देहारादून (हि. डिस्कवर)
अभी परसों की ही तो बात है जब वरिष्ठ पत्रकार दिनेश मानसेरा को उत्तराखंड की तीरथ सिंह सरकार में मीडिया सलाहकार के लिए नियुक्ति पत्र जारी हुआ था। वे कल मुख्यमंत्री तीरथ सिंह रावत के कार्यालय आये भी और उन्होंने चाय भी पी।
फिर अचानक जलजला आया। “दाज्यू बोले” नाम से उनके दर्जनों ट्वीट पीएमओ, संघ कार्यालय नागपुर से लेकर गृह मंत्री अमित शाह, राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा के यहां धड़धड़ा कर पहुंचे और बहुत सारे लोगों को इस सारे पर जबरदस्त डांट पड़ी। बेचारे राष्ट्रीय राजनीति में हरियाणा व हिमाचल में दखल देने वाले दो उत्तराखण्डी भलमानुष के तो ऐसे हाल कि काटो तो खून नहीं।
अब सूत्र कह रहे हैं कि आरएसएस यानि संघ परिवार में भी यह तलाश जारी है कि आखिर किस ने दिनेश मानसेरा का नाम आगे बढ़ाया जबकि उन्होंने विगत कुछ माह से लगातार प्रधानमंत्री मोदी, पूर्व मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र रावत, मुख्यमंत्री तीरथ सिंह रावत, कुम्भ व केंद्र के कई अन्य बड़े मंत्रियों पर समाचार के स्थान पर पर्सनल ट्वीट बेहद अभद्रता के साथ किये हैं।
वहीं सूत्र संघ परिवार के हवाले से ये भी जानकारी देते हैं कि संघ ने तो उनके परिवार के संघी होने व पांचजन्य पत्रिका के उत्तराखंड स्टेट हेड होने के कारण उनका नाम आगे बढ़ाया।
जांच में सामने आया कि देहरादून के ही एक संघी नेता ने बर्षों पहले दिनेश मानसेरा का परिचय पांचजन्य में करवाकर उनकी अप्रोच की थी।
दूसरी ओर सूत्रों से यह भी जानकारी प्राप्त हुई कि मुख्यमंत्री तीरथ सिंह रावत इस बात से खफा हैं कि दिनेश मानसेरा का नाम बढ़ाने से पूर्व उन्हें उनकी विस्तृत जानकारी नहीं सौंपी गई। अब जबकि उनके पास विभिन्न मीडिया हाउसों से ही नहीं बल्कि दिल्ली के मीडिया जगत व अन्य माध्यमों से भी मानसेरा द्वारा उन पर ही नहीं प्रधानमंत्री मोदी जी व अन्य वरिष्ठ नेताओं के साथ साथ आरएसएस परिवार पर भी ट्वीट के माध्यम से अभद्र टिप्पणियां की गई हैं तब यह स्वाभाविक था कि उनकी नियुक्ति फौरन निरस्त की गई।
वरिष्ठ पत्रकार दिनेश मानसेरा की नियुक्त दो दिन पूर्व यानि 17 मई 2021 को ही निरस्त कर दी गयी थी लेकिन 18 मई 2021को पूरे दिन पर असमंजस की स्थिति रही और आखिर विगत 19 मई 2021को दोपहर 2 बजे दिनेश मानसेरा ने अपनी फेसबुक पर कुछ इस तरफ ट्वीट किया “मुझे उत्तराखंड के मुख्यमंत्री तीरथ सिंह रावत जी ने अपना मीडिया सलाहकार बनाया गया, इसमें सबकी दुआएँ मिली और जब मैं देहरादून पहुंचा तो उससे पहले ही सोशल मीडिया पर बहुत कुछ मेरे बारे में मेरे परिवार के बारे में उछाला गया इस सबसे भी ज्यादा मुख्यमंत्री श्री तीरथ सिंह रावत के फैसले पर सवाल उठे, जबकि मेरी नियुक्ति के पीछे मेरी योग्यता मेरा पत्रकारिता का अनुभव ,व्यवहार मेरे द्वारा लोगो की भलाई ही आधार थी। जोकि ऐसे लोगो को रास नही आरही जो मुझे पहचानते भी नही, इस सभी विषयों से सीएम साहब को भी कष्ट पहुंच रहा है, मुझे बुलाने और अपनी टीम में रखने का निर्णय उनका ही था,मुझे आभास है कि वो सरल सज्जन व्यक्ति है। इसलिए मुझे यहां पदभार ग्रहण करने से पहले सभी विषयों पर सोचना समझना पड़ा और यही फैसला लिया है कि जब हम ऐसे लोगो से घिरे रहेंगे जोकि हमे काम ही करने नही देगे तो ऐसे माहौल में काम करने का कोई औचित्य नही,मुझे पद लालसा कभी नही रही ये मेरे करीबी सब जानते है। मान सम्मान सबका जरूरी है जोकि कायम रहना चाहिए,मैं स्पष्ट मानता हूं कि जब तक कार्य संस्कृति न हो वहां सब बेमानी है इसलिए सबकी गरिमा बनी रहे मैं इस पद को अस्वीकार करता हूँ।”
उनके इस ट्वीट के बाद कल तक शुभकामनाएं प्रेषित करने वाले कुछ सेकुलर मीडियाकर्मियों ने इस पूरे प्रकरण पर सरकारी निर्णय की आलोचना करनी शुरु कर दी व सोशल मीडिया में पत्रकारों का एक बड़ा धड़ा सरकार के पक्ष में तो दूसरा दिनेश मानसेरा के पक्ष में वाद प्रतिवाद क़रता दिखाई दिया।
दिनेश मानसेरा की नियुक्ति पर हिमालयन डिस्कवर ने भी उनकी संघ पृष्ठभूमि पर विस्तृत छापकर उन्हें शुभकामनाएं दी थी लेकिन साथ ही यह भी स्पष्ट किया कि पर्दे के पीछे मीडिया में यह फैलाने की खबर का भी खंडन किया कि मुख्यमंत्री के निकटवर्ती किसी व्यक्ति बिशेष का इस नियुक्ति में कोई हाथ है। हिमालयन डिस्कवर द्वारा स्पष्ट लिखा गया था कि संघ व संगठन के माध्यम से दिनेश मानसेरा की नियुक्ति हो रही है। अब जब उनकी नियुक्ति निरस्त की गई है तब भी हिमालयन डिस्कवर बड़ी बेबाकी से नियुक्ति निरस्त की बात छाप रहा है।