ग्राउंड जीरो से संजय चौहान!
कोरोना काल में विगत 6 महीनों से पर्यटन व्यवसाय सबसे ज्यादा प्रभावित हुआ है। जिस कारण हजारों युवाओं का रोजगार छिना है। लेकिन कोरोना अनलाॅक-4 और अनलाॅक-5 मे सरकार द्वारा पर्यटकों के लिए कुछ रियायत दी गयी है जिसके बाद पर्यटक उत्तराखंड का रूख करनें लगे। बीते एक महीने की बात करें तो लगभग 100 पर्यटक संतोपथ ट्रैक पूरा कर चुके हैं। संतोपथ ट्रैक पूरा कर पर्यटकों की खुशी का ठिकाना नहीं रहा। चेज हिमालय के सीईओ विमल मलासी नें बताया की वे तीन दिन पहले ही एक 6 सदस्यीय दल को लेकर संतोपथ ट्रैक कराकर वापस लौटे हैं। इस दल में सम्मिलित सभी पर्यटक संतोपथ ट्रैक, संतोपथ ताल और स्वर्गारोहणी पर्वत को देख अभिभूत हो गये। इस ग्रुप में मैराथन रनर सतीश गुजरान भी शामिल थे जो अकेले भारतीय हैं जिसने 10 बार कामरेड मैराथन (89 km) पूरा किया है।संतोपथ ट्रैक पूरा करने के बाद जोशीमठ सभी को स्मृति चिन्ह भी भेंट किये गये। चेज हिमालय नें इस ट्रैक के दौरान पूरे ट्रैक में साफ सफाई भी की और कूडा वापस अपने बैगो में भरकर लाये और पर्यटकों को हिमालय बचाओ का संदेश भी दिया।
यहाँ स्थित है संतोपथ ताल!
बद्रीनाथ धाम से 28 और माण गांव से 25 किमी की दूरी पर स्थित है संतोपथ ताल। नीलकंठ और चौखम्बा की तलहटी में लगभग 14500 फीट की ऊँचाई पर स्थित है बेहद खूबसूरत सतोपंथ झील। बर्फ के ठंडे पानी से भरे इस ताल में डुबकी लगाने का अलग ही आध्यात्मिक और रोमांच है।
ये है संतोपथ ताल की मान्यता!
हिमालय की गोद में मौजूद सतोपंथ झील कई रहस्यों और किंवदंतियों से अटा पडा हुआ है। अपने बेपनाह सुंदरता और धार्मिक दृष्टि से ये ताल विश्व के पर्यटन मानचित्र में दर्ज़ है। यह ताल त्रिभुजाकार या तिकोना है। जिस कारण ये झील न केवल भारतीय पर्यटकों को बल्कि विदेशी पर्यटकों की पहली पसंद है। माउंटेन ट्रैक्स के सीईओ राहुल मेहता कहते हैं कि स्कन्दपुराण के केदारखन्ड में इस झील की महत्ता के बारे में जानकारी मिलती है कि ।। तद् सत्यपंथ नाम तीर्थ सर्व मनोहरम त्रिकोण, कारयैवेवत कुण्ड कल्मषनाशनम। एकादश्या हरिस्त अय स्वयमायाति पावने।। जिसका अर्थ है कि सत्यपंथ नामक तीर्थ मनोहारी है। यह तिकोने आकार का जलकुंड सर्वपाप हारी है। एकादशी दिवस पर इस सरोवर में देवतागण स्नान करते हैं। वहीं दूसरी ओर सतोपंथ झील के नाम का अर्थ है सत्य का रास्ता। शास्त्रों में कहा गया है ‘सतो’ मतलब ‘सत्य’ और ‘पंथ’ मतलब ‘रास्ता’ तो यानि मतलब हुआ सत्य का रास्ता। माना जाता है कि महाभारत के पांडव इसी मार्ग से होते हुए स्वर्गारोहणी के रास्ते स्वर्ग चले गए थे।