* वैष्णव परम्परा के समस्त मंगल-चिन्ह सुदर्शन चक्र, पद्मपुष्प, शंख और मंगल- कलश दर्शाया गया
* आभूषणों का निर्माण अंकुर आनन्द की संस्थान हरसहायमल श्यामलाल ज्वैलर्स लखनऊ ने किया
* शीष पर माणिक्य, पन्ना और हीरा जड़ा सोने का मुकुट
(मनोज इष्टवाल)
आखिरकार हिन्दू सनातन धर्मावलम्बियों का 500 बर्ष पुराना इंतजार खत्म हो गया है। अयोध्या में पुरुषोत्तम राम नए मंदिर में विराजमान हो चुके हैं। जानकारी के मुताबिक दोपहर को 12:30 बजे परिजात मुहूर्त श्रीराम के नवीन विग्रह की प्राण प्रतिष्ठा शुरू हुई। मात्र 84 सेकेंडस अर्थात एक मिनट 24 सेकेंड्स के अद्भुत योग में बीच श्रीराम की प्राण प्रतिष्ठा की पूर्ण की गई। यह दृश्य अद्भुत था क्योंकि लगभग 504 बर्ष बाद पुरुषोत्तम राम अपने मंदिर रुपी महल में विराजमान हुए। आज देश का हर घर दिव्य रामज्योति से जगमगा रहा है और दीपावली के बम-पटाके गगनचुम्बी आवाज के साथ आसमान छू रहे हैं। यह दृश्य अद्भुत व मनोहारी है, सचमुच लग रहा है मानो रामराज आ गया हो।
अयोध्या में प्रभु श्रीराम भव्य और दिव्य मंदिर में विराजमान हो गए हैं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, संघ प्रमुख मोहन भागवत और उत्तरप्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ समेत संत समाज और अति विशिष्ट लोगों की उपस्थिति में रामलला के श्रीविग्रह की प्राण प्रतिष्ठा संपन्न हो गई है।
यह अपने आप में बेहद मनोहारी व दिव्य व भव्य क्षण थे जब प्राण-प्रतिष्ठा के बाद श्रीराम के बालरूप की पहली झलक सामने आई थी। सामने आई तस्वीर में पांच साल के पुरुषोत्तम राम का बहुत ही मनमोहक रूप आंखों में बस जाने वाला है।
बालरूप की इस छवि में श्रीराम की आंखों में मासूमियत, होठों पर मुस्कान, चेहरे पर गजब का तेज दिखाई दे रहा है। कुछ पल एकाग्र मन से राम जी कि मूर्ती को एकटक निहारते रहने से ऐसा महसूस हो रहा है मानो वह मेरे मन की हर बात जानकर मंद-मंद मुस्करा रहे हों। यकीनन उनकी पहली झलक दिल में बस जाने वाली है। भगवान की पहली झलक देखकर एक बात तो साफ है कि कर्नाटक के मूर्तिकार अरुण योगीराज ने जब मूर्ती को मूर्त रूप देना शुरू किया होगा तब स्वयं राम लला उन्हें अपनी बालपन की मूर्ती बनाने के लिए प्रेरित कर रहे हों व उनका उन्हें मार्गदर्शन मिल रहा हो। मैसूर के फेमस मूर्तिकार अरुण योगीराज ने सचमुच पुरुषोत्तम राम की ऐतिहासिक प्रतिमा बनाई है। यह मूर्ती 51 इंच की आज मंदिर के गर्भगृह में विराजमान हो गयी है।
श्रीराम के वस्त्राभूषण व साज-श्रृंगार
पुरुषोत्तम राम के पांच साल के बाल्यरूप को प्राण प्रतिष्ठा के अवसर पर खास शृंगार से सुसज्जित किया गया था। उन्हें दिव्य आभूषणों और वस्त्रों से सजाया गया था। इन दिव्य आभूषणों का निर्माण अध्यात्म रामायण, श्रीमद्वाल्मीकि रामायण, श्रीरामचरिमानस और आलवन्दार स्तोत्र के अध्ययन और उनमें वर्णित श्रीराम की शास्त्रसम्मत शोभा के अनुसार शोध और अध्ययन के बाद किया गया है। इस शोध के अनुसार ही यतींद्र मिश्र की परिकल्पना और निर्देशन में इन आभूषणों का निर्माण अंकुर आनन्द के संस्थान हरसहायमल श्यामलाल ज्वैलर्स लखनऊ ने किया है।
इस साजो-श्रृंगार में श्रीराम बनारसी वस्त्र से बनी पीताम्बर धोती और लाल रंग के पटुके (अंगवस्त्रम) से सुशोभित हैं। इन वस्त्रों पर शुद्ध सोने की जरी और तारों से काम किया गया है। इनमें वैष्णव मंगल चिन्ह- शंख, पद्म, चक्र और मयूर भी अंकित किया गया है। इन वस्त्रों का निर्माण अयोध्या रहकर दिल्ली के सुप्रसिद्ध डिजाइनर मनीष त्रिपाठी ने किया है।
रामलला के आभूषण