पौड़ी (हिमालयन डिस्कवर)
●सेब-कीवी के बागान उतरने लगे धरातल पर। पटेलिया की नर्सरी के अलावा जनपद में 6 और सेब-कीवी नर्सरी।
●सामूहिक पॉली हाउस में 90 प्रतिशत की छूट से रोजगार के अनूठे अवसर।
उत्तराखण्ड के 13 जनपदों में सबसे ज्यादा पलायन की जद में आये पौड़ी जनपद ने अब फिर से नई इबादत लिखनी शुरू कर दी है। चाहे वह जिला प्लान हों या स्टेट प्लान, हर एक में पौड़ी जनपद अपनी भागीदारी की गाथा लिखता आगे बढ़ रहा है। जिलाधिकारी धिराज गर्ब्याल ने पौड़ी की भौगोलिक स्थिति का अध्ययन कर वहां पर्यटन, ग्रामीण पर्यटन, स्वरोजगार, कृषि एवं उद्यानीकरण के कई रास्ते रास्ते यहां के ग्रामीणों के लिए खोल दिये हैं जो वर्तमान में अपनी तस्वीर के साथ गवाही देते हुए मानों कह रहे हों कि “खुदा बन्दे से आकर पूछे तेरी रजा क्या है।
ग्रामीण पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए जिलाधिकारी ने स्वयं पहल करते हुए जिला योजना के अधीन सर्वप्रथम खिर्सू में बासा का उत्तराखंडी काष्ठ व पाषाण कला के अद्भुत गठजोड़ से निर्माण करवाकर आम नागरिकों के लिए मिशाल पेश करते हुए उसे वहां की ही महिलाओं की जिम्मेदारी पर संचालित करने का जिम्मा सौंपा ताकि ग्रामीण महिलाएं जो घर परिवार की रीढ़ हैं, आर्थिकी का जरिया बन सकें व अपने खेत खलिहानों के साथ साथ बासा में गढवाली पकवानों की खुशबू से अतिथियों का स्वागत सत्कार कर सकें। इस पहल के बाद जनपद के धन्नासेठों भी ठेठ पहाड़ी वास्तुकला में अपने टूटे उजड़े घरों को फिर से पुनर्जीवित करना शुरू कर दिया और फिर से गांव आबाद होने शुरू हो गए हैं।
कोविड के दौरान गांव लौटे परिवारो की आर्थिकी के लिए संसाधन जुटाने के लिए उन्होंने लघु व व्यवसायों के लिए बैंक व को-ऑपरेटिव सोसायटीज व विकास खंड योजनाओं के साथ जिला योजनाओं के तहत सब्सिडी पर आधारित उद्योगों को धरातल पर उतरना शुरू कर दिया है। ऐसे में जनपद के कई उत्साही युवा स्वरोजगार, कृषि, पॉलिट्री, भेड़ बकरी पालन, बेकरी, होटल इत्यादि उद्योगों से जुड़ना शुरू हो गए हैं।
जिला योजना के अंतर्गत जनपद पौडी के किसानों की आय को बढ़ाने के लिए दीर्घ एवं अल्पकालिक योजनाओं में कार्य किया जा रहा है। अल्पकालिक योजना के अंतर्गत एकीकृत एवं समूह आधारित कार्य किए जा रहे हैं ताकि किसानों को शीघ्र रोजगार मिले और पलायन पर भी रोक लगे।
अल्पकालिक योजना के अंतर्गत समूहों को पहली बार 90% सब्सिडी पर पालीहाउस उपलब्ध कराए जा रहे है ताकि एक वर्ष के भीतर ही उनकी आय में 70 से 80 हज़ार रुपये का इज़ाफ़ा हो और समूह आधारित होने के कारण उत्पादों के फ़ॉर्वर्ड लिंकेज में भी परेशानी ना हो। समूहों को पॉली हाउस के अतिरिक्त मत्स्य टैंक बनाकर बड़े पैमाने पर बीजों के माध्यम से कृत्रिम गर्भाधान , बैक यार्ड पोल्ट्री फार्म, सामुदायिक सहभागिता पर आधारित पर्यटन को बढ़ाने के लिए होम स्टे इत्यादि बनाकर दिया जा रहा है ताकि समूहों को वर्षभर रोज़गार मिले।
प्रदेश में पौड़ी जनपद पहला जनपद है जो जो जनपद के 1000 समूहों को 90% अनुदान पर पॉली हाउस प्रदान कर रहा है। पॉली हाउस लगने का कार्य अब प्रारंभ भी हो चुका है जो आगामी तीन माह में समूहों की आय में वृद्धि भी करना सुनिश्चित करेगी। दीर्घकालीक योजना के अंतर्गत विगत एक वर्ष से जनपद में सेब और कीवी के वृक्षारोपण पर कार्य रहा है और इसी योजना के अंतर्गत पौडी जनपद प्रदेश का पहला जनपद है जो अपनी पहली सेब की नर्सरी को अस्तित्व में लाने में सफल हुआ है।