पौड़ी का कंडोलिया पार्क…अप अबव द वर्ल्ड सो हाई। लाइक अ डायमंड इन द स्काई।
(मनोज इष्टवाल)
अगर आपको अपना बचपन याद आ जाय तो समझो आप आज बड़े प्रसन्नचित हैं। मुझे भी ऐसा ही आज महसूस हो रहा है। कंडोलिया पार्क की चकाचौंध देखकर…। छटवीं कक्षा में प्रवेश करते समय यह कविता जो अब हर बचपन का गीत बन गया है, बहुत शिद्दत के साथ बोलता था भले ही तब इसका मतलब पता नहीं था। “ट्विंकल ट्विंकल लिटिल स्टार , हाऊ आई वंडर व्हाट यू आर! अप अबव द वर्ल्ड सो हाई, लाइक अ डायमंड इन द स्काई।
सच कहूं तो पौड़ी को ब्रिटिश प्रशासन के दौर में भी कुछ इसी शिद्दत के साथ बसाया गया था। जहां से सम्पूर्ण हिमालयन की नयनाभिराम चोटियां कटोरे की भांति दिखें। जहां किंकालेश्वर पर्वत शिखर में डूबते सूर्य की अप्रितम किरणें मन लुभायें, जहां आस्था और विश्वास का प्रतीक गोरिल कंडोलिया व नागदेव पूरे नगर वासियों को शुभाषीष दें। भला वहां किसका मन प्राण आत्मा का वास न हो।
विधि का विधान देखिये…! लगभग 18वीं सदी में काली कुमाऊँ (महाकाली आँचल) से आकर जोत सिंह डुंगरियाल नामक व्यक्ति जब पौड़ी आये थे तब वे अपने साथ कंडी में अपने स्थानीय देवता गोलज्यू व गोरिल को लेकर आये थे वे उन्होंने पोड नामक स्थान (पौड़ी गांव के पंचायती चौक के पास) सबसे पहले उस टोकरी से बाहर अपने देवता को स्थापित किया लेकिन वहां भी देवता का मन नहीं लगा तो धारा रोड में धस्माना बन्धुओं के मकान के पीछे स्थापित किया। यहीं पूजा अर्चना हुई और कालांतर में गोरिल कंडोलिया के आदेश पर उन्हें कंडोलिया नामक ऐसे स्थान पर स्थापित किया गया जहां से नादलस्यूँ पट्टी का बिहंगम दृश्य दिखने के साथ उन्हें कैलाश पर्वत दिखे। दैवयोग देखिये जिस स्थान से सदियों पूर्व कंडोलिया देवता जोत सिंह डुंगरियाल के कंडी में बैठकर आये थे उसी काली कुमाऊं के दारमा-जोहार-गर्ब्यांग क्षेत्र से कैलाश मानसरोवर की यात्रा छपती है और उसी यात्रा रूट में एक गांव है जिलाधिकारी पौड़ी धिराज गर्ब्याल का भी है।
पौड़ी गढ़वाल । राज्य गठन के बाद से लगातार उपेक्षा का दंश झेल रहे पौड़ी जिले के लिए देवदूत बनकर आये जिलाधिकारी धीराज गर्ब्याल। जी हाँ जिलाधिकारी धीराज सिंह गर्ब्याल के प्रयासों से पौड़ी का रूप बदलने की उम्मीद साफ दिख रही है। विकास की उम्मीद लगाए बैठे पौड़ी गढ़वाल के निवासियों लिए एक के बाद एक अच्छी खबर सामने आ रही है। भविष्य में पौड़ी गढ़वाल की दशा और दिशा दोनों ही अलग रूप में दिखाई देने वाली हैं। जिलाधिकारी पौड़ी की मेहनत और दृढ़ इच्छाशक्ति के चलते बदलाव दिखाई देने लगा है। आने-वाले समय में पौड़ी जिला पर्यटन के क्षेत्र में भी अन्य जिलों को कड़ी टक्कर देने वाला है।
बर्ष 1840 में पौड़ी गांव शहर के रूप में विकसित हुआ शुरू हुआ और आज इसका क्षेत्रफल बुवाखाल से लेकर घुडदौडी इंजीनियरिंग कॉलेज तक फैल गया है। इस दौरान कितने जिलाधिकारी आये और गए होंगे उन्होंने क्या क्या कार्य किया है यह ऑफिशियल रिकॉर्ड में जरूर शामिल होगा लेकिन इतिहास में दो बर्ष के कार्यकाल में ही इतने सारे रिकॉर्ड दर्ज करवाना कोई वर्तमान जिलाधिकारी धिराज गर्ब्याल से सीखे।
पौड़ी के जिलाधिकारी धीराज सिंह गर्ब्याल मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत के कई ड्रीम प्रोजेक्टों को धरातल पर उतारने में जुटे हैं। इनोवेटिव एप्रोच के साथ लगातार किए जा रहे उनके प्रयासों से आने वाले दिनों में पौड़ी पर्यटन के मानचित्र में खास जगह बनाने वाला है। अगर शासन-प्रशासन एक नई सोच से साथ काम करें तो कैसे बदलाव लाया जा सकता है, इसकी बानगी इन दिनों पौड़ी जिले में देखने को मिल रही है। पौड़ी जिले में पिछले कुछ समय से कई ऐसे प्रयोग हो रहे हैं, जो आने वाले दिनों में आकर्षण के बड़े केंद्र होंगे। फिर चाहे वह कंडोलिया थीम पार्क हो, हैरिटेज स्ट्रीट हो, बासा होमस्टे, नयार घाटी एडवेंचर हो या नैनीडांडा का पटेलिया एप्पल फॉर्म। सभी आने वाले दिनों में युवा उत्तराखंड की एक नई तस्वीर सामने रखेंगे। आम कलेक्टर के विपरीत फाइलों की औपचारिकताओं से उपर उठ धीराज सिंह गर्ब्याल ने जनता से सीधे संवाद कर जिले में ब्लाकवार जमीनी अध्ययन कर वहां सतत विकास व आजीविका के अवसरों में इजाफे के लिए अनुकरणीय प्रयास शुरू किए। डीएम धीराज सिंह गर्ब्याल के इन प्रयासों से सरकार के लोककल्याण के फैसले भी सीधे समाज के अंतिम व्यक्ति की दहलीज तक पंहुचे।
पौड़ी व आसपास पर्यटन के लिए नए डेस्टिनेशन बनाने के लिए धीराज सिंह गर्ब्याल द्वारा एक अभिनव पहल की गई है। पौड़ी नगर की सड़कों के साथ पौड़ी-खिर्सू मोटर मार्ग कि किनारे मैपल ट्री लगाकर इन्हे खूबसूरत बनाने की दिशा में कार्य शुरू हो चुका है। वहीं पौड़ी से कांसखेत-बांघाट मोटर मार्ग पर कंडोलिया से टेका तक चैरी ब्लाॅसम के पेड़ो के लिए पौधारोपण का कार्य शुरू कर दिया है।
वहीं पौड़ी नगर की खूबसूरती को निखारने के लिए एक क्रांतिकारी प्रयास भी शुरू हुआ है, जिसके तहत कंडोलिया पार्क की तस्वीर ही बदल दी गई है। दशकों से वीरान व खंडहर पड़े इस खूबसूरत पार्क को डीएम धीराज सिंह गर्ब्याल ने अपनी सोच से बेहतरीन पहाड़ी लुक के साथ आधुनिक सुविधाओं से लैस कर दिया है, जो भविष्य में पौड़ी नगर की पहचान का प्रतीक बनेगा।
जिलाधिकारी धिराज गर्ब्याल ने जिस तरह से कंडोलिया पार्क को एक सपने के पूरे होने को रूप में साकारात्मक रूप दे दिया है वह भी कहीं न कहीं एक इतिहास से जुड़ गया है क्योंकि उन्होंने एक मृत प्रायः हो चुके पहाड़ी वास्तुकला को पुर्नजीवन देकर पौड़ी की तस्वीर संवारने का जो यत्न किया है उसे पौड़ी वासी कभी नहीं भुला पाएंगे।
अपनी नई पहल की लोगों को सोशल मीडिया के जरिये जानकारी देने वाले धीराज सिंह गर्ब्याल ने कंडोलिया पार्क की तस्वीरें साझा कर जितने भी ट्वीट किए हैं, वे ट्वीट किसी अफसर के नहीं बल्कि एक आत्मा से निकले शब्द हैं। जैसे एक माँ अपने बच्चे को पहले हाथ पैरों पर चलते देख खुश होती है, फिर थाह लेने में, फिर पांच कदम चलने में, फिर अंगुली पकड़कर आगे बढ़ने में और फिर जवान बांका सजीला होने में खुश होती है, प्रसन्नता व्यक्त करती है, ठेठ ऐसे ही ट्वीट जिलाधिकारी धिराज गर्ब्याल के सोशल साइट पर दिखने को मिलते हैं।
उन्होंने अपने एक ट्वीट में फेसबुक पोस्ट में लिखा है- “अब कंडोलिया पार्क निखर के आ रहा है। इस एल्टीट्यूड में शायद ही कोई ऐसा थीम पार्क होगा जिसमें हर आयु वर्ग के लिए मनोरंजन की सुविधा होगी। बच्चों को मोबाइल की दुनिया से आउटडोर की दुनिया की ओर आकर्षित करने के लिए प्रदेश में पहला ओपन स्केटिंग रिंग, प्ले स्टेशन, युवाओं के लिए ओपन जिम, पर्यटकों और स्थानीय लोगों के लिए उत्तरकाशी की कोटी बनाल शैली (पर्वतीय शैली) में बना रेस्टोरेंट, भविष्य में पार्क को sustainable बनाने के लिए पर्यटकों के लिए यूरोपियन शैली में बन रहे स्विस कॉटेजस, कोबल्ड पाथवेज, फॉउंटेंस, हर दिन कोई न कोई सांस्कृतिक कार्यक्रम, नुक्कड़ नाटक या फिर लोकल प्रतिभाओं के माध्यम से गायन कार्यक्रम। ताकि पार्क में हर दिन सांस्कृतिक संध्या का आयोजन हो और यहां आने वाले पर्यटकों और स्थानीय लोगों का मनोरंजन हो सके। प्रदेश में पहला ओपन एम्फीथियेटर स्थानीय लोगों और पर्यटकों के लिए आकर्षण का केंद्र बनेगा। कंडोलिया थीम पार्क को sustainable बनाने के लिए स्विस कॉटजेज़ की परिकल्पना की गयी है ताकि पर्यटकों को अच्छे रेस्टोरेंट ,मनोरंजन के लिए पार्क के साथ साथ एक अच्छी आवासीय सुविधा भी मिले और अच्छी आय भी हो ताकि भविष्य में पार्क को maintain भी किया जा सके।”
सचमुच आज यह ड्रीम प्रोजेक्ट हम सबके लिए एक सुखद अहसास है। यह पार्क पौड़ी जनपद के हर व्यक्ति की ही सोशल साइट पर नहीं बल्कि जिसे भी ये फोटोज दिख रही हैं सब साझा कर रहे हैं। जिलाधिकारी धिराज गर्ब्याल चाहते तो थे कि इसे फाइव स्टार फेसिलिटी से जोड़ें लेकिन सामाजिक दबाब व प्रतिद्वंदिता के चलते कहीं न कहीं इस पर उन्हें कदम पीछे खींचने पड़ेंगे। जहां तक मेरा मानना है उनकी हार्दिक इच्छा रही होगी कि इसमें बने कॉटेज य्या रेस्टॉरेंट ऐसे हाथों में जाएं जो इन्हें लंबे समय तक व्यवस्थित तरीके से चला सकें लेकिन राजनैतिक व सामाजिक दबाब ने उस टेंडर प्रक्रिया को निरस्त करने के लिए ही मजबूर कर दिया जिसमें कुछ सेवा शर्तों के मानक थे।
आज पार्क का लोकार्पण प्रदेश के मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत करने जा रहे हैं और आज से ही यह पार्क आम जनों के लिए खोल दिया जाएगा जिसमें आप बच्चे, जवान, बुजुर्ग सभी अपने मन का शुकुन व फुर्सत के पलों को साझा कर सकते हैं। व जो थोड़ा बहुत मालदार है मित्रों या परिजनों के साथ यहां निर्मित स्विश कॉटेज में ठहरना चाहता है। देवदार के झुरमुटों के बीच कीट पतंगों के गान में आकाश में टिमटिमाते असंख्य तारामंडल को निहारना चाहता है, बहती आकाश गंगा टूटे झरते तारों को देखकर रेस्टोरेंट में शानदार डिनर करना चाहता है तो उसके लिए इसी कविता के ये शब्द बहुत प्यारे साबित होंगे- “व्हेन द ब्लेजिंग सन इज गॉन, व्हेन ही नथिंग शाइन अपॉन। देन यू शो युअर लिटिल लाइट, ट्विंकल ट्विंकल आल द नाईट।”
बहरहाल ऐसे जिलाधिकारी के लिए मेरे पास ट्विंकल ट्विंकल के ये शब्द ही माकूल लगते हैं कि “देन द ट्रेवर इन द डार्क, थैंक यू फ़ॉर यूअर टिनी स्पार्क। ही कुड नॉट सी व्हिच वे टू गो, इफ यू डिड नॉट ट्विंकल सो।