(ग्राउंड जीरो से संजय चौहान!
प्रख्यात पर्यावरणविद्ध, मैती आंदोलन के संस्थापक और पदमश्री सम्मान से सम्मानित कल्याण सिंह रावत की 25 जून को मातृभूमि दिवस के रूप में मनाने की अनूठी पहल लोगों के लिए अपनी माटी थाती से जोडने की मुहिम लोगों को भा रही है। इस मुहिम के तहत शुक्रवार 25 जून को सब अपने अपने अतिथि कक्ष या ड्राइंगरूम में अपने अपने गांव की फोटो लगाएंगे। यदि किसी कारण लोग अपने गांव की फोटो प्राप्त नहीं कर सकते तो कम से कम एक कोरे कागज पर अपने गांव का नाम लिखकर अपनें कमरे में लगायेंगे साथ ही सभी लोग अपने गांव की फोटो फेस बुक पर भी अनिवार्य रूप से डालेंगे। जिसके पीछे उद्देश्य है कि अपने गांव से भावनात्मक रूप से जुड़ना।
ये है मातृभूमि दिवस मनाने का उद्देश्य!
पदमश्री कल्याण सिंह रावत कहते हैं कि कुछ अहम प्रश्न हैं? क्या आप अपने गांव से प्यार करते हैं? क्या आपको अपने गांव के विकास की चिंता होती है? क्या आप चिंतित रहते हैं कि आपकी संस्कृति, परम्पराएं, बोली, भाषा लुप्त होने के कगार पर पंहुच गई है?खाली होते गांवों की चिन्ता क्या आपको नहीं सताती है? हमारे पूर्वजों के संजोये जल, जंगल और जमीन के उजड़ते वर्तमान स्वरूप क्या आपको चिन्तित नहीं करते हैं? बहुत सारे प्रश्न हैं जो फन उठाये खड़े हैं. तो फिर समाधान किसके पास है? बीस साल की बिकास यात्रा का लेखा जोखा आपके सामने है. खुद चिन्तन कर लीजिए हमने क्या खोया क्या पाया? मित्रों बहुत हो चुका, हम सब इसके लिए जिम्मेदार हैं. अब भी बक्त है जागने का , स्वयं अपने अपने गांवों के सारथी बन कर हम अपने गांवों की दिशा और दशा बदल सकते हैं. चलो शुरूआत करते हैं, जब तक हमारे अन्दर अपनी जन्म भूमि के प्रति प्यार और पितृ देवों के प्रति आदर और सम्मान की भावना जागृत नहीं होगी तब तक हम इस दिशा में कदम नहीं बढा सकते हैं. केवल धड़ियाली आंसू बहाने से काम नहीं चल सकता, दृढ़ इच्छाशक्ति जरूरी है। दिनांक 25 जून 2021 को हम मिल कर “मातृभूमि दिवस” मनायेंगे। उस दिन हम सब अपने अपने अतिथि कक्ष या ड्राइंगरूम में अपने अपने गांव की फोटो लगाएंगे। शायद आप पूछेंगे कि क्या कमरे में गांव की फोटो लगाने से गांव का विकास हो जायेगा? जी नहीं, यह गांव से जुड़ने का भावनात्मक पहल है। क्या हमें अपने पूर्वजों की उनके खून पसीने से सिंचित धरती को सम्मान नहीं देना चाहिए? यदि हम अपने घर में अपने दिवंगत पूर्वजों की फोटो को सम्मान से दीवारों पर टांक उन्हें फूल मालाओं से सजा सकते हैं तो फिर पैतृक गांव से धृणा क्यों? पितृ देवों की आत्मा तो गांव में ही बसती है। गांव की फोटो घर पर टांकने से ही पितृ देवों का आशीर्वाद मिलेगा। आपके बच्चे भी अपने पैतृक गांव को देख सकेगें तब वे जरूर आपसे पूछेंगे कि हमारा घर कौन सा है? जब आप दिनभर अपने कार्य से थक कर घर पंहुचेंगे तो अपने गांव की तस्वीर देख कर एक आनन्द की अनुभूति होगी और सारी थकान दूर हो जायेगी। जब आप सुबह अपने काम पर जाओगे तो गांव की झलक पाकर आपके अन्दर सकारात्मक ऊर्जा, समर्पण और सेवा का भाव जागृत होगा. मित्रों! जब रात- दिन आपका गांव आपके पास होगा तो यकीन मानिए आपके अन्दर स्वत: ही गांव के लिए कुछ कर गुजरने की ललक जागेगी। यही तो विकास की पहली कड़ी है। शायद ही कुछ लोग जरूर होंगे जिन्होंने अपने गांव की फोटो फ्रेम कर बड़े सम्मान से अपने घर में जगह दी हो? उन्हें मेरा नमन। जरा सोचिए जो लोग अपने गांव के ही नहीं हुए वे लोग राज्य, देश और समाज के हितैषी कैसे हो सकते हैं? अपने दफ्तरों, संस्थानों में अपने देश के महापुरुषों, राष्ट्राध्यक्षों के चित्र जितने सम्मान से टांके जाते हैं क्या अपने गांव की फोटो को भी अपने घर में उतना ही सम्मान नहीं दे सकते हैं?सबको अपनी गांव की फोटो किसी भी तरह से प्राप्त कर 25 जून को फ्रेम करके बड़े सम्मान से अपने घर की दीवार पर सजाना है। यह आपको देवभूमि के बाशिंदे होने का गौरव प्रदान करेगा। यह धरती पुत्रों की असली तागत होगी। यह बताएगा कि अभी धरती माता की रक्षा के लिए उसके असली लाल सेवा के लिए तत्पर हैं। प्रति वर्ष 25 जून को” मातृभूमि दिवस” मनाया जायेगा। इस वर्ष की तरह तब फोटो नहीं लगानी है वो तो इस बार लग चुकी है.तब आपको पूरे वर्ष भर श्रद्धा से एक गुल्लक बना कर समय समय पर अपने गांव के नाम पर कुछ सहयोग राशि जमा करनी है। 25 जून को उस गुल्लक के पैसे निकालकर अपने गांव के किसी गरीब परिवार को भेज देने हैं। गरीब परिवार का चयन आप पूर्व में कर सकते हैं। आप गांव के किसी गरीब होनहार बेटी या बेटे को भी मदद के लिए चुन सकते हैं, लेकिन जिसे भी आप मदद करोगे उसके सामने एक शर्त रखनी है कि गांव में किसी उपयुक्त स्थान पर तुम्हारे परिवार के नाम पर अच्छी क्वालिटी का फलदार पेड़ जरूर लगाना है तथा उसकी उचित देखभाल भी करनी है। समय समय पर उस पेड़ की यथास्थिति की फोटो ह्वाटस एप पर तुम्हें भी भेजनी है। इस तरह हर साल आपका एक -एक पेड़ आपके गांव में लगता रहेगा और एक प्रतिभावान बेटे या बेटी या किसी गरीब परिवार को आगे बढाने में आप मददगार बन सकेगें। इस प्रकार हम सक्षम लोग खुद अपने गांव के विकास के सारथी बन सकते हैं। एक दिन में आप कम से कम एक रूपया भी जमा करोगे तो तीन सो पैंसठ रूपये तो बन ही जाते हैं थोड़ा बहुत त्यौहार, जन्मदिन आदि अवसरों पर भी कुछ अतिरिक्त पैसे डाले तो पांच सौ रुपये तक धनराशि दी जा सकती है। सक्षम लोग तो और आगे बढकर मदद कर सकते हैं। इतना जरूर याद रखें ,दिया हुआ मदद भगवान,ब्याज सूद के साथ बक्त आने पर जरूर वापस करता है। गांवों की विकास की सोच रखने वाले धरती पुत्रों को दोस्त बनायेंगे। मेरे लिए नहीं इस देव भूमि की संस्कृति, परम्परा, बोली, भाषा, जल, जंगल जमीन को बचाने का छोटा प्रयास है।
वास्तव में देखा जाए तो पदमश्री कल्याण सिंह रावत जी की पर्यावरण संरक्षण के मैती आंदोलन के बाद मातृभूमि दिवस की ये अनूठी पहल भविष्य में लोगों को अपने गांव और माटी थाती से जोडने के लिए मददगार साबित होगी। सभी लोगों से भी आग्रह है कि कि वे शुक्रवार 25 जून को उनकी इस अनूठी पहल का अपना सहयोग देंगे और अपनी माटी थाती का कर्ज अदा करेंगे।