(मनोज इष्टवाल)
नहीं…नहीं! आप भी गलत सोच रहे हैं क्योंकि यह मणिपुर के मुख्यमंत्री एन वीरेन सिंह के प्रयासों से ग्राम प्राधिकरण राजधानी इम्फाल से 112 किमी दूर स्थित तुंगजॉय गांव नहीं और ना ही कोई टूरिस्ट कैम्प साइट है, बल्कि उत्तराखंड की राजधानी देहरादून से उत्तरकाशी जिले की असीगंगा क्षेत्र का अगोडा गांव है जो कि देहरादून से लगभग 175 किमी. की दूरी पर अवस्थित है।
#क्वारनटाइनसेंटरअगोडा।
विकास खण्ड भटवाड़ी जिला उत्तरकाशी का 135 परिवारों का यह गांव सोशल साइट पर आजकल चर्चाओं में है क्योंकि यहां के ग्राम प्रधान मुकेश पंवार ने कोरोना संक्रमण से निबटने के लिए अपने गांव से कुछ ही दूरी में बिल्कुल मणिपुर के तुंगजॉय गांव जिसमें वहां के ग्राम प्राधिकरण द्वारा मुख्यमंत्री एन वीरेन सिंह द्वारा उपलब्ध करवाई गई राहत राशि से गांव लौट रहे ग्रामीणों के लिए 80 बम्बो हट क्वारनटाइन सेंटर बनाये हैं, वैसे ही उत्तरकाशी जिले के ग्राम प्रधान मुकेश पंवार ने भी बिना आर्थिक सहयोग के अपने गांव लौट रहे 28 ग्रामीणों के लिए शानदार कैम्प क्वारनटाइन बनाये हुए हैं।
ये कैम्प इतने खूबसूरत हैं कि आज पूरे देश भर में ग्राम सभा अगोडा चर्चाओं में है। ग्राम प्रधान मुकेश पंवार से हुई बातचीत में उन्होंने कहा कि हमारे लिए हर गांववासी की जान कीमती है क्योंकि जो गांव में रह रहा है वह भी और जो नौकरी से गांव लौट रहे हैं वह भी। उन्होंने बताया कि जब हमारे जिलाधिकारी आशीष चौहान जोकि राजस्थान मूल के हैं हमें हमारी गढ़वाली स्थानीय बोली में पत्र लिखकर लोगों तक यह सन्देश पहुंचाने का प्रयास कर रहे हैं कि इस काल में कैसे रहना है तो हम जिन्हें जनता चुनकर जनप्रतिनिधि बताती है, का भी यह दायित्व बनता है कि हम ग्रामीणों के बीच सकारात्मक संदेश पहुंचा सकें। यह पूछने पर कि क्या आपको प्रशासन की ओर से कोई राहत राशि मिली है? ग्राम प्रधान मुकेश पंवार का सीधा सा जबाब है नहीं! अगर हम प्रशासन का मुंह ही ताकते रहेंगे तो क्या हम सचमुच ग्रामीणों के मध्य कुछ कर पाएंगे। हमने अभी निजी प्रयास किये हैं, शासन प्रशासन कब क्या राहत मुहैय्या करवाये न करवाये यह उनके विवेक पर है। ग्रामीणों में ऐसे आपदा काल में जनचेतना का संचार करना ग्राम प्रधान का दायित्व बनता है।
ग्राम प्रधान अगोडा मुकेश बताते हैं कि लगभग 6 दिन पहले चार ग्रामीण लौटे हैं जिन्हें स्कूल में ही क्वारनटाइन किया गया है। अब 28 और लोगों के लौटने की उम्मीद है तो उनके लिए समुचित व्यवस्था करनी जरूरी थी। वे नहीं चाहते कि सभी ग्रामीण एक ही कमरे में क्वारनटाइन किये जायें क्योंकि अगर गलती से किसी एक व्यक्ति में संक्रमण के लक्षण पाये जाएंगे तो यह सबके लिए मुसीबत बन जाएगी। इसलिए उन्होंने सबके लिए अलग अलग व्यवस्था करने का मन बनाया है।
उन्होंने ग्रामीण फौजी भाई महावीर पंवार की उत्कंठ मन से प्रशंसा करते हुए कहा कि वे नित सुबह शाम तीन तीन घण्टे क्वारनटाइन कैम्प में ड्यूटी दे रहे हैं ताकि कोई भी बाहर से गांव में लौटा नौकरीपेशा ग्रामीण इस दौरान अपने बीबी बच्चों, घरवालों या ग्रामीणों से न मिल सके, क्योंकि ऐसा करने से एक हल्की भूल सबके लिए जान लेवा साबित हो सकती है।
उन्होंने आशा कार्यकर्ती, आंगनबाड़ी कार्यकर्ती व युवा मंगल दल के कार्यों की तारीफ की व बताया कि वे जिस तरह इस दौर में उन्हें सहयोग कर रहे हैं वह किसी मिशाल से कम नहीं।
बहरहाल अगोडा गांव का यह क्वारनटाइन सेंटर चर्चाओं में है लेकिन यह सबसे ज्यादा प्रशंसनीय है कि असीगंगा डोडीताल ट्रैक के नजदीक बसा उत्तरकाशी क्षेत्र के ग्राम प्रधान द्वारा बिना सरकारी सहायता लिए एक अनूठा पर्यावरणीय सोच भरा क्वारनटाइन सेंटर बनाया है।
आप भी देखिए क्वारनटाइन सेंटर का ये खूबसूरत सा वीडियो:-