(वरिष्ठ पत्रकार क्रांति भट्ट की कलम से)
●आखिर क्यों न पूछे मीडिया और जनता ! और हम क्यों बचे जबाब से ! दायित्व से ! कब तक बचेंगे सवालों से ! और क्यो बचें !
ये सारे शब्द मेरे नहीं है । भाजपा के सृजन शिल्पियों में एक और भारत के पूर्व गृह मंत्री रह चुके लाल कृष्ण आडवाणी जी के हैं । आज मुझे अल सवेरे जाने क्यों याद आ गये ! मस्तिष्क के किसी कोने में जाने कैसे संरक्षित रह गये आडवानी जी के ये शब्द उभर आ गये । अपने अंदर कुलबुलाते आडवानी जी के ये शब्द और वाकया आंखों के आगे तैरने लगे हैं । और साक्षी हैं भगवान बदरी विशाल !
” भारत और चीन ” के मध्य सीमा विवाद और तनाव की खबरें फिर सुर्खियां न सही पर चिन्ता तो पैदा करतीं ही हैं । इसी मौजूदा चिंता को लेकर वह वाकया याद आ गया । जब भारत के पूर्व गृह मंत्री लालकृष्ण आडवाणी जी से बदरीनाथ में हल्की नाराजगी के बीच पत्रकार के बतौर संक्षिप्त मुलाकात हुयी । सवालात हुये । जिम्मेदार पदों पर पदों बैठे ब्यक्तियों को दायित्व के प्रति कितनी संजीदगी होनी चाहिये । उस घटना ने बताया ।
** हुआ ये कि आडवाणी जी गृह मंत्री के बतौर भारत तिब्बत चीन से लगे भारत के सीमान्त चौकियों के निरीक्षण और अपने हिमवीरों ( आई टी बी पी ) के जवानों से मुलाकत करने माणा पीक और घसतोली के हवाई निरीक्षण और तैनात चौकियों पर जवानों से मुलाकात के बाद बदरीनाथ के दर्शन के लिये । उस वक्त भी चीन की वही हरकत थी जो उसकी फितरत में है । आईटीबीपी के तत्कालीन डीजी और आला अफसरान उनके साथ और सुरक्षा में थे ।
भगवान बदरीनाथ के दर्शन के बाद आडवाणी जी कुछ देर मंदिर के सामने के अतिथि गृह में बैठे । बाहर सख्त सुरक्षा थी। हम सीमा क्षेत्र के पत्रकारों में जिज्ञासा थी कि गृह मंत्री अचानक भारत चीन सीमा के निरीक्षण से लौटे । आखिर माजरा क्या है ! कहीं कोई विशिष्ट बात तो नहीं ! अतिथि कक्ष के बाहर हम पत्रकारों ने आईटीबीपी के अफसरों से कहा हम आडवाणी जी से मुलाकात कर सवाल करना चाहते हैं । समय की अल्पता और सुरक्षा की दृष्टि का तर्क देते हुये और प्रोटोकाल में पूर्व में पत्रकारों से मुलाकात का कोई कार्यक्रम न होने का तर्क देकर अफसरों ने आडवाणी जी से मुलाकात कराने से साफ इंकार कर दिया । मैं अपने साथी वरिष्ठ पत्रकार रजपाल सिंह बिष्ट, प्रकाश कपरवाण सहित अन्य पत्रकारों के साथ आडवाणी जी से सवाल करना चाहता था कि ” आखिर ये क्या सिच्वेशन आ गयी कि गृह मंत्री जी चीन से लगी देश की सीमा पर अचानक गये और लौटे हैं ।
अफसरों ने जब आडवाणी जी से मिलाने से साफ इंकार किया । तो मैं अपने साथी पत्रकारों के साथ खड़े होकर ऊंचे स्वर में चिल्लाया कि “आखिर मामला क्या है ! क्या सीमा पर खतरा हो गया है ! या गड़बड़ है ! हम सीमा क्षेत्र के पत्रकार ही नही सारी पत्रकार विरादरी जानना चाहती है अपने देश के जिम्मेदार नेता से! मैं कुछ ज्यादा ही भावुक होकर सवालनुमा चिल्लाहट से बोला । अफसरों ने कोई बात नहीं की। हम वापस जाने लगे कि अतिथि कक्ष के अंदर बैठे आडवाणी जी के कानों तक हमारी आवाज पहुंची। उन्होने कहा माजरा क्या है ! आईटीपीबी के अफसरानों ने बताया कि आपकी इस बिजिट पर पत्रकार सवाल और मुलाकात करना चाहते हैं लेकिन प्रोटोकाल में समय नहीं है । आडवाणी जी ने कहा मेरे देश के पत्रकार और वह भी इस सीमान्त क्षेत्र के पत्रकार मुझसे मुलाकात और सवाल करना चाहते हैं तो उन्हे रोका नहीं जाना चाहिये । बुलाइये उन्हें।
मुलाकात से रोकने पर हम खीज कर मंदिर के सिंहद्वार से बाहर ही आगे बढ़े कि आईटीबीपी के अफसर और आडवाणी जी के कुछ निजी स्टाफ दौड़े-दौड़े आये। बड़ी शालीनता से कहा माननीय गृह मंत्री जी आप लोगों से बात , मुलाकात करना चाहते हैं । हम सभी पत्रकार वापस लौटे । बतौर गृह मंत्री आडवाणी जी से हमने अचानक सीमा विजिट . भारत चीन सम्बंध और आईटीबीपी के बारे में सवाल किये । सीमा चौकियों पर सुविधा सड़क की बात की । आईटीबीपी गृह मंत्रालय के अंतर्गत आता है । इस पर भी बात हुयी । साथ ही राजनीति तल्ख सवाल भी किये। बदरीनाथ की तुलसी की चाय के बीच आडवाणी जी ने हर सवाल के जबाब दिये। अपनी बात कही । अपनी ही शैली में दोनों हाथों की हथेलियों को मिलाते हुये मुस्काराते हुये और कहा आप लोग तो सेकेंड डिफेंस लाइन भी हो। जो यहां के निवासी हैं । बहुत अच्छा लगा आपसे मुलाकात करके। आपके सवालों से इतनी गम्भीरता दिखी कि मुझे मालूम है किस विकट स्थिति में आप रिपोर्टिंग करते हैं और अभी हुयी मुलाकात की खबरों को भेजने के लिये आपको कितना सफर तय करना होगा !
**आज जब जिम्मेदार पदों पर बैठे लोगों से सवाल करना जुल्म करना सा बना दिया है । ऐसे वक्त में याद आता है वह वाकया कि हमारे देश में इतने हिम्मत वाले नेता और जिम्मेदार और संजीदगी भरे नेता भी हैं जो सवालों से भागते नहीं । लोकतंत्र में हर किसी के सम्मान के पक्षधर हैं। आडवाणी जी तक अगर कोई इस वाकये को पहुंचा दे तो वो भी कभी इंकार नहीं करेंगे। वैसे भगवान बदरी विशाल साक्षी हैं । उन्ही के मंदिर के सामने के कक्ष में ये मुलाकात बातें सवालात हुये। समय पर मैं इस साक्षात्कार की खबर को भी सामने रखूंगा ।