Friday, August 22, 2025
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जंगल में क्वारनटाइन मरीज ने फेसबुक में वीडियो डालकर फुला डाली प्रशासन की सांसें। दौड़ पड़ा अमलीजामा और हासिल पाया जीरो।

पौड़ी 28 जून 2020 (हि. डिस्कवर)।

●पौड़ी के कोट ब्लॉक में जंगल में बाघ-भालुओं के बीच पेड़ के नीचे संस्थागत क्वारंटाइन एक नवयुवक..।

चीड़ बांज के जंगल में खुले आसमान के नीचे बिछौना व बिछौने के पास कुछ ऐसे हथियार जो आत्म रक्षा के लिए रखें हों। फिर क्लाइमेक्स बदलता है व एक युवक प्रकट होता है जो अपना परिचय देते हुए बताता है कि उसका नाम महेंद्र सिंह पटवाल गुसाईं है जो ढूँगी गांव का निवासी है। वीडियो फेसबुक में वायरल होते ही सब लोग प्रशासनिक व्यवस्था से लेकर ग्राम प्रधान तक सबको खरी खोटी सुनाने लगते हैं। जो भी वीडियो देखता वह सचमुच शासन प्रशासन को कोसता। आनन फानन जब यह वीडियो क्षेत्रीय विधायक के पास जाता है तो उनके भी हाथ पांव फूलने लाजिम थे क्योंकि एक तो मामला उनकी विधान सभा का ऊपर से विकास खण्ड भी वही। मामला जिलाधिकारी के संज्ञान में आता है तो वे एसडीएम को निर्देशित कर एक टीम गठित कर घटना स्थल को रवाना करते हैं।

वहीं दूसरी ओर विधायक मुकेश कोहली भी एसडीएम के माध्यम से जानकारी जुटाकर उन्हें हर पल की खबर देने की बात कहते हैं क्योंकि मामला उनके ग्रामीण क्षेत्र व विकास खंड का था। 

यह सब घटना पौड़ी जनपद के विकास खंड कोट के ढूँगी गांव का है, जहां का महेंद्र सिंह पटवाल गुसाईं नामक  व्यक्ति राजस्थान के अजमेर क्षेत्र के कड़ेल गांव स्व बकरियां लेकर गांव लौटता है। गांव आकर उसे विद्यालय में क्वारंटाइन होना पड़ा,  लेकिन एक ही रात विद्यालय में गुजारने के बाद ग्रामीणों ने दूसरे गाँव के व्यक्ति को अपने गाँव के स्कूल में न रखने की दलील देते हुये,उसे स्कूल से बाहर निकाल दिया। आप ही सुनिए क्या कह रहे हैं अपने द्वारा स्वयं वायरल किये गए वीडियो में महेंद्र सिंह पटवाल गुसाईं:-

हिमालयन डिस्कवर से बात करते हुए जिलाधिकारी बेहद व्यथित नजर आए व बोले- हमारी प्रशासनिक टीम मौके पर जो देखकर आई है वह कागज आपको उपलब्ध करवा दिए जायेंगे। उन्होंने कहा कि सम्बन्धित व्यक्ति अपनी बकरियों के चक्कर में अपने गोट हाउस के फार्म हाउस के पास रहना चाहता था, ग्राम प्रधान ने पास के गांव के स्कूल में ही उनकी व्यवस्था करवाई लेकिन दूसरे गांव के ग्रामीणों की आपत्ति पर ग्राम सभा ने उन्हें क्वारनटाइन हेतु अपनी स्कूल भेजना चाहा जिसके लिए उन्होंने मना कर दिया व अपने ही गोट फार्म में रहना मुनासिब समझा क्योंकि वे अपनी बकरियां छोड़कर नहीं जाना चाहते थे।

दूसरी ओर क्षेत्रीय विधायक मुकेश कोहली ने कहा कि शासन प्रशासन व एसडीएम से प्राप्त जानकारी के अनुसार महेंद्र सिंह पटवाल गुसाईं ने स्वेच्छा से वहां रहना स्वीकार किया था। एसडीएम ने जानकारी में उन्हें बताया कि ग्रामीणों को उनके होम क्वारनटाइन पर कोई आपत्ति नहीं थी लेकिन उन्हें अपनी बकरियां भी देखनी थी व पास ही दूसरे गांव के स्कूल में रहना भी था। ऐसे में प्रशासनिक व्यवस्थाओं के साथ उन्हें समझौता करना चाहिए था। दूसरी और सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि उन्हें इस महामारी काल में राजस्थान से बकरी लाने की सलाह किसने दी। अब जब दूसरे राज्यों से आने वाले लोगों को क्वारनटाइन करने के नियम सब पर लागू हैं तो उन्हें भी नियम फॉलो करने चाहिए।

विधायक मुकेश कोहली बोले- हम तो जनता के सेवक हैं, इन्ही के वोटों से चुनकर यहां तक पहुंचे भी हैं ऐसे में हमारा दायित्व भी बनता है कि समाज के हित में समाज के साथ साथ हाथ जोड़कर आगे बढ़े। लोग तो यूँ भी धमकाने में देर नहीं लगाते। फिर भी एक समाजसेवक का दायित्व निभा रहा हूँ, उन्हें दिक्कत है तो उसका भी सोलुशन हो सकता है लेकिन बिना प्रशासन को इतला किये यह सब करना कहाँ तक उचित है ईश्वर जाने।

आपको जानकारी दे दें कि जब प्रशासनिक टीम ढूँगी गांव पहुंची तो महेंद्र सिंह पटवाल गुसाईं ने उन्हें लिखित में दिया कि यह वीडियो उन्होंने बिना सोचे समझे फेसबुक पर डाल दिया जबकि वह अपनी मर्जी से अपने गोट फार्म में रह रहे हैं। महेंद्र सिंह पटवाल गुसाईं जिस तरह वीडियो बनाते समय कई बार भावुक हुआ वहां कहीं न कहीं यह तो लग रहा था कि उन्हें उनकी इच्छानुसार स्कूल में क्वारनटाइन के बाद हटाये जाने की पीड़ा साल रही है।

 

 

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