(मनोज इष्टवाल)
उत्तराखंड भाजपा का एक और फायर ब्रांड नेता टिकट न मिलने से इतना व्यथित हुए कि पार्टी अध्यक्ष को इस्तीफा लिखकर अपनी सफाई पेश करते हुए वायरल ऑडियो का जिक्र करना नहीं भूले। रुद्रपुर से दो बार के विधायक रहे राजकुमार ठुकराल द्वारा मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी पर की गई टिप्पणी का ऑडियो वायरल क्या हुआ कि उन्हें मीडिया के सामने अपनी सफाई भी पेश की व साथ ही पार्टी व संगठन में भी गुहार लगाकर कहा कि यह उनकी आवाज नहीं है , चाहे तो जांच करवा लें । कल भाजपा की दूसरी लिस्ट में अपना नाम न पाकर राजकुमार ठुकराल इतने व्यथित हुए कि उन्होंने पार्टी अध्यक्ष को अपना इस्तीफा लिख भेजा और निर्दलीय चुनाव लड़ने का मन बना लिया।
अपने इस्तीफे में सफाई पेश करते हुए राजकुमार ठुकराल ने लिखा है कि मेरे साथ कुछ लोगों ने षड्यंत्र करके मेरा रूद्रपुर विधान सभा से टिकट कटवा दिया है, जबकि मैं 2012 व 2017 में दो बार का चुनाव जीता हूँ व भाजपा से मेयर पार्षदों को भी जीत दिलाता रहा हूँ। उन्होंने अपनी विधान सभा से 2014 में भगत सिंह कोश्यारी व 2019 में अजय भट्ट को सर्वाधिक मतों से लोकसभा सांसद हेतु विजय दिलाई थी।
उनके वायरल हुई इस पत्र से साफ था कि उनका ऑडियो जो वायरल हुआ है उसमें कहीं न कहीं उनके साथ षड्यंत्र किया गया है। प्रश्न तो अभी भी यही उठता है कि आखिर मैदानी भूभाग के विधायक ही ऐसी बदजुबानी क्यों करते हैं? क्या यह मैदान का कल्चर है या फिर दबंगई के लिए उनकी जुबान से ऐसे अल्फाज निकल जाया करते हैं।
ज्ञात हो कि राजकुमार ठुकराल 2019 में सीता जी को ‘मेरी जान’ कहकर संबोधित किया, और अब सोशल मीडिया पर वायरल विवादित वीडियो ने रुद्रपुर के विधायक राजकुमार ठुकराल और पार्टी दोनों को परेशानी में डाल दिया हैं। हालाँकि इस प्रकार की हरकतों के लिए ही वे जाने जाते हैं । यही नहीं उन पर एक महिला सब-इंस्पेक्टर के साथ बदसलूकी का भी इल्जाम लगा।
2019 में ही रायपुर क्षेत्र से विधायक उमेश शर्मा काऊ का भी सोशल मीडिया पर एक ऑडियो वायरल हुआ था जाँच अभी चल ही रही है।खानपुर विधायक कुंवर प्रणव सिंह चैंपियन और झबरेड़ा विधायक देशराज कर्णवाल के मध्य छिड़ी जुबानी जंग ने मर्यादा की सीमा लांघ दी थी। अंत में विधायक कुंवर प्रणव सिंह चैंपियन को पार्टी ने बाहर का रास्ता देखना पड़ा था।
ज्वालापुर विधायक सुरेश राठौर का भी विवादित वीडियो सोशल मीडिया में उछला। राठौर के स्पष्टीकरण के बाद छोड़ दिया गया ।
इस तरह ऐसे कई विवादास्पद बयान व ऑडियो वीडियो इन जन प्रतिनिधियों के गाहे-बगाहे वायरल हो ही जाया करते हैं जिस से इन्हें व पार्टी दोनों को ही नुकसान उठाना पड़ता है। भाजपा ने इस बार कुंवर प्रणव चैंपियन व राजकुमार जैसे तराई के दो बाहुबली नेताओं की टिकट काटकर यह संदेश देने की भरपूर कोशिश की है कि पार्टी किसी भी नेता के प्रेशर में आकर काम नहीं करेगी। इसका सबसे जीता जागता उदाहरण डॉ हरक सिंह रावत जैसे बड़े नेता को पार्टी में तबज्जो न दिया जाना व फिर 06 साल के लिए पार्टी से निष्कासित किया जाना शामिल है।