नई दिल्ली/देहरादून 31 अगस्त 2020 (हि. डिस्कवर)
यह खबर सचमुच उत्तराखण्ड से हो रहे लगातार पलायन को रोकने के लिए रीड की हड्डी का काम करेगी क्योंकि केंद्रीय शिक्षा मंत्री रमेश पोखरियाल निशंक ने कहा है कि नई शिक्षा नीति के तहत उत्तराखंड के हर ब्लॉक में केंद्रीय विद्यालय की शुरूआत उत्तराखंड से ही होगी और खुुद पीएम इसके प्रोत्साहित कर रहे हैं।
राष्ट्रीय समाचार पत्र अमर उजाला के सवालों के जवाब में डॉ रमेश पोखरियाल निशंक ने कहा कि नई शिक्षा नीति को‘नीति से रणनीति’ की अवधारणा के आधार पर लागू किया जाएगा। सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों से बात करने के बाद विस्तृत रणनीति तैयार की जाएगी।कुछ सिफारिशें अगले साल लागू होंगी और कुछ बाद में लागू की जाएंगी।
केंद्रीय शिक्षा मंत्री ने कहा कि नई शिक्षा नीति में उच्च शिक्षा से जुड़े 117 और स्कूली शिक्षा से जुड़े 150 मामलों में सिफारिशें की गई है। उन्होंने कहा कि फिलहाल टिप्पणी करना जल्दबाजी होगी कि कौन सी सिफारिशें कब लागू होगी। कई मामलों में हम राष्ट्रीय स्तर पर पायलट प्रोजेक्ट चलाएंगे। कुछ आआईटी और केंद्रीय विश्वविद्यालयों में एकैडमिक बैंक ऑफ क्रेडिट के माध्यम से शत प्रतिशत सुरक्षित रखने की योजना है।
उत्तराखण्ड के परिपेक्ष्य में उन्होंने बात रखते हुए कहा कि केंद्र सरकार उत्तराखंड में सभी 95 ब्लॉकों में केंद्रीय विद्यालय खोलने पर सहमत है। हर ब्लॉक में केंद्रीय विद्यालय खुलने की स्थिति में यह ऑलवेदर रोड प्रोजेक्ट के बाद उत्तराखंड के लिए मोदी सरकार की दूसरी सबसे बड़ी सौगात है। हमारी मुख्यमंत्री से लगातार इस पर चर्चा हो रही है। मुख्यमंत्री ने हर ब्लॉक में केंद्रीय विद्यालय के लिए जमीन और जरूरी छात्र संख्या मुहैया कराने की बात कही है। केंद्र सरकार भी केंद्रीय विद्यालय खोलने की अपनी योजना की शुरुआत देवभूमि उत्तराखंड से करेगी। स्वयं प्रधानमंत्री इसे प्रोत्साहित कर रहे हैं।
डॉ निशंक ने अमर उजाला के प्रश्नों का जबाब देते हुए एनआईटी श्रीनगर (सुमाड़ी) को लेकर भी तस्वीर साफ करते हुए कहा कि लगभग दस साल की मेहनत के बाद एक राष्ट्रीय संस्थान अब उत्तराखंड में स्थापित हो रहा है। एनआईटी श्रीनगर (सुमाड़ी) के निर्माण में लगभग एक हजार करोड़ की लागत आएगी और करीब 310 एकड़ जमीन पर कैंपस का निर्माण किया जाएगा। करीब 203 एकड़ जमीन की पहचान कर ली गई है।
बहरहाल
केंद्रीय शिक्षा मंत्री डॉ निशंक की इस घोषणा से पूरे प्रदेश में खुश्की लहर है क्योंकि अपने बच्चों के सुनहरे भविष्य के लिए ज्यादात्तर उत्तराखंडी अपने गांवों से शहरों की ओर पलायन कर रहे थे। कोरोना काल में गांव लौटे उत्तराखंडी जन मानस के हृदय में यही सबसे बड़ी टीस थी कि अब वे कैसे अपने बच्चों के भविष्य को संवारने का काम करेंगे। रिवर्स माइग्रेशन के बाद देश के प्रधानमंत्री की निजी रुचि व केंद्रीय शिक्षा मंत्री की नई शिक्षा पालिसी से अब यह तो तय हो गया है कि अब बंजर गांव जल्दी ही आबाद होंगे।