLY पास करवाने का मन बनाया…।
कीर्ति चक्र , शौर्य चक्र , विशिष्ठ सेवा मेडल युक्त गढ़वाल रेजिमेंट के कर्नल अजय कोठियाल आर्मी और मिनिस्ट्री ऑफ़ डिफेंस में एक WELL KNOWN मिलनसार FIGURE होने और इस कार्य को हर हाल में करवाकर लाने का उनका दृढ़ निश्चय फाइनली इस प्रोजेक्ट को १५ वर्ष बाद अप्रूवल करवाने मेँ मददगार रहा।
……………………Besides the Architect for the building , Architect Akshay Joshi from kumaon was selected to do the interiors , local pahadi artisans from remote Mori area were called to do the traditional wood carving & stone work & Government Rural works department under xcn-Vibhu vishwamaittar was the government execution agency..All of them have done a marvellous job..
………………..THIS MUSEUM IS ONE THE MANY GREAT WORKs & TRIBUTEs BY COL. AJAY KOTHIYAL —-TO THE OPPORTUNITY GIVEN TO HIM BY THE INDIAN ARMY /MINISTRY OF DEFENCE AS PRINCIPAL NIM….LOCATED IN HIS HOMELAND GARHWAL…DEFINITELY HE WOULD ALWAYS REMEMBERED as being THE MOST OUTSTANDING PRINCIPAL IN THE HISTORY OF NIM.. who extended the role of NIM much much beyond its scope of work, jurisdiction & expertise. …. NIM & UTTARKASHI WILL HIGHLY BENEFIT FROM THIS GREAT SHOWCASE LANDMARK PROJECT IN THE TIMES TO COME.
यह म्युसियम अपनी तरह एक पहला हिमालयन म्युसियम होगा।
UTTARKASHI & NIM THANKS COL.AJAY SIR FOR THIS.