Thursday, August 21, 2025
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आवारा भूखे जानवरों के लिए तपती धूप में चारापत्ती बरसीम काट रही हैं ये दो बहनें।

ऋषिकेश 8 मई 2020 (हि. डिस्कवर)

इन बेटियों के देखकर सुप्रसिद्ध साहित्यकार व कवि नन्द किशोर हटवाल की एक कविता याद आती है: “बोये जाते हैं बेटे और उग आती हैं बेटियां, खाद-पानी बेटों मेंऔर लहलहाती हैं बेटियां।। एवरेस्ट की ऊंचाइयों तक ठेले जाते हैं बेटे,और चढ़ आती हैं बेटियां।। कई बार गिरते हैं बेटे, और संभल जाती हैं बेटियां।। भविष्य का स्वप्न दिखाते बेटे, यथार्थ दिखाती बेटियां।।रुलाते हैं बेटे, और रोती हैं बेटियां।। जीवन तो बेटों का है और मारी जाती हैं बेटियां।”

कोरोना के कारण हुए लॉक डाउन को लगभग डेढ़ माह से अधिक समय व्यतीत हो चुका है।सरकार और प्रसाशन के साथ-साथ जनप्रतिनिधियों सहित सामाजिक संगठन और सामाजिक कार्यकर्ता भी जरूरत मन्दों की मदद को लगातार लगे हुए हैं। ऐसे में सड़कों पर घूम रही निराश्रित गायों और गौवंश को चारा खिलाने के लिए राजकीय पशु चिकित्सालय के पशु चिकित्साकर्मियों के साथ मिलकर स्थानीय समाज सेवी भी लगे हुए हैं। इसके लिए पशुपालन विभाग की ओर से सूखा चारा सीरा युक्त भूसे के फ़ूडर ब्लॉक उपलब्ध कराए जा रहे हैं।

राजकीय पशु चिकित्सालय श्यामपुर की पशु चिकित्सा अधिकारी डॉ सपना बिष्ट के आग्रह पर पर्यावरणविद विनोद जुगलान विप्र द्वारा हरा चारा (बरसीम) की व्यवस्था की गई है। सोशिएल डिस्टेंसिंग को ध्यान में रखते हुए खेत से चारा काटने का कार्य मजदूरों से न कटवा कर उनकी उच्च शिक्षा ग्रहण कर रही बेटियाँ क्रमशःविनिशा जुगलान एवं अनिशा जुगलान स्वयं चारा काट रही हैं।

गौरतलब है कि विनिशा जुगलान स्वामी राम हिमालयन विश्वविद्यालय से बी कॉम ऑनर्स में गोल्ड मेडलिस्ट रही है और वर्तमान में चार्टेड अकाउंटेंट की तैयारी कर रही हैं जबकि उनकी छोटी बहिन अनिशा जुगलान पंडित ललित मोहन शर्मा राजकीय महाविद्यालय ऋषिकेश में बी कॉम की छात्रा है। ये दोनों होनहार बेटियाँ अपनी पढ़ाई के साथ-साथ घर पर स्वयं की गौशाला में भी गौपालन के लिए समय प्रबंधन में निपुर्ण हो चुकी हैं।

इन कार्यों में उन्हें उनके छोटे भाई अमृतम जुगलान का भरपूर सहयोग मिलता है। उनका कहना है कि पढ़ाई के साथ-साथ गौ सेवा का कार्य उन्हें अच्छा लगता है लेकिन समयाभाव और लॉक डाउन के कारण घर से निकलना सम्भव नहीं है। ऐसे में देश में आई विपत्ति की इस घड़ी में घर पर रह कर ही जितनी भी होसके गौसेवा करने का प्रयास करने सुखद अनुभूति होती है।

समाज और गौ सेवा की प्रेरणा उन्हें अपने पिता पर्यावरणविद विनोद जुगलान से प्राप्त हुई है। युवाओं के नाम संदेश में दोनों बहिनों ने कहा कि अध्ययन करते हुए घर पर माता-पिता के कार्यों में सहयोग करें। साथ ही कुछ समय सामाजिक कार्यों के लिए अवश्य निकालें अगर आसपास कोई निर्धन बच्चे हों तो खाली समय मे उन्हें पढ़ाने का प्रयास करें।

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35 बर्षों से पत्रकारिता के प्रिंट, इलेक्ट्रॉनिक व सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर सामाजिक, आर्थिक, राजनैतिक, धार्मिक, पर्यटन, धर्म-संस्कृति सहित तमाम उन मुद्दों को बेबाकी से उठाना जो विश्व भर में लोक समाज, लोक संस्कृति व आम जनमानस के लिए लाभप्रद हो व हर उस सकारात्मक पहलु की बात करना जो सर्व जन सुखाय: सर्व जन हिताय हो.
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