देहरादून। सीएम पुष्कर सिंह धामी ने उत्तराखंड को 2025 तक देश के सर्वश्रेष्ठ राज्यों में शुमार करने की कवायद की है। इस लक्ष्य को हासिल करने के लिए उन्होंने अपनी मजबूत टीम को मैदान में उतारने की तैयारी की है। यही कारण है कि उनकी टीम में सदस्यों का चयन भले ही धीरे-धीरे हो रहा है लेकिन यह टीम जीत के लक्ष्य को लेकर चल रही है। सीएम धामी ने हाल में जिन अफसरों को अपनी टीम में शामिल किया है उनकी छवि बेदाग है और उनको योजनाओं को धरातल पर उतारने में महारत हासिल है। उन्होंने ईमानदार छवि के अधिकारियों को महत्वपूर्ण जिम्मेदारियां देनी शुरु कर दीं।
मुख्यमंत्री ने सरल स्वभाव और बेदाग छवि की आईएएस अफसर राधा रतूड़ी को अपर मुख्य सचिव मुख्यमंत्री का दायित्व सौंपकर अपने सचिवालय में अच्छे अधिकारियों को जगह देने की शुरुआत की। हाल में पीसीएस से आईएएस बने अपर सचिव ललित मोहन रयाल, नवनीत पांडे, जगदीश चंद्र कांडपाल और एम.एम सेमवाल शामिल हैं। इसी बीच धामी अपनी टीम (सीएम सचिवालय और निजी स्टाफ) को भी विस्तार देते गए। तमाम लोगों की सिफारिश होने के बावजूद उन्होंने राजेश सेठी को अपना जनसम्पर्क अधिकारी नियुक्त किया। सेठी धामी के पहले कार्यकाल में भी इस महत्वपूर्ण जिम्मेदारी का बखूबी निर्वहन कर चुके हैं।
पारदर्शी, जवाबदेह और जनकल्याणकारी शासन पर जोर
मुख्यमंत्री ने इस अफसरों को सीएम कार्यालय में तैनाती देकर यह संदेश दे दिया है कि गैर-जिम्मेदार और कागजी योजनाओं वाले अफसरों को उनकी टीम में जगह नहीं मिलेगी। इन अफसरों की तैनाती से मुख्यमंत्री धामी जहां एक ओर अपने विरोधियों का मुंह बंद करने में कामयाब रहे हैं कि सीएम अपनी टीम का चयन नहीं कर पा रहे हैं, वहीं जनता के बीच संदेश गया है कि धामी उत्तराखंड को विकास की राह पर ले जाने के लिए ईमानदार कोशिश कर रहे हैं। इससे एक बहुत बड़ा मुख्यमंत्री ने संदेश भी दिया है कि सरकार पारदर्शी जनहित व लोक कल्याण को प्राथमिकता देगी। सीएम धामी ने अपने पहले कार्यकाल के दौरान ही सचिवालय में गैर-जरूरी व संदिग्धों की इंट्री पर बैन लगा दिया था और अब ईमानदार पारदर्शी अफसरों को अपनी टीम में लाकर मुख्यमंत्री धामी ने एक बड़ा संदेश भी दे दिया है। सूत्र बताते हैं कि जल्द ही मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी और भी बड़े और चौंकाने वाले फैसले ले सकते हैं।
बड़े राजनेताओं की सिफारिश और दबाव बीते जमाने की बात
सूत्रों के मुताबिक सीएम धामी ने सचिवालय में अब दबाव की राजनीति और प्रभाव का इस्तेमाल करने वाले अफसरों की इंट्री न करने का फैसला किया है। सीएम सचिवालय में कौन अफसर दाखिल होगा और वह कितना ठहर सकेगा, यह उसकी कर्तव्यनिष्ठा, काम के प्रति समर्पण और नीतियों को धरातल पर उतारने के लिए किये गये प्रयासों का आधार तय करेगा। बड़े राजनेताओं की सिफारिश और दबाव के बूते मुख्यमंत्री की टीम में शामिल होना अब उत्तराखण्ड में बीते जमाने की बात हो गई है। जनता को सुशासन, पारदर्शी और जवाबदेह प्रशासन उपलब्ध कराना उनकी प्राथमिकता रहेगी।