Friday, August 22, 2025
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पृथ्वी से स्वर्ग की ओर एक रास्ता….? हर की दून………………….यानि पृथ्वी का स्वर्ग !

पर्वत के लोग भाग-1

करिश्माई है यहाँ की धरती..मखमली बुग्यालों और बिभिन्न फूलों से लदी रहती है प्रकृति यह अनमोल छटा।

(मनोज इष्टवाल ट्रेवलाग 25/05/2013)

प्राकृतिक नैसर्गिकता और रूहानी महक से महकती इस घाटी में जब आप कदम रखेंगे तो पता चलता है कि आप एक अकूत सौन्दर्य के धनी पृथ्वी के ऐसे भू-भाग में आ गए हैं। जिसमें निरूशब्द प्रकृति का अटूट प्यार बसा हुआ है…जहाँ देव आत्माओं का शांत और सौम्य प्रदेश निवास करता है। हिमवत का यह भू-भाग उतुंग हिमालयी शिखरों के मध्य फैला एक ऐसा क्षेत्र है जिसके तीन ओर चमचमाते चांदी के बर्फीले पहाड़ और बाकि धरा पर पसरी मखमली हरियाली भरे बुग्याल मन मोह लेने को काफी हैं। वहीँ इन बुग्यालों में फैले सैकंडों प्रजाति के पुष्प ऐसे दिखाई देते हैं जैसे यहाँ देवताओं ने अपने स्वप्न लोक की फुलवारी की क्यारियाँ तैय्यार की हों।

उत्तराखंड प्रदेश का उत्तरकाशी जनपद वैसे भी गंगा जमुना का उद्गम स्थल माना जाता है, जिन्हें दो धाम की संज्ञा दी गयी है लेकिन ट्रैकिंग के लिए यह क्षेत्र स्वर्ग के सामान है। हर साल यहाँ सैकड़ों की संख्या में ट्रेक्कर्स आते हैं। पृथ्वी के इस स्वर्ग यानी हर कि दून तक पहुँचने के लिए आप सबसे उपयुक्त उत्तराखंड कि राजधानी देहरादून का मार्ग चुने, क्योंकि यहाँ से आप विकास नगर, कट्टा-पत्थर,जमुनापुल होकर नैनबाग या फिर मसूरी, कैम्पटी फाल होकर नैनबाग होते हुए डामटा, बर्निगाड, नौगॉव, पुरोला, मोरी, नैटवाड, सांकरी होते हुए तालुका तक मोटर मार्ग से जा सकते हैं। रास्ते भर आप प्रकृति का लुफ्त भी उठा सकते हैं वहीँ बर्निगाड से ५ किलोमीटर कि दूरी पर स्थित यमुना नदी के बायीं छोर पर बसे पांडवों के लाक्षागृह (लाखामंडल) में भी घूम सकते हैं।

तालुका से शुरू होता है आपका पैदल मार्ग का बेहद सुन्दर सफ़र…? प्रकृति का आनंद लेते हुए सुपिन नदी के बायीं ओर से आप अखरोट, मोरू, कैल, देवदार, रई, पुनेर, खर्सों के वृक्षों के बीच से गुजरते हुए कलकल छलछल करती सुपिन नदी के समांतर चलते हुए अपना पहाड़ी सफ़र शुरू करते हैं। रास्ते भर मोनाल, तीत्तर, बटेर, मैना, कोयल,और जंगली मुर्गियों के अलावा गोबिंद वन्य पशु राष्ट्रीय पार्क के कई अदभुत वन्य जीवों के भी आपको दर्शन होते रहेंगे। हर-की-दून पहुँचने के लिए आप कोताही मत कीजिये। प्राकृतिक नैसर्गिकता का भरपूर आनंद लेते हुए यहाँ की यात्रा का लुफ्त उठाते हुए आगे बढें। सांकरी से आपको ट्रैकिंग सम्बन्धी सारी जानकारियाँ देने के लिए जहाँ वहां ट्रैकिंग के व्यवसायिक जानकार मिल जायेंगे वहीँ आप गोबिंद वन्य पशु विहार राष्ट्रीय पार्क के कर्मचारियों से भी इस सम्बन्ध में जानकारी ले सकते हैं. क्योंकि सांकरी में ही रेंज कार्यलय भी है। यात्रा शुरू करने से पूर्व आप सांकरी या तालुका में भी रुक सकते है। गोबिंद वन्य पशु विहार राष्ट्रीय पार्क के अधीन तालुका तक सड़क मार्ग के अंत में एक खूबसूरत सा बंगला निर्मित है जिस पर वर्तमान मैं विभाग कुछ मूल-भूत अन्य सुविधायें जुटाकर उसे और खूबसूरत बना रहा है। यहाँ आपको चौकीदार का भरपूर सानिध्य मिलेगा एवं विभागीय कर्मियों का शिष्ट व्यवहार आप महसूस करेंगे।दोनों जगह सरकारी बंगलों के अलावा व्यावसायिक होटल भी हैं। हो सके तो सांकरी से ही अपने खाने पीने का छोटा मोटा सामान साथ लेकर चले. यहाँ आपको लोकल पोर्टर मिल जायेंगे।
क्रमश:….

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35 बर्षों से पत्रकारिता के प्रिंट, इलेक्ट्रॉनिक व सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर सामाजिक, आर्थिक, राजनैतिक, धार्मिक, पर्यटन, धर्म-संस्कृति सहित तमाम उन मुद्दों को बेबाकी से उठाना जो विश्व भर में लोक समाज, लोक संस्कृति व आम जनमानस के लिए लाभप्रद हो व हर उस सकारात्मक पहलु की बात करना जो सर्व जन सुखाय: सर्व जन हिताय हो.
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