● क्या मुख्यमंत्री पुष्कर सिंगन धामी व स्वास्थ्य मंत्री डॉ धन सिंह रावत घटना का संज्ञान लेकर ऐसे गालीबाज अधिकारी के खिलाफ करेंगे कार्यवाही?
● गालीबाज अफसर संजय कुमार ने डाक्टर से कहा, पहले मुझे देख, नहीं तो जान से मार दूंगा।
●मरीजों के सामने की डाक्टर से अभद्रता, दुःखी डाक्टर ने दिया इस्तीफा।
उत्तरकाशी (हि. डिस्कवर)।
जिस डॉक्टर को पहाड़ों के लोग जीवन रक्षक भगवान की संज्ञा देते हैं उसी डॉक्टर को एक सरफिरा अधिकारी सिर्फ अपनी ईगो के चलते मरीजों के बीच ही जान से मारने की धमकी दे डालता है। वह भी ऐसे सीमांत जिले में जहां कोई डॉक्टर जाना ही नहीं चाहता है। ऐसे में सवाल यह उठता है कि क्या वर्तमान सरकार पहाड़ों के डॉक्टर विहीन अस्पतालों में डॉक्टर्स भेज सकेगी?
एक ओर सरकार तमाम प्रयासों के बावजूद डाक्टरों को पहाड़ नहीं चढ़ा पा रही है। विशेषकर विशेषज्ञ डाक्टर पर्वतीय जिलों में तैनाती के लिए तैयार नहीं होते हैं और यदि मानवीय सेवा के लिए कोई डाक्टर पहाड़ चढ़ भी गया तो नेता और अफसर उसे नौकरी नहीं करने देते। इसका ताजा उदाहरण उत्तरकाशी के जिला अस्पताल में हुई घटना है। एक अफसर अस्पताल में अपना चैकअप कराने आया। डाक्टर के पास मरीजों की भीड़ थी, ऐसे में डाक्टर ने अफसर से कुछ देर इंतजार करने के लिए कहा। अफसर को यह सुनते ही ताव आ गया और लगा डाक्टर को गालियां देकर धमकाने, यहां तक कि जान से मारने की धमकी दे दी। अफसर की अभद्रता देख डा. सुबेग सिंह इतने क्षुब्ध हुए कि उन्होंने अपने पद से इस्तीफा महानिदेशक स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण (डीजी हेल्थ) को भेज दिया है।
यह अधिकारी इससे पूर्व भी ऐसे ही एक अन्य डॉक्टर के साथ पेश आ चुका है। डॉक्टर सुबेग के अनुसार उक्त अधिकारी का ऐसा ही एक मामला 20 मार्च को करीब जिला अस्पताल के सीएमएस डॉ सुरेन्द्र सकलानी के साथ हो चुका है। तब भी कोई कार्यवाही नहीं हुई तो इस तरह मे मामलो की पुनरावृत्ति होने लगी है।
उपरोक्त घटना दो दिन पूर्व यानि 15 जुलाई की है। जिला चिकित्सालय उत्तरकाशी में तैनात फिजिशियन डा. सुवेग सिंह मरीजों को देख रहे थे। उनके पास उत्तरकाशी जनपद के ठेठ ग्रामीण क्षेत्रों से आये मरीजों की भीड़ थी। इस बीच जिला ग्राम्य विकास अभिकरण उत्तरकाशी के परियोजना निदेशक संजय कुमार वहां पहुंचे। उन्होंने डाक्टर के पास अपने आने की सूचना दी। डाक्टर ने दस मिनट इंतजार करने की बात कही। उस वक्त लाइन में लगभग 40 मरीज थे। डा. सुबेग एक गंभीर मरीज को देख रहे थे। इसके बाद उन्होंने परियोजना निदेशक संजय कुमार को बुलावा भेजा। संजय कुमार आते ही उन पर बरस पड़े व गालियां देते हुए बोले कि मुझे पहले नहीं देखा तो यहीं जान से मार दूंगा। उन मरीजों के बीच जो डॉक्टर को भगवान मानते हैं घटी इस घटना से डाक्टर आहत हो गये कि उन्होंने अपना इस्तीफा डीजी हेल्थ को भेज दिया।
इस घटना से आहत डा. सुबेग ने कहा कि फिलहाल वे अपने भर्ती गंभीर मरीजो को ही देख रहे हैं किन्तु ओपीडी का बहिस्कार कर रहे हैं। उन्होने कहा कि वे खुद भी एक अधिकारी के पद पर हैं और उनके मरीजो के सामने उनकी बेइज्जती की गयी है, जिससे उनको दुख हुआ है। हालांकि उन्होने इस घटना कि कोई एफआईआर नहीं कराई है, उन्होने कहा कि संजय कुमार को अपनी गलती का एहसास होना चाहिए।
इस मामले पर उत्तरकाशी मे तैनात अधिकारी संजय कुमार ने बताया कि वे गंभीर बीमारी से पीड़ित है और उनका लंबे समय से डॉ सूबेग सिंह से ही इलाज चल रहा है वे निश्चित तौर पर अच्छे डाक्टर है इसलिए ही वे उनसे अपना इलाज करवा रहे थे। इस दौरान सीएस की विडियो कोन्फ्रेंस और प्रभारी मंत्री के दौरे मे काम का प्रेशर और जल्दबाजी मे वे अपनी सेहत का ढंग से खयाल नहीं रख सके और अपनी अल्ट्रासाउंड और ब्लड रिपोर्ट डाक्टर को समय पर नहीं दिखा सके थे। उनके डाक्टर के साथ अच्छे संबंध थे और अक्सर वे व्हाट्सप पर भी डाक्टर से सलाह ले लिया करते थे। उस दिन तबीयत ज्यादा बिगड़ गयी थी और प्रभारी मंत्री की बैठक की तैयारी का काम का प्रेशर भी था, लिहाजा मौके पर काम की अधिकता के चलते आवेश मे आकार वे कुछ कह गए जिसका उन्हे बाद मे एहसास हुआ। उन्होने बताया की डीएम उत्तरकाशी मयूर दीक्षित की मध्यस्तथा मे डाक्टर से बातचीत हो गयी है। डीएम उत्तरकाशी से वार्ता न होने कारण इसकी पुष्टि नहीं हो सकी।
यह मामला काफी तूल पकड़ चुका है क्योंकि डॉ सुबेग उत्तरकाशी की जनता के मध्य सुप्रसिद्ध डॉक्टर्स की श्रेणी में माने जाते हैं। लोगों को उनके इलाज पर बड़ा भरोसा है। अब जबकि संजय कुमार इस बात को समझ चुके हैं कि इस प्रकरण के बाद उनकी नौकरी खटाई में पड़ सकती है तब वे बचाव मुद्रा में आ गए हैं।
बताया जा रहा है कि इस गालीबाज अधिकारी के कारण जिले के आम लोग भी परेशान हैं। वहीं इस मामले में पूर्व विधायक विजयपाल सजवाण ने डीएम से अफसर द्वारा की गयी अभद्रता पर कार्रवाई करने की मांग की है।
अब देखना यह है कि मुख्यमंत्री धामी व स्वास्थ्य मंत्री का रवैय्या इस मामले में क्या रहता है।