बाबा केदार के जयकारों से गूंज उठा धाम
रुद्रप्रयाग (हि. डिस्कवर)।
भैयादूज के पावन पर्व पर केदारनाथ धाम के कपाट शीतकाल के लिए सुबह 8:30 बजे बंद कर दिए गए। इस दौरान बाबा केदार के जयकारों से धाम गूंज उठा। मंगलवार को केदारनाथ में बाबा केदार की पंचमुखी मूर्ति को विधि-विधान और पूजा-अर्चना के साथ भंडारगृह से मंदिर के सभामंडप में विराजमान कर दिया गया था। सुूबह चार बजे से मंदिर के गर्भगृह में पूजा-अर्चना शुरू हुई।
आज भैया दूज के साथ दीपावली पंच पर्व का उत्सव भी समापन हो रहा है। ऐसे ही उत्तराखंड में स्थित चार धामों के कपाट बंद होने की प्रक्रिया शुरू हो चुकी है। यहां से श्रद्धालुओं वापसी कर रहे हैं। बता दें कि शुक्रवार गोवर्धन पूजा के दिन गंगोत्री धाम के कपाट विशेष पूजा-अर्चना के बाद 6 महीने (शीतकालीन) के लिए बंद कर दिए गए थे। आज इसी कड़ी में भैया दूज पर सुबह आठ बजे ग्यारहवें ज्योर्तिलिंग भगवान केदारनाथ मंदिर के कपाट आज भैया दूज पर पूजा-प्रक्रिया के बाद विधि-विधान से शीतकाल के लिए बंद कर दिए गए।
सेना के बैंड की भक्तिमय धुनों के साथ कपाट बंद होने के बाद पंचमुखी विग्रह मूर्ति विभिन्न पड़ावों से होते हुए शीतकालीन गद्दी स्थल श्री ओंकारेश्वर मंदिर ऊखीमठ में विराजमान होंगे। अगले छह माह भोले बाबा के दर्शन यहीं होंगे। सुबह छह बजे पुजारी बागेश लिंग ने केदारनाथ धाम के दिगपाल भगवान भैरवनाथ का आह्वान कर धर्माचार्यों की उपस्थिति में स्यंभू शिव लिंग को विभूति और शुष्क फूलों से ढंककर समाधि रूप में विराजमान किया गया। ठीक सुबह आठ बजे मुख्य द्वार के कपाट शीतकाल के लिए बंद कर दिए गए। इस अवसर पर बड़ी संख्या में श्रद्धालु कपाट बंद होने के साक्षी रहे।
सात नवंबर को केदारनाथ की डोली विश्वनाथ मंदिर गुप्तकाशी प्रवास के लिए पहुंचेगी। आठ नवंबर को भगवान केदारनाथ की पंचमुखी डोली के पंच केदार गद्दी स्थल ओंकारेश्वर मंदिर में विराजमान हो जाएगी। इसी के साथ भगवान भगवान केदारनाथ की शीतकालीन पूजा शुरू होगी। बता दें कि 5 नवंबर शुक्रवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बाबा केदारनाथ धाम आकर पूजा-अर्चना की थी। इसके बाद पीएम मोदी ने यहां आदि गुरु शंकराचार्य की प्रतिमा का भी अनावरण किया था। बाबा केदारनाथ धाम कपाट के बंद होने के 4 घंटे बाद यमुनोत्री धाम के कपाट भी पूरे विधि विधान के साथ दोपहर 12:15 बजे शीतकालीन बंद कर दिए गए। इसके बाद शनि महाराज के नेतृत्व यमुना की डोली अपने शीतकालीन प्रवास स्थल खरसाली पहुंचेगी। इससे पहले सुबह शीतकालीन पड़ाव खरसाली से समेश्वर देवता (शनि देव) की डोली अपनी बहन यमुना को लेने धाम पहुंची। खरसाली स्थित मां यमुना के मंदिर को सजाने के लिए फूल मंगाए गए हैं। मंदिर को भव्य तरीके से सजाया गया है।
बता दें कि चारों धामों में से भगवान बदरीनाथ धाम के कपाट इसी महीने 20 नवंबर को शीतकालीन के लिए बंद किए जाएंगे।
बाबा की चल उत्सव विग्रह डोली धाम से शीतकालीन गद्दीस्थल ओंकारेश्वर मंदिर ऊखीमठ के लिए प्रस्थान करते हुए रात्रि प्रवास के लिए पहले पड़ाव रामपुर पहुंचेगी। 17 नवंबर को बाबा केदार छह माह की शीतकालीन पूजा-अर्चना के लिए ओंकारेश्वर मंदिर में विराजमान हो जाएंगे।