Tuesday, October 21, 2025
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क्या पूर्व मुख्यमंत्री विजय बहुगुणा फिर से आ रहे हैं सुर्खियों में। क्या है जादुई पिटारे में।

देहरादून 15 जुलाई 2020 (हि.डिस्कवर)।

राज्य में आगामी नवंबर में खाली होने जा रही राज्यसभा सीट को लेकर तीन दिग्गज नेताओं के नाम चर्चा में हैं। पहला पूर्व मुख्यमंत्री विजय बहुगुणा, दूसरा प्रदेश प्रभारी श्याम जाजू और तीसरे हरियाणा के प्रभारी सुरेश भट्ट का। भाजपा ज्यादातर स्थानीय नेताओं को ही राज्यसभा भेजने की पक्षधर अब तक दिखाई दी है। इस बार भी भाजपा ने इसी रणनीति पर काम किया तो पूर्व मुख्यमंत्री विजय बहुगुणा का नंबर लग सकता है। वहीं भाजपा सूत्रों की माने तो वर्तमान में भाजपा के प्रदेश प्रभारी और राष्ट्रीय उपाध्यक्ष श्याम जाजू  व सुरेश भट्ट भी प्रबल दावेदार हैंं।

उत्तराखंड से अक्सर भाजपा और कांग्रेस, स्थानीय के साथ ही पार्टी के अन्य राज्यों के वरिष्ठ नेताओं को भी राज्यसभा भेजती रही हैं। अगर पार्टी किसी स्थानीय नेता को मौका देती है तो इस स्थिति में विजय बहुगुणा उसकी पहली पसंद हो सकते हैं। गौरतलब है कि बहुगुणा की मार्च 2016 में कांग्रेस की टूट में सबसे अहम भूमिका रही थी। तब वह कांग्रेस छोड़ भाजपा में आए थे, तो माना जा रहा था कि पार्टी उन्हें लोकसभा या राज्यसभा भेज सकती है लेकिन ऐसा नहीं हुआ। इसलिए इस बार उन्हें प्रबल दावेदार माना जा रहा है। लेकिन कुछ राजनीतिज्ञों का मानना है कि वर्तमान प्रदेश सरकार में जातीय समीकरणों के चलते ब्राह्मण समुदाय का व्यक्ति हाशिये पर भी रह सकता है। लोगों का मानना है कि इस समय प्रदेश में खुलकर जात-पात की राजनीति हो रही है।

आपको बता दें कि राज्य के हिस्से में राज्यसभा की कुल तीन सीटें हैं। इनमें से दो फिलहाल कांग्रेस और एक भाजपा के पास है। कांग्रेस से सिने अभिनेता राज बब्बर और प्रदीप टम्टा राज्यसभा में हैं, जबकि भाजपा से पार्टी के राष्ट्रीय मीडिया प्रमुख अनिल बलूनी।

2015 में कांग्रेस की राज्यसभा सदस्य मनोरमा डोबरियाल शर्मा के निधन के कारण रिक्त हुई सीट के उप चुनाव में जीत दर्ज राज बब्बर वर्ष राज्यसभा पहुंचे थे। मनोरमा डोबरियाल शर्मा नवंबर 2014 में राज्यसभा सदस्य निर्वाचित हुई थी, इस हिसाब से नवम्बर में राज बब्बर के स्थान पर राज्यसभा में नई ताजपोशी होनी है। पूर्व मुख्यमंत्री विजय बहुगुणा इसलिए प्रबल दावेदार बताये जा रहे हैं क्योंकि वे पार्टी अनुशासन की दृष्टि से कहीं भी खबरों में नहीं दिखाई दिए। ऐसे में न प्रदेश सरकार को उनकी ताजपोशी में कोई परेशानी होगी और न केंद्र सरकार को। अब देखना है कि इन चार से पांच माह में राजनीति की गोटी कहाँ फिट बैठती है। सूत्रों का कहना है कि प्रदेश में  कुछ राजनीतिक बादलों के छंटने का आसार हैं। हो न हो सावन इसीलिए कम बरस रहा हो और भादो में जमकर बारिश हो क्योंकि बादल घिर तो बहुत रह हैं लेकिन सिर्फ गड़गड़ाहट करके आकाश में ही शांत होते जा रहे हैं।

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