● डाक्टर धन सिंह जी, वो एप नहीं तकनीक है।
(गुणानंद जखमोला)
उत्तराखंड में स्वास्थ्य और आपदा प्रबंधन मंत्री धन सिंह रावत जी, जो किसी विषय में डाक्टर भी हैं। उनके एक बयान पर उन्हें मीडिया घरानों के अलावा सोशल मीडिया ने भी आड़े हाथों लिया है। उन्होंने यह बयान दे दिया कि एप से बारिश को नियंत्रित किया जा सकता है। उनके इस बयान में पहले डॉ धन सिंह रावत सोशल मीडिया पर ट्रोल खूब ट्रोल हुए उसके बाद उन्हें प्रिंट व इलेक्ट्रॉनिक मीडिया में भी खूब ट्रोल हुए। उनका यह बयान किसी इलेक्ट्रॉनिक मीडिया हाउस ने सर्व प्रथम चलाई है।
दरअसल, डॉ धन सिंह रावत आधी-अधूरी जानकारियों के साथ अपनी बात रख रहे थे, उन्हें यह जानकारी तो थी कि ऐसा होता होगा लेकिन कैसे इस पर उन्हें पूरी जानकारी लेनी चाहिए थी। बारिश का रुख बदलने, कम ज्यादा करना का कोई एप नहीं बल्कि यह एक तकनीक है। मैगनेटिक टेकनिक…! इसको इजाद करने में रसियन साइंसटिस्ट प्रो. यूरी तकेचेनको की अहम भूमिका रही है।
यह तकनीक क्लाउड सीडिंग से इतर है। इसमें मैगनेटिक फोर्स का इस्तेमाल कर बादलों में बूंदों का साइज बड़ा दिया जाता है । इसमें कोई कैमिकल इस्तेमाल नहीं किया जाता। मैगनेटिक आयन जनरेटर लगाने के बाद बादलों की क्षमता को बढ़ाया या घटाया जा सकता है। इसी तरह से बादलों का घनत्व अधिक होने पर हम उसके खिलाफ पोल एकत्रित कर बारिश के पार्टिकल को अलग किया जा सकता है। इसको रिपल इफेक्ट कहा जाता है।
क्लाउड सीडिंग यानि कृत्रिम बारिश। जून माह में यूएई में इसी तकनीक से बारिश की गयी। चीन भी इस तकनीक का इस्तेमाल कर रहा है। इस तकनीक के माध्यम से सिल्वर आयोडाईड का उपयोग कर बादल तैयार किये जाते हैं और इलेक्ट्रिक शॉक देकर बारिश होती है। तकनीक से अतिवृष्टि को भी रोका जा सकता है।
क्लॉउड सीडिंग पर काम करने वाले दुनिया के कई देशों में चीन सबसे अग्रणीय।
क्लाउड सीडिंग एक ऐसी तकनीक है जिसके माध्यम से रूस, चीन, दुबई अन्य देशों ने बारिश पर अपना नियंत्रण करके दिखाया है।
अनूप सेमवाल जनकारी देते हुए बताते हैं कि चीन क्लाउड सीडिंग तकनीक (cloud seeding technique in China) पर साल 2012 से 2017 के बीच करीब 9889 करोड़ रुपए खर्च कर चुका है। उसका दावा है कि वो साल 2025 तक देश के आधे से ज्यादा हिस्से में जब चाहे बारिश करवा सकेगा।
चीन ने सबसे पहले साल 2008 में अपने वेदर मॉडिफिकेशन सिस्टम का इस्तेमाल किया था। तब उसने बीजिंग ओलंपिक के दौरान बारिश रोकने और आसमान खुला रखने के लिए तकनीक का सहारा लिया, जिसे क्लाउड सीडिंग कहा गया। इसके तहत उसने ओलंपिक शुरू होने के पहले आसमान में 1000 से ज्यादा रॉकेट एक साथ दागे. ताकि सारी बारिश पहले ही हो जाए और मौसम खुल जाए
भारत के भी कई राज्यों में कृत्रिम बारिश कराई जा चुकी है। तमिलनाडु सरकार ने वर्ष 1983, 1984-87 और 1993-94 में इस पर काम किया। इसी तरह कर्नाटक सरकार ने 2003-04 में कृत्रिम बारिश कराई।
मंत्री धन सिंह रावत का बयां कहीं ना कहीं एक सत्य कथन है भविष्य में भारत या अन्य देशों के वैज्ञानिक इस तकनीक का उपयोग करने के लिए एप्लिकेशन बना सकते हैं जो आम जनमानस के लिए ना हो। इसलिए इस डॉ धन सिंह रावत की बात को सिरे से खारिज करना तर्क संगत नहीं होगा।