(हरीश कंडवाल मनखी की कलम से)।
पंचमू के गॉव मेंं आजकल कोरोना के कारण हुये लॉकडाउन के कारण वे सभी युवा जो होटल, और अन्य क्षेत्र में काम करते थे, सब काम नहीं होने के कारण अपने घरांं में आ गये हैं, आजकल सब घर पर ही अपने बंझर पड़े खेतों को साफ कर रहे हैं, इस समय घर गॉव आबाद हो रखे हैं, पंचमू की ब्वारी का सतपुली में जो बुटीक का काम था आजकल वह भी कम हो रखा है। वैसे भी बरसात में कम ही दुकान खुलती थी, क्योंकि आजकल धान की रोपणी में व्यस्त रहती है। आज भी गॉव में रोपणी मिलजुलकर लगायी जाती है, पंचमू की ब्वारी धनकुर बनकर काम करती है। आजकल वह धनकुर बनी हुई है। धनकुर में काम करते वक्त सब जानकारी साझा होती रहती हैं, सब लोग इसी बात की चिंता करते हैं, कि उनके बेटे बहु जो नौकरी से वापिस आ गये हैं, वह क्या रोजगार करे।
गॉव की एक द्यूराणी ने पंचमू की ब्वारी को ढंसाक मारते हुए कहा कि दीदी तुम सोशल मीडिया मे खूब लिखती रहती है, जरा अपने कके ससुर जी को लिखो कि जो पलायन आयोग बनाया था उसका भी पलायन हो गया या वह रूप्यों की धोळ फोळ करने के लिए बनाया था। गॉव में बेरोजगारों के लिए कुछ काम धंधा खोले, तब जाकर तो यहॉं कुछ होगा। द्यूरयाणी की बात से पंचमू की ब्वारी की नाक लग गयी उसने घर का सारा काम निपटाया और रात को अपने कके ससुर जी को चिठ्ठी कुछ इस तरह लिखी।
आदरणीय,
कके ससुर जी और कके सास जी को सादर प्रणाम, ननद देवर को उनकी भौजी की तरफ से आशीर्वाद। आशा है कि लॉक डाउन में आप राजी खुशी होगें,। यहॉ पर आपकी भाभी यानी सास और आपका भाई (पंचमू) और बच्चे भी राजी खुशी पूर्वक हैं। कके ससुर जी इस बार लॉकडाउन के कारण आपके लिए सत्तू नहीं भेज पायी हूॅ, आम पकने वाले हैं, लेकिन यहॉ प्रधान जी और प्रशासन ने बाहर से आने वालों को क्वारंटीन कर रहे हैं। देहरादून पंचमू को भी नहीं भेज सकती हूॅं, सास जी ने सौं दे रखी हैं, अभी सौणा मैना लगते ही आपके लिए बसंकील भेज दूंगी, थोड़ा सिंगान भी निकलेगें तो वह भी भेज दूंगी।
वैसे कल मैने एक पोर्टल पर खबर पढी कि आपके बगीचे में एक ही कलमी आम पर 42 किस्म के आम लगे हैं। तब मैनें सोचा कि जब एक ही पेड़ पर 42 किस्म के आम लगे हैं, तो कके सासू जी के लिए चुस्यणा आम क्या भेजना। कके ससुर जी पिछले साल एक पलायन आयोग बना था जिसने पलायन के कारणों और पलायन दूर करने के लिए कुछ सुझाव दिये थे, लेकिन आजकल जब लोग बाहर से वापिस आ गये हैं, अब वह पलायन आयोग कहॉ पलायन कर गया होगा, या फिर उस पलायन आयोग को भी रूप्यों की धोळ फोळ करने के लिए बनाया गया था।
कके ससुर जी आप तक तो हर खबर पहुॅची रही होगी, गॉव में सब युवा घर आ गये हैं, कुछ मनरेगा में काम कर रहे हैं, कुछ खेतों को साफ कर रहे हैं, वे लोग गॉव में रहना भी चाहते हैं, लेकिन उनके सामने सबसे बड़ी चुनौती शिक्षा की है, अब या तो उनको सतपुली में अपने बच्चों को पढाने भेजना होगा, लेकिन रोजगार नहीं होने से उनकी फीस देना भी मुश्किल हो जायेगा। ऐसे लोगों का कहना है कि गॉव के जो प्राईमरी स्कूल छात्र संख्या कम होने के कारण बंद हो गये हैं, वहॉ दोबारा अध्यापकों की नियुक्ति की जाय।
ससुर जी जैसे आपने अपने बगीचे में कलमी आम जो 42 किस्म के फल दे रहा है, ऐसे ही गॉव के लोगों को उद्यान विभाग से प्रशिक्षण दिलवाकर गॉव में भी लगवा दीजिए। यहॉ ब्लॉक में क्या योजना आ रखी हैं, गॉव में कोई जानकारी नहीं मिल पाती है, अतः गॉव गॉव में इसके लिए स्वरोजगार सृजन के लिए कार्यशाला का आयोजन किया जाय व स्वरोजगार करने वाले नवयुवकों को जानकारी दी जाय।
कके ससुर जी खेती करना कितना मुश्किल हो गया है, हम लोग ही जानते हैं, सुअर, खरगोश, मोर, अन्य जानवर खेती को बहुत नुकसान पहुॅचा रहे हैं, जब तक खेतों में चकबंदी नहीं हो पायेगी तब तक गॉव में एक साथ खेती कर पाना संभव नहीं है, अपने रहते हुए आप चकबंदी के संबंध में भी विचार कीजिए, कके ससुर जी गॉव की महिला और वहॉ की किसान होने के नाते अनुभव के हिसाब से कुछ सुझाव भेज रही हूॅ, आशा है कि बहु के इस सुझाव पर आप अमल करेगें।
1. सबसे पहले चकबंदी का काम शुरू किया जाय।
2. मनरेगा में फालतू की सुरक्षा दीवार पर खर्च करने की जगह पर प्रत्येक गॉव में मनरेगा के तहत हळया नाम से पोस्ट सृजित किया जाय, और उसका मानदेय नियत किया जाय।
3. गॉव के युवाओं को स्वरोजगार के लिए गॉव या ब्लॉक स्तर पर निशुल्क प्रशिक्षिण शिविर लगवाया जाय।
4. पशुपालन एवं डेरी उद्योग हेतु विपणन की उचित व्यवस्था की जाय।
5. स्वरोजगार करने वालों को प्रोत्साहित किया जाय, एवं लोन प्रक्रिया को सिंगल विण्डो सिस्टम किया जाय।
6. गॉव में लघु एवं कुटीर धंधा करने वाले इच्छुक व्यक्तियों को सरकार की ओर से सब्सिडी दी जाय।
7. सरकारी नौकरी में पहाड़ी क्षेत्र के स्कूलों में इण्टर तक पढे बच्चों को सरकारी नौकरी में आरक्षण दिया जाय, इससे लोग गॉव में ही बच्चों को उचित शिक्षा देगें और गॉव से पलायन कम होगा, जिससे गॉव व पहाड़़ विकसित होगे।
प्रवासी जो गॉव आये हैं, उनके लिए रोजगार का सृजन किया जाना जरूरी है। विशेषकर शिक्षा और स्वास्थ्य पर ध्यान दिया जाय तो गॉव में आये लोग फिर यहीं रहने के लिए मन बना लेगें, ऐसे लोगों को रोका जाना जरूरी है, ताकि राज्य के युवाओं की शक्ति उनकी मेहनत राज्य के हित में काम आये।
बाकि कम लिखे हुए को अधिक समझना, बाकि कके सास जी को कहना कि कोरोना में आपका और अपना ख्याल रखे, जब समय मिले तो अपने कूड़ी में प्लास्टिक डालने आ जाना, क्योंकि वह अब टपकने लगी है, पंचमू बता रहा था कि कूड़ी का धुरपळ भी नीचे झुक गया है, उसे अब होम स्टे के लिए भी उपयोग नहीं कर सकते हैं, घर के ऑगन में भंगलू जम रखा था, सास जी ने कल ही साफ किया है, कह रही थी कि भंगलू जमाकर गॉव का विकास हो जाता है तो अच्छी बात है, लेकिन यह तो फुल्या है।
अब मुझे भी नींद आ रही है, कल बड़े सास जी की रोपणी लगानी है। बाकि बातें फिर अगली बार लिख दूंगी।
पंचमू की ब्वारी सतपुली से।