(मनोज इष्टवाल)
4-5 फरवरी 2018 सारे प्रदेश स्तब्ध रह जाता है जब पता चलता है कि उत्तरकाशी जिले की रूपिन सूपिन घाटी पँचगाई पट्टी विकास खण्ड मोरी का लगभग 35 परिवारों का पूरा गांव जलकर स्वाहा हो गया है। जनहानि व पशुहानि का आंकलन हेतु राजधानी के पत्रकार अपने उत्तरकाशी जिले के रूपिन सूपिन घाटी के सम्पर्क तलाश कर कैमरे व पिट्ठू तैयार ही कर रहे थे कि सोशल मीडिया पर खबर वायरल होने लगी कि जिलाधिकारी उत्तरकाशी जखोल गांव का ढाल उतर कर रूपिन नदी पार कर लगभग 7 किमी. पैदल चलकर सावणी गांव जा पहुंचे हैं। यह मेरे लिए बिल्कुल नया अनुभव था क्योंकि राजस्थान की थाती माटी में जन्मा एक आईएएस बिना तंत्र की परवाह किये ग्रामीणों के आंसू पोंछने सीमांत गांव जा पहुंचा यह यकीनन अचंभित करने वाली घटना थी। ग्राउंड रिपोर्टिंग कर रहे कुछ पत्रकारों के फोटो सोशल मीडिया में वायरल हुये तब भी लोगों को विश्वास नहीं हो रहा था कि यही शख्स जिलाधिकारी आशीष चौहान हैं।
फिर क्या था मन हुआ ऐसे प्रशासनिक सेवा में आये व्यक्तित्व को फोटो करूँ। उन्हें जानने की उत्सुकता बढ़ी तो पाया यह छरहरे बदन का अधिकारी जबरदस्त ट्रैकर भी है। जानकारी प्राप्त हुई कि उत्तरकाशी से लौटे एक स्पैनिश नागरिक और पर्वतारोही अंटोनिओ ने डॉ. आशीष चौहान के नाम स्पेन की एक अनाम चोटी समर्पित कर दी। इस चोटी पर सफल आरोहण कर अंटोनिओ ने इसकी जानकारी आईएएस आशीष चौहान और अपने सोशल पेज पर साझा की है। साथ ही स्पेन के माउंटनेयरिंग डिपार्टमेंट को भी इसकी जानकारी देने की बात कही।
जिलाधिकारी उत्तरकाशी रहते हुए आईएएस डॉ आशीष चौहान के पास 2018 में एक विदेशी नागरिक अंटोनिओ आए थे। अंटोनियो जब अपने वतन लौटे तो वह अफसर के काम का कायल हो गया। अंटोनिओ ने बातचीत में बताया कि उनके मन में डीएम डॉ आशीष चौहान को उनकी सहायता के एवज में इनाम देने की बात आई। इस पर वह स्पेन की एक अनाम चोटी पर आरोहण को निकल पड़े। चोटी पर सफल आरोहण करने के बाद उन्होंने तय किया कि इसका नाम आईएएस डॉ आशीष चौहान के नाम रखा जाए।
स्पेनिश नागरिक अंटोनिओ ने स्पेन की अनाम चोटी पर आरोहण की फ़ोटो और जानकारी सोशल साइट पर साझा की थी। डॉ. आशीष चौहान को सूचना दी गई की स्पेन के एक वर्जिन शिखर का नाम मजिस्ट्रेट पॉइंट (टॉप) तथा उस ट्रेक का नाम ‘वाया आशीष’ रख दिया गया है। भविष्य में स्पेन के पर्वतारोहण के रिकॉर्ड में इसका नाम मजिस्ट्रेट पॉइंट और वाया आशीष ही दर्ज होगा।
रूपिन – सूपिन घाटी के सीमांत गांव लिवाडी-फिताडी उस समय खुशी से झूम गए जब उन्हें पता चला कि जिलाधिकारी डॉ आशीष चौहान उनके गांव आ रहे हैं। यह स्वतंत्र भारत के इतिहास में पहली ऐतिहासिक घटना थी। आजादी के 70 सालों के बाद इन गावों में कोई जिलाधिकारी आया, तो गांव वालों के बीच खुशी की लहर दौड़ पड़ी। डीएम आशीष चौहान ने 31 अक्तूबर 2018 को फिताडी गाँव में बलबीर राणा के घर पर रात बिताई और लोगों की परेशानियों का हल निकालने के लिए हर प्रकार से कोशिश करने का वादा किया।इसके बाद अगले दिन उन्होंने फिताडी गाँव में शिविर लगाया और जनता से रूबरू हुए। ज्यादातर लोगों की परेशानी का मौके पर ही समाधान किया गया। इसके बाद 4 किलोमीटर की खड़ी चढ़ाई और पगडंडियों के सहारे डीएम लिवाड़ी गांव पहुंचे थे। उन्होंने 2-3 नवम्बर तक इस क्षेत्र में कैम्प किया व जनसमस्याएं सुनी।
24 मई 2018 को राजकीय इंटर कॉलेज घटवालधार की 06 छात्राएं वनाग्नि से आंशिक रूप से जल गई थी। जिन्हें ब्रह्मखाल स्थित स्वास्थ्य केंद्र में भर्ती करवाया गया। जिलाधिकारी फौरन मौके पर पहुंचे व उन्हें हर सम्भव प्राथमिक उपचार उपलब्ध करवाया।
18-19 अगस्त 2019 उत्तरकाशी जिले के हिमाचल से लगे सीमांत क्षेत्र में बादल फटने व जल प्रलय से कई लोगों की मौत, 17 लोग बहे तलाश जाती…! यह घटना भला कौन नहीं जानता होगा। कई गांवों के घर जमींदोज हो गए थे जिनमें प्रभावित क्षेत्र के माकुड़ी, चिंवां, मौंड़ा, बलावट, खकवाड़ी, टिकोची, आराकोट, डगोली, गोकुल, दुचाणु, मैंजणी, जगाटा इत्यादि प्रमुख हैं, में सबसे ज्यादा जनहानि, पशुहानि, फसल हानि हुई थी। इन गांवों के सारे रास्ते बंद हो गए थे। वहां तक घोड़े-खच्चर तो क्या आम आदमी भी नहीं पहुंच पा रहे थे। सारे टेलीफोन के सम्पर्क टूट चुके थे। ऐसे में भी जिलाधिकारी आशीष चौहान ने कमर कसी और सभी गांवों का दौरा कर त्वरित रिपोर्ट सरकार व शासन को भेज अतिशीघ्र राहत व बचाब कार्यो के लिए तत्कालीन मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत से सहायता की अपील की। मुख्यमंत्री ने भी बिना लाग लपेट के अतिशीघ्र राहत एवं बचाव कार्य हेतु हैलीकॉप्टर व रसद भेजी। जिससे ग्रामीणों के मध्य जिलाधिकारी आशीष चौहान की लोकप्रियता बढ़ गयी। ऐसे दर्जनों जनसेवा के उदाहरणों ने जिला उत्तरकाशी में उनकी छवि जननायक की बना डाली।
ट्रांसफर पर उन्हें देहरादून में गढ़वाल मंडल विकास निगम का कार्यभार सौंपा गया साथ ही उड्डयन मंत्रालय की जिम्मेदारी भी सौंपी गई। जहां उन्होंने अपनी प्रशासनिक दक्षता के साथ कार्य करते हुए जीएमवीएन के उन बिंदुओं पर काम करना शुरू कर दिया जो घाटे के साबित हो रहे थे।
51वें जिलाधिकारी के रूप में उनकी पोस्टिंग फिर से सीमांत जनपद पिथौरागढ़ में की गई। यह समझ पाना कठिन हुआ कि एक कुशल प्रशासक को पुनः सीमांत जनपद क्यों भेजा गया। सभी अचंभित भी हुए क्योंकि सभी को यह उम्मीद थी कि उनकी प्रशासनिक दक्षताओं को देखते हुए उन्हें हरिद्वार भेजा जा सकता है। यही सब जिलाधिकारी धिराज गर्ब्याल के साथ भी हुआ। जब कोई जिलाधिकारी अच्छा काम करना शुरू कर देता है और टटफुंजे नेताओं को मुंह नहीं लगाता तब वे अपने आकाओं से प्रशासनिक अमले के ऐसे कर्मयोगियों को साइड लाइन लगवाने के लिए ऐड़ी चोटी का जोर लगा देते हैं। गाज उन पर दोहरी गिरती है, पहला सिस्टम करप्ट है , दूसरा अधिकारी काम नहीं करना चाहता।
जनपद पिथौरागढ़ के डीएम डॉ आशीष चौहान को सामाजिक जागरूकता एवं बेहतरीन कार्यों के लिए बेस्ट आईएएस अफसर का अवार्ड मिला। मुंबई में 01 मई को आफ्टरनून वॉइस की तरफ से डीएम पिथौरागढ़ को न्यूजमेकर्स एचिवर्स अवार्ड 2022 से सम्मानित किया गया। मुंबई के प्रतिष्ठित समाचार एजेंसी आफ्टरनून वॉइस की तरफ से हर साल देशभर में सराहनीय कार्य करने वालों को सम्मानित किया जाता है। इस साल भी 2022 के अचीवर्स अवार्ड के लिए देशभर में लीक से हटकर काम करने वालों का सर्वे हुआ। इसके बाद सरकारी सेवा, सामाजिक क्षेत्र, राजनीति, एजुकेशन, चिकित्सा समेत अन्य क्षेत्र में बेहतर काम करने वालों का चयन हुआ। उत्तराखंड से नेपाल और चीन बॉर्डर से लगे पिथौरागढ़ जनपद में बतौर डीएम डॉ आशीष चौहान के कार्यों को देखते हुए उन्हें बेस्ट आईएएस अफसर के लिए चुना गया। डॉ चौहान ने पिथौरागढ़ में शिक्षा, स्वास्थ्य, सड़क, संचार, आपदा, पर्यटन समेत अन्य क्षेत्र में बेहतर कार्य किया है। डीएम आशीष चौहान की कई योजनाएं धरातल पर उतर चुकी हैं। जबकि कुछ पर काम चल रहा है। पिथौरागढ़ के कलक्ट्रेट भवन को डीएम ने एक हेरिटेज के रूप में तैयार किया है। इसमें अलावा समाज को जागरूक करने वाले कई कार्य किए।