* कालोनी के बीच में खुले शराब की दुकान को बंद कराया
* कांग्रेस नेता कवींद्र इस्टवाल ने निभाई अहम भूमिका
(वरिष्ठ पत्रकार गुणानंद जखमोला की फेसबुक वाल से)
प्रदेश सरकार एक ओर 2025 तक उत्तराखंड को नशा मुक्त करने का अभियान चला रही है तो दूूसरी ओर राजस्व के लिए सभी नैतिकता और सामाजिकता को दाव पर रखते हुए शराब के ठेके खोल रही है। आबकारी विभाग ने अकेले देहरादून से वर्ष 2023-24 के दौरान 1200 करोड़ रुपये शराब से कमाने का लक्ष्य रखा था। इस लक्ष्य को हासिल करने के लिए विभाग न केवल लग्जरी वाइन शॉप खोलने के लिए लाइसेंस दे रहा है बल्कि आबादी क्षेत्रों में शराब के ठेके खोलने का काम भी कर रहा है। कमाई के लिए पुराने लाइसेंस पर ही पूरा खेल चल रहा है।
अधिक राजस्व हासिल करने के लिए ऐसा ही एक शराब की दुकान बालावाला क्षेत्र के भगवान दास चौक में खोली गयी। विदेशी शराब की इस दुकान के नजदीक ही स्कूल भी है और आबादी क्षेत्र में। दुकान खुलने का स्थानीय महिलाओं ने विरोध किया और लगातार धरना प्रदर्शन किया। इसमें कांग्रेस के प्रदेश सचिव कवींद्र इस्टवाल की अहम भूमिका रही। उन्होंने डीएम और अपर आयुक्त को इस संबंध में शिकायत की। कई दिनों तक चले आंदोलन के बाद आखिरकार कल शराब की दुकान को शिफ्ट करने के आदेश दे दिये गये हैं। बता दूं कि देहरादून जिले में शराब के ठेकों के अलावा विदेशी शराब की 125 से अधिक दुकानें खुल चुकी हैं। इन दुकानों पर सबसे सत्ती शराब भी 1500 रुपये की है।