Thursday, August 21, 2025
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टांगा गांव के बाद अब मुनस्यारी का धापा गांव खतरे की जद में। घर छोड़ गुफाओं में रह रहे हैं ग्रामीण।

(मनोज इष्टवाल)

प्रकृति का आखिर यह प्रकोप हर साल पिथौरागढ़ के मुनस्यारी, मदकोट व अस्कोट क्षेत्र के विभिन्न इलाकों में ही क्यों देखने को मिल रहा है? 2013 में केदार आपदा के बाद से लेकर वर्तमान तक पिथौरागढ़ के इस क्षेत्र में प्रकृति जाने क्यों अपना रौद्र रूप दिखाती आ रही है ।अकेले धारचुला-मुनस्यारी की बात करें तो यहां विगत 22 सालों में बादल फटने की 13 घटनाएँ प्रकाश में आई हैं, जबकि पूरे जिले में अब तक प्राकृतिक प्रकोप आधिकारिक आधार पर 354 जानें लील चुका है।

विगत दिनों से लगातार चल रही बारिश के कारण टांगा गांव में आपदा के बाद अब मुनस्यारी में बारिश के कारण धापा गांव खतरे की जद में आ गया है। यहां के छह परिवारों ने मकानों के जमींदोज होने के भय से विगत मंगलवार की रात कई लोगों ने एक गुफा में बिताई है।

बुद्धवार की सुबह होते ही यहां के ग्रामीणों ने खेतों में टेंट खड़े किए और सभी 47 परिवार टेंटों में रह रहे हैं। ज्ञात हो कि धापा गांव में 47 परिवार भूस्खलन के कारण खतरे में हैं। आपदा के भय से 41 परिवार तीन दिन पूर्व ही शिफ्ट हो गए थे। इनमें से कुछ परिवारों ने प्राथमिक स्कूल में, कुछ ने आंगनबाड़ी केंद्र में तो अधिकांश लोगों ने रिश्तेदारों के घरों में शरण ली है।

धारचुला-पिथौरागढ़ क्षेत्र में विगत सदी के अंतिम चरण में अर्थात 1998 में सबसे बड़ी घटना मालपा में घटित हुई थी जहां आकाशीय बिजली गिरने, भूस्खलन होने से कैलाश मानसरोवर से लौट रहे 207 लोगों की मौत हो गयी थी। कुछ बर्ष शांत रहने के बाद फिर 2009 यानि 11 बर्ष बाद इसी क्षेत्र में प्राकृतिक आपदा की दो घटनाएं घटित हुई जिनमें मुनस्यारी के ला झेकला क्षेत्र में 47 लोगों को व बरम क्षेत्र के 15 लोगों को इस आपदा ने मौत की नींद में सुला दिया।

बर्ष 2014 व 2015 में फिर बादल फटने की घटनाएं सामने आई जिसमें धारचुला के 28 लोगों की मौत हुई। पिथौरागढ़ जिले के ही डीडीहाट बस्तडी गांव में आई आपदा में सन 2016 में 21 लोगों की जानें गयी।  पुनः 2017 में इंडो-चाइना बॉर्डर लाइन के समीप डूंगडुंग (दुंग़दुंग) व मालपा में बादल फटने से आईटीबीपी के 6 जवानों सहित 25 से अधिक लोगों की मौत हुई थी।

सन 2018 में मुनस्यारी, बांगापानी व धारचुला जबकि 2019 में नाचनी के भैंसखाल क्षेत्र में बादल फटने की घटना में आधिकारिक 04 लोगों की जाने गयी हैं। इसके अलावा विगत दिनों मुनस्यारी के टांगा गांव में बादल फटने की घटना में तीन लोगों की मौत व कुछ लोगों के लापता होने का खबर है। डिसास्टर मैनेजमेंट विभाग के अनुसार इस जिले के लगभग 125 गांव संवेदनशील हैं जहां हर बर्ष बादल फटने की घटनाएं घटित होती आ रही हैं व जनधन का भ नुकसान हो रहा है ।

इससे पूर्व ब्रिटिश काल से लेकर अब तक इस जिले के धारचुला में बर्ष 1958 व 1968 में जबरदस्त भूकम्प आये थे रिएक्टर पैमाने पर जिनकी तीव्रता 6.25 व 7.00 आंकी गयी थी। इसके अलावा 2013 में केदारनाथ आपदा की बड़ी त्रासदी के साथ साथ 16 जून 2013 को मदकोट धारचुला क्षेत्र के धौली गंगा व काली गंगा में भी आपदा के कारण भयंकर बाढ़ की स्थिति रही।

 

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