(मनोज इष्टवाल)
हाल ही में उत्तराखण्ड सरकार के दो से तीन गुना किराया बढ़ाने के निर्णय को आइना दिखाते हुए गढ़वाल मोटर्स ओनर्स यूनियन (जीएमओ) ने यात्रियों से दो गुना किराया वसूलने से साफ तौर पर इंकार कर दिया है। वहीं सरकार के किराए बढ़ाने के निर्णय से जहां वॉल्वो का किराया देहरादून से दिल्ली 1600 से 2200 रुपये के आस पास बताया जा रहा है वहीं यही किराया हवाई जहाज में इस से कम है।
जीएमओ के अध्यक्ष जीत सिंह पटवाल ने जानकारी देते हुए बताया कि इस बारे में उन्होंने सरकार व शासन को पत्र लिखकर स्पष्ट कर दिया है कि जीएमओ महामारी के इस दौर में ऐसा अनर्थ बिल्कुल नहीं करेगी जो जनहित के लिए हानिकारक हो। उन्होंने कहा कोरोना के कारण जहां हजारों हजार लोग बेरोजगार हो गए हैं वहीं वे आम जन पर दोगुना किराया बढ़ाकर जीएमओ शोषण नहीं करना चाहती।
जीएमओ के अध्यक्ष जीत सिंह पटवाल द्वारा इस सम्बंध में मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत को पत्र लिखकर कहा है कि जीएमओ द्वारा इस कोरोना काल में बसों का संचालन पूर्ण रूप से बंद रखा हुआ है। उन्होंने कहा कि कम्पनी द्वारा सरकार से पूर्व में जीएमओ टैक्स माफी व बीमा राशि माफी सम्बन्धी पत्र व्यवहार किया गया था लेकिन सरकार द्वारा इस पर पूर्ण निर्णय लेने की जगह न एक साल का टैक्स माफ किया गया और ना ही बीमा राशि में कोई संशोधन किया गया।
जीएमओ कम्पनी के वाहन स्वामियों ने सरकार के रुख को देखते हुए आगामी 30 जून 2020 तक अपने वाहनों को सरेंडर करने का निर्णय लिया है क्योंकि उनके व उनके कर्मचारी व परिवार आर्थिक संकट से जूझ रहे हैं।
वहीं बद्रीनाथ विधायक महेंद्र भट्ट द्वारा भी किराया बढ़ोत्तरी के निर्णय पर तल्ख तेवर अपनाते हुए सोशल साइट पर ट्वीट करते हुए कहा है कि “मित्रो आप इधर उधर क्यों जाना चाहते हो,आपको पता है कि 30 तक लोकडाउन है।आप जैसे लोग रोज इधर उधर न जाये इसी लिए लॉकडाउन तक गाड़ी का किराया बढ़ाया गया है,और गाड़ी में भी आधी सवारी डिस्टेंस के लिए जरूरी है।गाड़ी का भी सेनिटाइजेशन होना है।
आपसे मेरा निवेदन है कि अगर ज्यादा किराये से बचना है तो घर पर ही सुरक्षित रहें, और परिवार को भी सुरक्षित रखें।जब जरूरी हो तब ही गाड़ी में बैठे। सोचो कि सरकार इस खतरनाक बीमारी से बचने के लिए ऐसे भी निर्णय क्यों ले रही है। देखा नही बड़ी संख्या में लोगो के आने जाने से बीमारी किस कदर बड़ी है। मानव के जीवन से बड़ा पैसा नही है।”
ज्ञात हो कि प्रदेश सरकार ने भले ही यात्री वाहनों के किराए में दोगुनी बढ़ोत्तरी कर दी हो लेकिन गढ़वाल मोटर्स ऑनर्स यूनियन लिमिटेड (जीएमओयू) सरकार के इस निर्णय से कतई संतुष्ट नहीं है। कंपनी का स्पष्ट कहना है कि सरकार के इस निर्णय से आमजन के साथ ही वाहन स्वामी पर भी आर्थिक बोझ पड़ेगा, जबकि सरकार को दोहरा लाभ होगा। प्रदेश सरकार ने परिवहन निगम व निजी बसों के किराए में दोगुना बढ़ोत्तरी करने का निर्णय लिया तो आमजन को सड़कों में बसों के दौड़ने की उम्मीद नजर आने लगी, लेकिन ऐसा नहीं हुआ।
गढ़वाल में यातायात की रीढ़ मानी जाने वाली जीएमओयू ने बसों के संचालन से हाथ पीछे खींच लिए। जीएमओ का कहना है कि वे सरकार के किराया बढ़ाने के निर्णय का कतई समर्थन नहीं करते क्योंकि जीएमओ उत्तराखण्ड के आम जन पर आर्थिक बोझ नहीं लादना चाहते।
वहीं दूसरी ओर प्रदेश भर में जीएमओ के इस निर्णय का जनता ने स्वागत किया है। लोगों का कहना है कि सरकार द्वारा ऐसे समय में किराया बढ़ाना कहीं भी न्याय संगत नहीं है क्योंकि इस समय कोरोना महामारी से जहां एक ओर बेरोजगारी बढ़ गयी है वहीं आम जन अपनी आम जिंदगी चलाने के लिए जद्दोजहद पर लगा हुआ है, ऐसे में परिवहन में किराया बढ़ाने का मुख्यमंत्री का निर्णय न कहीं तर्कसंगत है न न्याय पूर्ण।
अमित चौहान कहते हैं कि अगर वॉल्वो का किराया डेढ़ से दो गुना बढ़ गया है तो हम क्यों उत्तराखण्ड परिवहन निगम की बसों से सफर करें। इससे अच्छा तो हम जहाज या ट्रेन से यात्रा करेंगे। उन्होंने इस निर्णय को अविवेकपूर्ण बताया है।