मुग़ल सम्राट औरंगजेब की पुत्री जैबून्निसा थी राजा बुंदेला छत्रसाल की प्रेमिका।
(मनोज इष्टवाल)
क्या हम जानते हैं कि सूर्यवंशी बुंदेलखंड के बुंदेला शासक पुरुषोत्तम श्रीराम के वंशज हैं? जहाँ अहीर कृष्ण वंशज कहलाये, वहीं बुंदेला राम वंशज…..। बुंदेला राजा छत्रसाल अहीर माँ का दुग्धपान कर अहीरों से ही शस्त्र शास्त्र विद्या लेकर पन्ना राज्य का ऐसा महान राजा कहलाया जिस पर औरंगजेब भी कभी विजयी हासिल नहीं कर पाया। और तो और औरंगजेब की पुत्री जैबून्निसा जो मुगलिया सल्तनत की सबसे खूबसूरत राजकुमारी कही जाती थी, बुंदेला राजा छत्रसाल के अदम्य साहस, वीरता व उनकी ख़ूबसूरती की इतनी दिवानी थी कि वह हर पल हर घड़ी बुंदेला राजा छत्रपाल के ख्वाबों में ही खोई रहती थी।
औरंगज़ेब ने अपनी पुत्री जैबून्निसा जो असाधारण बुद्धिमति तथा स्वतंत्र विचारों की थी। कहा जाता है कि औरंगजेब ने शिवाजी के पुत्र शाहूजी को सात वर्ष की अवस्था में क़ैदखाने में डाल दिया था जिसके लालन-पालन की ज़िम्मेदारी उन्होंने अपनी पुत्री जैबून्निसा को दे दी थी। अब आप कहेँगे कि शिवाजी के पुत्र तो शम्भाजी हुए। जी हाँ… शिवाजी के बड़े पुत्र सम्भा जी ही हुए जिन्हें मुग़ल सपने में भी देखना पसंद नहीं करते थे।
जैबुनिसा राजा बुंदेला के प्रेम में पगला गई थी, वह जानती थी कि औरंगजेब जैसे कट्टर पिता के कारण वह कभी राजा बुंदेला की पत्नी नहीं बन सकती और इसी कारण उसने विवाह नहीं किया। वह गजल या काव्य में अरबी भाषा में अपने प्रेम का इजहार करती। मुग़लिया हरम में रखी गई महिलाओं, नर्तकियों, रखैलों को देखकर मुग़ल हरम के प्रति मन ही मन विद्रोह पैदा हुआ और उसने ऐसी महिलाओं के व्यक्तिगत चित्र बनवाये।
यूरोपीय यात्री मनुचि ने औरंगज़ेब काल में कई वर्ष भारत में रहा। उन्होंने लिखा कि मुग़ल रानियाँ व शहज़ादियाँ हमेशा पर्दे में ही रहती थी इसलिए उनके चित्र बनाये जाएँ ऐसा मुमकिन नहीं है। ये जितने भी चित्र बनाये गये हैं, हो न हो ये सब हरम कि महिलायें व नर्तकियां, रखैलें हों।
औरंगजेब के काल के किसी भी चित्रकार ने अपने चित्रों में अपना नाम नहीं लिखते थे।
बताया जाता है कि औरंगजेब को जब इसकी भनक लगी कि राजा बुंदेला छत्रसाल से उनकी शहजादी जैबून्निसा प्रेम करने लगी है तब उन्होंने उसकी चौकसी बढ़ा दी और पन्ना के राजा छत्रपाल पर कई बार आक्रमण किया लेकिन हर बार उसकी सेना को हार का मुंह ही देखना पड़ा। यह अलग बात है कि सेक्युलर इतिहासकारों ने यह बात लिखने की जगह औरंगजेब को सारे भारत का एक छत्र राजा बना डाला जबकि मराठा व बुंदेला कभी इनके अधीन नहीं हुए। कहते हैं कि राजा बुंदेला से मुहब्बत रखने के कारण ही औरंगजेब ने अपनी शहजादी जैबून्निसा को कैद खाने में डाल दिया था व वह ताउम्र कैदखाने में रही। उसे सनातन हिन्दू परंपरायें इतनी पसंद आई कि उसने कृष्ण को ही अपना सब कुछ इसलिए मान लिया क्योंकि राजा बुंदेला ने कृष्णवंशी अहीर माता का दुग्ध पिया था।
इतिहासकारों के ऐसे ही गुढ़मुड़ इतिहास संरचना में एक किरदार बाजीराव मस्तानी का सामने आता है। बताया जाता है कि मस्तानी मुग़ल नर्तकि थी जिसे राजा बुंदेला मुग़ल राजाओं से छीन लाये थे। वह इतनी खूबसूरत थी कि उस कर पेशवा बाजीराव मुग्ध हो गये। राजा बुंदेला छत्रसाल ने उसका विवाह बाजीराव पेशवा से करवा दिया। कुछ इतिहासकारों ने तो मस्तानी को छत्रसाल की पत्नी बना दिया तो कुछ ने उसे मुग़ल शहजादी कृष्ण प्रेमिका मस्तानी।
4 मार्च 1707 में मृत्यु 51 बर्ष भारत बर्ष के ज्यादात्तर राज्यों पर एकछत्र राज करने वाले औरंगजेब की 89 बर्ष कि अवस्था में मृत्यु के बाद जहाँ मुग़ल सामराज्य छिन भिन्न होना शुरू हुआ वहीं राजा बुंदेला छत्रसाल ने मुग़ल कैद से जैबून्निसा को आजाद किया व उसे अपने साथ ले आये लेकिन उसके साथ विवाह नहीं कर पाये। कुछ इतिहासकारों का मत है कि जैबून्निसा औरंगजेब की कैद में ही प्राण त्याग चुकी थी तो कुछ गाथाओं में जैबून्निसा वही कृष्ण भक्त मस्तानी है जिसे राजा बुंदेला ने मुग़ल कैद से आजाद करवा तो दिया लेकिन समाज ने उन्हें विवाह की मंजूरी न दी जिसके चलते उन्होंने उसका विवाह पेशवा बाजीराव से करवा दिया लेकिन ब्राह्मण राजा पेशवा बाजीराव के इस विवाह पर पूरे समाज ने उन पर अंगुली उठानी शुरू कर दी व उनकी पहली पत्नी काशीबाई ने उन्हें मस्तानी को राजमहल में रहने की इजाजत नहीं दी। थक हार कर बाजीराव ने मस्तानी के लिए 1734 में अलग महल बनवा व उन्हें दूसरी पत्नी के रूप में अंगीकार किया।
बहरहाल इतिहास की गर्त में क्या क्या छिपा है वह कहा नहीं जा सकता क्योंकि जिन सेकुलर इतिहासकारों ने अपने फायदे के लिए हिन्दू सनातन धर्म ग्रंथों की ऋचायें तक बदल दी उन्हें जैबून्नीसा को मस्तानी बनाने में समय ही कितना लगता। आप बाजीराव व मस्तानी एवं छत्रसाल व जैबून्निसा के चित्रों को मिलान करेंगे तो मस्तानी व जैबून्नीसा के चित्र में काफी समानता दिखने को मिलेगी। मैं यह तो प्रमाणिकता के साथ नहीं कह सकता कि जैबून्नीसा व मस्तानी एक हैं लेकिन राजा बुंदेला छत्रसाल की जैबून्नीसा प्रेमिका थी इसकी प्रमाणिकता अवश्य इतिहास में दर्ज है।