देहरादून (हि. डिस्कवर)।
धूमसू जौनसारी जनजाति सांस्कृतिक एवं सामाजिक संस्था एवं स्वरांजलि संगीत विद्यालय संगीत विद्यालय द्वारा जौनासर बाबर के जाने माने लोकगायक जगत राम वर्मा की पुण्यतिथि पर वृक्षारोपण कर उन्हें याद करते हुए श्रद्धांजलि दी। इस दौरान लोकगायक जगत राम वर्मा के पुत्र परिजन व जौनसार बावर के जाने माने लोककलाकार उपस्थित रहे। लोककलाकारों द्वारा इस अवसर पर गीत संगीत के माध्यम से उन्हें याद किया।
ज्ञात हो कि 1 अगस्त के आगमन पर हरित क्रांति के मध्य नजर धूमसु संस्था के सौजन्य से स्थापित स्वरांजलि संगीत विद्यालय बेलावाला विकासनगर में विद्यालय की संस्थापक सुश्री शांति वर्मा तन्हा ग्रामवासियों को साथ लेकर पूर्वाहन 11:00 बजे स्वरांजलि संगीत विद्यालय परिसर के निकट एक बड़े भूखंड में जौनसार बाबर के लोकप्रिय गायक स्वर्गीय जगत राम वर्मा जी की पुण्यतिथि पर फलदार वृक्षों का वृक्षारोपण किया गया।
कार्यक्रम का शुभारंभ विद्यालय परिसर में छात्र-छात्राओं के द्वारा मां सरस्वती वंदना एवं महासू महाराज जी की वंदना गाकर किया गया। तत्पश्चात संवैधानिक संरक्षण मंच के संयोजक दौलत कुंवर, एवं कवित्री श्रीमती विमला आर्य, सुश्री शांति वर्मा तन्हा, गोपाल सिंह भीम दत्त शर्मा, विक्रम सिंह चौहान, हिमाचल प्रदेश के लोकप्रिय संगीतकार रोहित मोटका, एवं स्वर्गीय जगत राम के सुपुत्र राहुल वर्मा, अंशु वर्मा, सुषमा वर्मा द्वारा दिवंगत लोक कलाकार जगत राम वर्मा जी का स्मरण करते हुए आगंतुक सज्जनों सहित 2 मिनट का मौन रखकर उनके चित्र पर पुष्पांजलि अर्पित की गई। विद्यालय के छात्र-छात्राओं ने हरित क्रांति, सावन आया, वृक्ष लगाओ, हरेला के गीतों का सुंदर साज बाजों के साथ गायन वादन किया। श्रीमती विमला आर्य जी ने वर्षा ऋतु पर सुंदर कविता पाठ किया।
छात्र-छात्राओं को संबोधित करते हुए संस्था की अध्यक्ष एवं विद्यालय स्वरांजलि संगीत विद्यालय की संस्थापिका सुश्री शांति वर्मा तन्हा ने अपने वक्तव्य में कहा कि लोक गायक स्वर्गीय जगत राम की असमय मृत्यु जौनसार बावर के सांस्कृतिक इतिहास की क्षति पूर्ति कभी नहीं हो सकती,उन्होंने उनके गाए गीतों को याद करते हुए गजमोला, बिडरू मामा, कमला याद आँव मुख्ये तेरे ली जवानिया के बोल आदि गीत मील का पत्थर बताया।
उन्होंने कहा कि जिन गीतों की पुनरावृति आज की उभरते गायक कलाकार कर रहे हैं और वे सभी गीत जौनसार बावर के थाती माटी में बसे हैं। किंतु बड़ी दुर्भाग्य की बात है कि अपने गीतों में आवाज का जादू जाकर कर जौनसार बावर की संस्कृति को गीतों के माध्यम से देश-विदेश तक पहुंचाने वाले स्वर्गीय जगत राम वर्मा जैसे लोक कलाकारों को उत्तराखंड सरकार द्वारा ना ही स्मरण किया जा रहा है और ना ही उनकी स्मृतियों को संजोए रखने का प्रयास किया जा रहा है जिस कलाकार ने अपनी मातृभाषा जौनसारी गीत के लिए तथा जौनसार बावर की संस्कृति संरक्षण के लिए अपना सर्वस्व निछावर कर दिया हो,माना कि वे अब नहीं रहे किंतु एक कलाकार का ना रहना व सरकार द्वारा कोई सकारात्मक पहल ना होने के कारण उनका परिवार अपने आप को उपेक्षित महसूस कर रहा है। ऐसे में स्वर्गीय जगत राम वर्मा जी जैसे उच्च कोटि के कलाकारों की पुनरावृति होनी असंभव है इसी उपेक्षा के चलते आज अच्छे कलाकार अपना हुनर लिए क्षेत्रीय पृष्ठभूमि के हाशिए पर खड़े हैं या फिर उन्हें श्री जुबिन नौटियाल जैसी लंबी छलांग लगाकर इस संस्कृति का संरक्षण करना होगा। अन्यथा यह सरासर इस गौरवमई अनूठी लोक संस्कृति का ह्रास है।
धूमसु संस्था के अध्यक्ष स्वरांजलि संगीत विद्यालय के संस्थापक सुश्री शांति वर्मा तन्हा ने समस्त आगंतुकों का आभार प्रकट किया। विद्यालय के छात्र छात्राओं के साथ मिलकर विद्यालय के पास ही एक भूखंड पर फलदार वृक्षों का रोपण किया, साथ ही विद्यालय परिवार द्वारा फल मिष्ठान वितरण किया गया।उक्त कार्यक्रम में लोक गायक अंशु वर्मा थाती माटी समिति की दल नायिका मीना वर्मा सुरेश श्रीमती सुनीता लोक गायक गंभीर भारती, सुरेश, सूरज तोमर गायक राकेश दिलबर, सचिन वर्मा, अनूप चंगटा, अनुज, रजत, रीना खुशी तोमर, अमृत, वेदांश श्रीमती राधा बिजल्वाण आदि ने भाग लिया।