इगास पर्व पर प्रधानमंत्री ने दी शुभकामनाएं। अनिल बलूनी बोले- इगास पर्व अब उत्तराखंडी लोकजीवन में तेजी से पुनर्स्थापित हो रहा है।
◆ प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, गृहमंत्री अमित शाह व भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा ने पत्र लिख दी इगास पर्व की शुभकामनाएं।
◆ राज्य सभा सांसद व केंद्रीय प्रवक्ता अनिल बलूनी के घर इगास मनाने पहुंचे देश भर के शीर्ष राजनेता व आला अधिकारी।
(मनोज इष्टवाल)
जहां एक ओर उत्तराखंड राज्य निर्माण के इन 22 बर्षों में उत्तराखंड के 10 पहाड़ी जनपदों से मैदानी भू-भागों में बहुत तेज गति से पलायन हुआ वहीं हमारी लोक विरासत के लोक समाज में रची बसी लोक परंपराएं, धर्म-संस्कृति, लोक संस्कृति व तीज-त्यौहारों का भी उसी तेजी से ह्रास हुआ है। उत्तराखंड के पर्वतीय जनपद इस बदलते परिवेश के सबसे बड़े संक्रमण काल से गुजरते दिखे। लोग सैकड़ों हैक्टेयर जमीन पुरखों के बसाए गांव व पर्वतीय शिल्प कला का अद्भुत उदाहरण पेश करते घर चौखट को छोड़ मिदानी भू-भाग के छोटे से परिवेश में घुल मिल गए। जहां न उन्हें लोक ही दिखा न लोक के वैधानिक तत्व ही कहीं नजर आए। देखा-देखी व अपने को मॉडर्न समाज से जोड़ने के लिए वह जनेऊ की उस हर लड़ को तोड़ते आगे बढ़ते गए जिसने हिमालय जैसी विशाल वैभवशाली परम्पराओं को इतिहास में समेटे रखा था।
इस भागम-भाग की जिंदगी में अपनी राजनीतिक रोटियां सेंकने वाले विधायक व मंत्री जो बनें, उन्होंने भी पलटकर कभी न देखा न सोचा कि जिन्हें जनता ने अपनी आवाज बुलंद करने के लिए विधानसभा में भेजा उनके लिए उनकी आवाज कहीं कुंद तो नहीं पड़ने लगी। राज्य जिन अवधारणाओं पर बना था वह तो बहते पहाड़ी गदेरे के समान रहा। जो अपने रगड़- बगड़ में सारी दोमट, बलुवी व उर्वरा मिट्टी बहाकर मैदान ले गयी व पहाड़ के हिस्से में दे गई तो सिर्फ गंगलोडे…!
ऐसे में अचानक एक नाम तेजी से सामने आया…अनिल बलूनी। राज्य सभा सांसद व भाजपा के केंद्रीय प्रवक्ता! उन्हें लगा कि माइग्रेशन की जड़ में क्या कुछ है। पाया अगर यही सब चलता रहा तो आने वाले कल में हमारा वजूद ही नहीं बचा रहेगा। न धर्म न संस्कृति न लोक न परम्परा न पर्व न कौथिग. .! उन्होंने सर्व प्रथम इसी को लेकर आत्मचिंतन किया व लोकपर्व जिंदा करने का जयघोष ढूंढा- इगास व बग्वाल। दूसरा मेरा वोट मेरे गांव..!दोनों ही विलक्षण कार्य…लेकिन क्या बोल कर सब हो जाएगा। सोचा मुझे ही पहल करनी होगी। पहली पहल यह हुई कि गांव जाकर इगास का भैलो खेलूंगा। दूसरी पहल हुई अपना नाम गांव वोटरलिस्ट में डालूंगा। लेकिन विधि का विधान देखिए ऐन दीवाली से पूर्व ही उन्हें कैंसर से जूझना पड़ा लेकिन तब भी हिम्मत न हारी व भाजपा के राजनीतिक सखा व प्रवक्ता संबित पात्रा को इगास पर अपने गांव भेजकर इस त्यौहार को पुनर्जीवित करने की मुहिम छेड़ी। 2016 से लेकर 2022 तक पंच बर्षीय योजना के बाद अब लगने लगा है कि उनका यह प्रयास सिर्फ उत्तराखंड तक ही सीमित नहीं रहा बल्कि विश्व पटल में जहां जहां भी भारतवंशी रह रहे हैं वहां -वहां इस बर्ष इगास के भैलो ने अपनी लोक परम्पराओं की शुरुआत कर दी है।
स्विट्जरलैंड के बाद इस बार अमेरिका में भी भैलो खेला।गया। देश के सभी बड़े शहरों में इसकी शुरुआत हुई। राजधानी देहरादून के रेसकोर्स में पंजाबी कम्युनिटी, आरएसएस संघ शाखा, प्रेस क्लब, सोशल बलूनी पब्लिक स्कूल, दून यूनिवर्सिटी (राठ जनविकास समिति), पौड़ी गढ़वाल जिला प्रशासन, मसूरी जिला प्रशासन, राम नगर सहित पूरे प्रदेश भर में बहुत धूमधाम से इगास मनाई गई। सबसे खुशी की बात यह है कि नौकरी पेशा लोग बर्षों बाद अपने अपने गाँव इगास मनाने गए हैं।
कैंसर से विगत कई बर्षों से जूझ रहे भाजपा के केंद्रीय प्रवक्ता अनिल बलूनी पर कई सेकुलरों के तंज सोशल साइट पर दिखने को मिले। उन्हें कहा गया कि इगास पुरूष क्या अपने गाँव इगास मनाने आएंगे। इस पर जन भावनाओं की कद्र करते हुए अनिल बलूनी ने चुप्पी साधे रखी क्योंकि उन्हें आभास था कि ऐसे कई प्रश्न जरूर उठेंगे लेकिन वे किस किस को यह कहते फिरें कि उन्हें पूर्ण रूप से स्वस्थ होने में अभी भी समय लगेगा। आखिर उन्होंने इस बार इगास लोकपर्व का बड़ा औरा तैयार किया व अपने दिल्ली स्थित आवास में ही इगास पर्व मनाने का निर्णय लिया जिसमें देश के महामहिम उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ , देश के रक्षामंत्री राजनाथ सिंह, वित्त मंत्री श्रीमती निर्मला सीतारमन, वाणिज्य मंत्री पीयूष गोयल, पेट्रोलियम मंत्री हरदीप पुरी, सूचना प्रौद्योगिकी के राज्य मंत्री राजीव चंद्रशेखर, संबित पात्रा सहित उत्तराखंड की मिट्टी में जन्मे भारत के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल, सीडीएस जनरल अनिल चौहान, पूज्य संत अवधेशानंद, सहित सेना के दिल्ली में तैनात उत्तराखंड मूल के अखिल भारतीय सेवाओं के अधिकारियों, दिल्ली स्थित उत्तराखंड कैडर के अधिकारी उपस्थित रहे।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अनिल बलूनी को पत्र लिखकर शुभकामनाएं देते हुए कहा कि “आपके द्वारा इगास पर्व के दिल्ली में आयोजन से यहां के वासियों को भी उत्तराखंड की गौरवशाली परम्पराओं को जानने व समझने का मौका मिलेगा…उन्होंने लिखा कि-
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के पत्र व राजनेताओं सहित देश की प्रमुख हस्तियों के “इगास पर्व “ में शिरकत करने पर अनिल बलूनी ने अपने सोशल पेज पर उदगार व्यक्त करते हुए कहा कि “मेरे लिए बड़े आत्मसंतोष और गौरव का विषय है कि इगास पर्व अब उत्तराखंडी लोकजीवन में तेजी से पुनर्स्थापित हो रहा है। मुझे इसलिए भी प्रसन्नता है कि इस पर्व के पुनर्जीवन अभियान में आपके साथ मुझे भी थोड़ा बहुत योगदान करने का अवसर मिला। उत्तराखंड के सुदूर गांवों से लेकर देश की सम्मानित विभूतियों तक का इसमें सम्मिलित होना इसकी लोकस्वीकार्यता पर बड़ी उपलब्धि है।
आदरणीय प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी जी मोदी जी, आदरणीय गृहमंत्री श्री अमित शाह जी, एवं भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष आदरणीय श्री जगत प्रकाश नड्डा जी द्वारा उत्तराखंड वासियों को सोशल मीडिया के माध्यम से इगास पर्व की बधाई देना मेरे लिए बड़े गर्व का विषय है।
कल इगास की संध्या पर मेरे आवास पर देश के महामहिम उपराष्ट्रपति श्री जगदीप धनखड़ जी, देश के रक्षामंत्री आदरणीय राजनाथ सिंह जी, वित्त मंत्री आदरणीया श्रीमती निर्मला सीतारमन जी, वाणिज्य मंत्री आदरणीय श्री पीयूष गोयल जी, पेट्रोलियम मंत्री आदरणीय श्री हरदीप पुरी जी, सूचना प्रौद्योगिकी के राज्य मंत्री आदरणीय श्री राजीव चंद्रशेखर जी सहित इस अवसर उत्तराखंड की मिट्टी में जन्मे भारत के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार श्री अजीत डोभाल जी, सीडीएस जनरल अनिल चौहान जी, पूज्य संत अवधेशानंद जी, सहित सेना के, दिल्ली में तैनात उत्तराखंड मूल के अखिल भारतीय सेवाओं के अधिकारियों, दिल्ली स्थित उत्तराखंड कैडर के अधिकारियों की उपस्थिति हमारी लोकसंस्कृति के प्रति उनके अगाध सम्मान की प्रतीक है। साथ ही देश के प्रतिष्ठित मीडिया घरानों के प्रमुखों, मीडिया संस्थानों के संपादकों सहित मीडिया के दैनिक साथियों की उपस्थिति ने इस अवसर पर आकर मुझे अनुग्रहित किया उन सभी का मैं ह्रदय से आभारी हूं।”