देहरादून 6 मार्च 2021 (हि. डिस्कवर)
ग्रीष्म कालीन राजधानी गैरसैण में आज बजट पर चर्चा के दौरान उस समय एकाएक माहौल बदल गया जब विधान सभा अध्यक्ष ने विधान सभा सत्र अनिश्चितकाल के लिए समाप्त करने की घोषणा की व दूसरी ओर भाजपा विधायकों व मंत्रियों को तत्काल देहरादून पहुंचने के निर्देश जारी हुए।
दूसरी तरफ केंद्र ने छत्तीसगढ़ के पूर्व मुख्यमंत्री रमन सिंह व पार्टी महासचिव दुष्यंत कुमार को देहरादून भेज दिया है जिससे यह माना जा रहा है कि वर्तमान त्रिवेंद्र सरकार पर संकट के बादल मंडरा रहे हैं। वहीं यह भी माना जा सकता है कि केंद्र की नाराजगी नन्द प्रयाग, घाट क्षेत्र के लोगों की 19 किमी. सड़क मांग को लेकर किये गए गैरसैण कूच के दौरान हुए बर्बरतापूर्ण लाठी चार्ज को लेकर भी है और साथ ही यह भी कय्यास लगाए जा रहे हैं कि गैरसैण मंडल पर त्रिवेंद्र सरकार ने अपने मंत्रियों व विधायको को पूर्व जानकारी नहीं दी।
केंद्रीय पर्यवेक्षकों के पहुंचने के बाद लगातार घटित घटनाक्रम ने उत्तराखण्ड में राजनीति का पारा चढ़ा दिया है व आम लोग अब चाय के खोकों, पान की दुकानों व आम चौराहों पर यह चर्चा पर लग गए हैं कि क्या मुख्यमंत्री का चेहरा बदला जा रहा है या फिर विधायक मंत्रियों की नाराजगी के चलते पर्यवेक्षक दल राजधानी पहुंचकर मामले को सुलटाने की कोशिश करेगा।
बहरहाल मामला काफी गर्म है व हवाओं में तैरती कय्यासबाजी का दौर घटनाक्रम को और तेजी दे रहा है। वैसे उम्मीद तो यह भी जताई जा रही है कि यह सब मंत्रिमंडल विस्तार को लेकर है लेकिन दूसरी ओर कूटनीतिकारों का कहना है कि जब जब भी त्रिवेंद्र सरकार संकट में आई उन्होंने दो चार छ अध्यक्ष, उपाध्यक्ष बनाकर विरोध को दबाने कोशिश की लेकिन पूर्व में कोई पर्यवेक्षक दल राजधानी नहीं पहुंचा है।
अब लोगों का अनुमान है कि यह सब नन्दप्रयाग क्षेत्र के हजारों ग्रामीणों द्वारा विगत 3 माह से सड़क मामले को लेकर आंदोलनरत रहने का नतीजा है क्योंकि जिस तरह का बर्बर लाठी चार्ज प्रदेश के पहाड़ी मूल के लोगों पर किया गया वह इस से पूर्व कभी देखने व सुनने को नहीं मिला। लोगों की माने तो यह लाठी चार्ज उत्तराखण्ड आंदोलन के दौरान मुजफ्फरनगर में हुए हादसे की यादें ताज़ी करने जैसा था।
दूसरी ओर एक वर्ग यह भी कहता है कि मीडिया ऐसे मामले नमक मिर्च लगाकर दिखाता है ताकि उसकी टीआरपी बनी रहे। त्रिवेंद्र सरकार को कुछ नहीं होने वाला क्योंकि अब भाजपा चुनावी चौखट पर है व वह रिस्क लेना पसंद नहीं करेगी।
सूत्र यह भी मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत का चेहरा बदलने से पार्टी को नुकसान की गुंजाइश ज्यादा लगती है। दूसरी ओर केंद्र भी शायद इस मूड में नहीं होगा कि चेहरा बदला जाए क्योंकि अगर ऐसा हुआ तो देश के कई राज्यों में मुख्यमंत्री बदलने का दबाब केंद्र पर आ जायेगा।