(वरिष्ठ पत्रकार भारत चौहान की कलम से)
जौनसार बावर के मलेथा गांव में जन्में वीर नंतराम नेगी की गाथा यदि लोक गीत (हारूल) में न गायी होती तो आज न नंतराम नेगी की प्रतिमा बनती और ना ही हम उनके इतिहास से रूबरू होते। मुझे बेहद खुशी है कि राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के अनुषांगिक संगठन वनवासी कल्याण आश्रम ने इस मुहिम को आगे बढ़ाया और आज पीतल धातु की लगभग 13 लाख रुपए की लागत से विशाल प्रतिमा बनकर तैयार है। जिसे आने वाले समय में साहिया मे स्थापित की जाएगी।
‘कौन थे नतराम नेगी ?’
जौनसार बावर के मलेथा गांव में 17 वी सदी में नंतराम नेगी का जन्म हुआ। संपूर्ण देश में मुगलों का शासन था जौनसार बावर सिरमौर रियासत का अंग था संभवत सिरमौर रियासत के शासक तब शमशेर प्रकाश थे। सहारनपुर को रौदते हुए मुंगल शासक आगे बढ़ा बादशाही बाग होते हुए वह सिरमौर रियासत के नहान को अपने अधीन करने की तैयारी में था। जब यह सूचना सिरमौर के राजा शमशेर प्रकाश को मिली तब उन्होंने वीर नंतराम नेगी से इस मुगल शासक को समाप्त करने की बात कही वीर नतंराम नेगी सिरमौर रियासत में एक सिपाही के तौर पर कार्यरत थे। वीर थे, योद्धा थे कहते हैं उन्होंने राजा से शाही तलवार मांगी और वह मुगलों के शिविर की ओर आगे बढ़े और कुछ दिनों के पश्चात घनघोर युद्ध में उन्होंने मुगल शासक का सर काटकर सिरमौर के राजा के चरणों में समर्पित कर दिया! लोक गीत (हारूल) में कहा गया है कि खुश होकर राजा ने नंतराम नेगी को पुरस्कार स्वरूप बजीरी के रूप में कालसी की तहसील भेंट की और साथ ही वह तलवार भी नंतराम नेगी को भेंट की जिसमें उन्होंने मुगल प्रशासक का सर कलम किया था वह तलवार आज भी जौनसार बावर के मलेता गांव में सुरक्षित रखी हुई है।
कैसे तैयार हुई नंदराम नेगी की प्रतिमा ?
सन,1998 में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के अनुषांगिक संगठन वनवासी कल्याण आश्रम के बैनर तले कालसी के रामलीला मैदान में एक भव्य ‘जौनसार बावर महोत्सव’ का आयोजन किया गया जिसमें दूर-दूर से टीम एकत्रित हुई इस कार्यक्रम की रूपरेखा सिमोग निवासी श्रीचंद शर्मा ने तैयार की व संघ के प्रेरणा से यह कार्यक्रम आयोजित किया गया जिसमें डॉ. नित्यानंद जी, विजय जी आदि जैसे अनेक अनेक वरिष्ठ प्रचारकों का मार्गदर्शन प्राप्त था । इस कार्यक्रम में तय हुआ है कि जौनसार बावर के जो गौरव के प्रतीक है उन्हें प्रचारित प्रसारित किया जाए जिसमें शहीद केसरी चंद व नंदराम नेगी के नाम से उस कार्यक्रमों में द्वार बनाए गए थे !
नंतराम नेगी का चित्र कैसे बना इसकी भी एक कहानी है संघ के वरिष्ठ प्रचारक विजय जी और श्री चंद शर्मा जी ने मलेता गांव के निवासियों को एक चित्र बनाकर प्रस्तुत किया गांव वासियों ने उस में कुछ परिवर्तन किया और उसके पश्चात इस चित्र को अंतिम रूप से डोईवाला निवासी डॉ विजयपाल ने तैयार किया। चित्र को निर्माण करने के श्रीचंद शर्मा कई बार मलेथा गए, दो तीन प्रयास के बाद चित्र तैयार हो पाया । मलेथा ग्राम निवासी श्री जगत सिंह गुरु जी, श्री बुद्ध सिंह गुरु जी ,श्याम सिंह नेगी एवं अनेक ग्रामीण जनों ने चित्र निर्माण के लिए कल्पनाएं दी। जिसके आधार पर चित्र तैयार हुआ।
डॉ विजय पाल वरिष्ठ कार्टूनिस्ट है जो 1952 में जब शिशु मंदिर योजना प्रारंभ हुई उसमें आचार्य के रूप में भी कार्य कर चुके थे, अंततोगत्वा इस चित्र को अंतिम रूप दिया गया।
जौनसार बावर महोत्सव 1999 में एक वार्षिक कैलेंडर प्रकाशित कर इस चित्र को गांव-गांव तक पहुंचाया गया। इस वार्षिक कैलेंडर को प्रकाशित करने में सुरेंद्र सिंह चौहान कालसी ने आर्थिक रूप से सहयोग किया था । इस सारे कार्यक्रमों में एक स्वयंसेवक के रूप में मेरी और मेरे दोस्त दिनेश तोमर जी पूरी टीम के साथ गिलहरी के रूप में सहयोगी के तौर पर भूमिका रही ।
राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ का प्रचार तंत्र यानी विश्व संवाद केंद्र मे संघ के प्रचारक के नाते मैं कार्यों को देखता था, 20004 मे देहरादून में एक बैठक का आयोजन किया गया। जिसमें जौनसार बावर के 14 – 15 चुनिंदा लोगों शामिल हुए थे यह बैठक तत्कालीन संघ के प्रांत प्रचारक शिव प्रकाश जी के साथ हुई । इस बैठक मे चर्चा हुई की वीर नंतराम नेगी की प्रतिमा जौनसार बावर के लोगों को स्थापित करने चाहिए ।
विषय आगे नहीं बढ़ पाया और फिर इस कार्य को राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के अनुषांगिक संगठन वनवासी कल्याण आश्रम के क्षेत्रीय संगठन मंत्री डालचंद जी ने अपने हाथो में लिया और उन्होंने लोगों के बीच में इस विषय को प्रचारित प्रसारित किया और स्थानीय समाज के सहयोग से पीतल धातु के रूप में पीतल की विभिन्न वस्तुओं का संग्रह कर इस प्रतिमा को साहिया में स्थापित करने का निर्णय लिया ।
जिसमें जौनसार बावर के बागी निवासी रमेश नेगी आदि सहित एक बड़ी टीम के अथक प्रयास कर इस प्रतिमा को अंतिम रूप में तैयार किया। आज हम सब लोगों के सम्मुख पीतल धातु की एक विशाल प्रतिमा बनकर तैयार है ।
हम लोगों के लिए गौरव का विषय है कि जिस नंतराम नेगी ने इस देश को मुंगल आक्रांताओ से बचाने के लिए अपना महान योगदान दिया उनकी प्रतिमा साहिया में स्थापित होगी और आने वाले पीढ़ियों को यह प्रेरणा देती रहेगी कि अपने देश को धर्म के लिए जो लोग स्वयं को समर्पित कर देते हैं उन्हें सदियों तक याद किया जाता है ।