Thursday, August 21, 2025
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रिवर्स माइग्रेशन…..आखिर पौड़ी जिले से ही क्यों!

(मनोज इष्टवाल)

क्या ये इसलिए हो रहा है कि यह मुख्यमंत्री का गृह जनपद है? जी नहीं! क्या इसलिए कि यह प्रशासनिक आधार पर बड़ा जनपद है? जी नहीं..! बल्कि इसलिए कि यहाँ का जिलाधिकारी पर्वतीय समाज के मूल्यों की पैरवी के प्रति ज्यादा ईमानदार व ज्यादा सेंसटिव है!
यह प्रश्न तब उठा जब प्रशासनिक आधार पर एक डाटा सामने आया! जिलाधिकारी धिराज गर्ब्याल के निर्देशन में पौड़ी जनपद के 1174 ग्रामों में से 1049 ग्रामों से जुटाए गए डाटानुसार पूरे जनपद में कोरोना महामारी के दौरान घर लौटे प्राइवेट नौकरीपेशा लगभग 12665 लोगों के लिए जिला प्रशासन जो कार्ययोजना बना रही है वह हतप्रभ कर देने वाली है!

हाल ही में सोशल साईट पर मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत द्वारा गढ़वाली में लिखा एक पत्र प्रकाश में आया तो ज्ञात हुआ कि इसके लिए जिला प्रशासन ने एक ऐसी कार्ययोजना तैयार की है ताकि जो लोग इस महामारी में अपनी थाती-माटी में लौटे हैं उन्हें उनकी रूचि के आधार पर यहीं नौकरी या स्वरोजगार की व्यवस्था करवाई जाय ताकि गाँव फिर से सरसब्ज होने शुरू हो जाएँ!

जिलाधिकारी धिराज गर्ब्याल से इस सन्दर्भ में जब दूरभाष पर बात हुई तो उन्होंने बताया कि हाँ…इन सभी नौकरीपेशा ग्रामीणों के लिए मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत के निर्देशानुसार पूरी ईमानदारी के साथ ऐसी योजना तैयार की जा रही है! उनका लक्ष्य अपने जनपद के उन तमाम प्राइवेट क्षेत्र में प्रदेश से बाहर नौकरी कर रहे ग्रामीणों को उनकी रूचि अनुसार जनपद व ग्रामीण स्तर पर नौकरी व स्वरोजगार दिलाना है ताकि ग्रामीण जनमानस जितना प्रदेश में कमाता है उससे अधिक वह अपनी थाती-माटी में उतने परिश्रम के साथ ही कमा सके जितना वह कहीं होटल, फैक्ट्री इत्यादि में लगाता है!

जिलाधिकारी ने कहा कि कार्ययोजना चाहे जनपद का प्रशासनिक जामा बनाए या फिर राज्य का टॉप मोस्ट ब्यूरोक्रेट! उसे अमलीजामा मुखिया ही पहनाते हैं और इस कार्ययोजना को भी पंख लगाने का बीड़ा मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने ही उठाया है! उन्होने उपरोक्त योजना पर न सिर्फ हामी भरी बल्कि जितने भी ग्रामीण इस दौरान वापस अपने घरों में लौटे हैं उन्हें बतौर गढ़वाली भाषा में कलम से पत्र लिखकर अपनी इच्छा जताई है ताकि यहाँ का वाशिंदा यहीं रुके व हमारे खेत खलिहान भी आबाद हों व गाँव भी बंजर न हों! हम सबका यही लक्ष्य है कि हम हर ग्रामीण तक बेहद ईमानदारी के साथ पहुंचे व इसे क्रियान्वयन करवाएं!

(मुख्यमंत्री ने ग्रामीणों को लिखे गढ़वाली में पत्र)

ज्ञात हो कि मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत द्वारा अपने गृह जनपद पौड़ी गढ़वाल के हर उस वाशिंदे को पत्र लिखा गया है जो कोरोना महामारी के दौरान वापस अपने गाँव लौटे हैं! उनकी लिखी पाती दिल छूने वाली है क्योंकि उसमें एक तो माटी की खुशबु व ऊपर से पुरखों की खुद को बड़ी खूबसूरती से गढ़वाली भाषा शैली में उकेरा गया है! जिसके रग-रग में गढ़वाली माटी-पाणी रचा-बसा हो, उस जनमानस को मुख्यमंत्री का ठेठ गढ़वाली भाषा में लिखा यह पत्र कितना प्रसन्नचित्त करता होगा!

मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने पत्र में अपील की है कि हमारे पुरखों ने जाने कितनी मेहनत करके पहाड़ों को खोद-खोद कर यहां खेत खलिहान बनाए होंगे! आज वही खेती हमारी भागम-भाग की वजह से बंजर पड रही है, जबकि आज हमारे खेतों में उगने वाले अन्न की मांग पूरे विश्व में हो रही है जैसे मंडुवा, झंगोरा, दाल, गहथ, जख्या, जौ-तिल, भांग, भंगजीरा, शहद, गाय घी, बुरांश का जूस इत्यादि! दुनिया भर के उद्योगपतियों का रुझान आज खेती के प्रति बढ़ा है!

मुख्यमंत्री ने ग्रामीण समाज को लिखे अपने पत्र में कहा है कि सरकार रोजगार हेतु बिशेष छूट दे रही है, साथ ही होम स्टे, वीर चन्द्र सिंह गढवाली पर्यटन योजना, दुग्ध उत्पादन, मत्स्य पालन, मधुमक्खी पालन,बागवानी में संरक्षित खेती, उद्यानीकरण, सब्जी उत्पादन, मसाला फसलों का उत्पादन, पुष्प उत्पादन, दलहन की फसलों का उत्पादन इत्यादि के साथ उसकी खरीद व विपणन की व्यवस्था भी कर रही है ताकि उत्पादकों को घर बैठे अच्छे मूल्य पर लाभ मिल सके! इसके लिए सरकार द्वारा जनपद पौड़ी के हर विकास खंड स्तर पर आजीविका सेल का गठन किया गया है ताकि आप अपनी इच्छानुसार जो भी रोजगार करना चाहें उसकी जानकारी जुटा सकें!

(कंडोलिया का निर्माधीन ड्रीम पार्क)

जिलाधिकारी धिराज गर्ब्याल ने बताया कि इसके लिए विकास खंड स्तर के अलावा हम हर ग्राम सभा प्रधान तक रोजगार सम्बन्धी जानकारियाँ उपलब्ध करवाएंगे ताकि ग्रामीण को घर बैठे राज्य सरकार की सभी स्वरोजगार योजनाओं की जानकारी मिल सके व उससे सम्बन्धित लाभ अर्जित करने का सरल व सस्ता माध्यम! उन्होंने कहा कि जिला प्रशासन हर सम्भव कोशिश पर है कि जो भी ग्रामीण कोरोना महामारी के दौरान या लॉकडाउन खुलने के बाद अपने गाँव के लिए लौटता है तब उनके पास स्वरोजगार के ढेरों विकल्प खुले हैं व उन्हें सम्बन्धित व्यवसाय के प्रशिक्षण की भी जरुरत महसूस होगी तो जिला प्रशासन द्वारा निशुल्क वह प्रशिक्षण मुहैय्या करवाया जाएगा! उन्होंने कहा कि उन्होंने अपने स्तर पर हर उस विभाग को निर्देश जारी कर दिए हैं, जिनके पास भी स्वरोजगार या प्रशिक्षण सम्बन्धी विभाग है कि वे पूरी ईमानदारी व कर्तब्यनिष्ठता के साथ हर उस ग्रामीण तक जुड़ने का प्रयास करें जिसे रोजगार स्वरोजगार की आवश्यकता है क्योंकि हमारा लक्ष्य पहले गाँव आबाद करना है! रिवर्स माइग्रेशन होगा तो स्वाभाविक है कि योजनायें धरातल पर उतरेंगी!

उन्होंने कहा है कि हमें इस बात की चिंता नहीं होनी चाहिए कि हम स्वरोजगार, रोजगार इत्यादि पर लागत खर्च कहाँ से आएगा! उन्होंने विश्वास दिलाया कि कोई भी व्यक्ति यदि ईमानदारी व निष्ठा के साथ गाँव रहकर कारोबार शुरू करना चाहता है तो राज्य सरकार व जिला प्रशासन वह हर सम्भव मदद देगी जिससे कोई भी व्यक्ति अपनी रूचि अनुसार अपने घर गाँव में रहकर रोजगार करना चाहेगा! दर्जनों विकल्प हैं और योजनाओं को ग्राम्य स्तर पर पहुंचाने का काम भी!

जिलाधिराज धिराज गर्ब्याल कि उन्होंने जिले के ग्रामीणों पर छोड़ दिया है कि वह अपनी मिटटी, अपने गाँव, अपने शहर व अपनी सामाजिक आवोहवा में कौन सा विकल्प चुनते हैं! वैसे बागवानी-कृषि वर्तमान अर्थव्यवस्था व इंटरनेशनल मार्केट में पहाड़ी उत्पादों की मांग को देखकर सबसे अच्छा विकल्प कहा जा सकता है! इसके लिए जिले के पौड़ी, खिर्सू नैनीडांडा, थैलीसैण, पाबौं, धुमाकोट सहित दर्जनों ऐसे स्थान चिहिन्त भी हैं जो मौसमी तापमान के हिसाब से हिमाचल से भी अधिक मुफीद हैं व यहाँ सेब बागवानी का काम किया जा सकता है! उन्होंने कहा कि बागवानी वैज्ञानिक बिशेषज्ञों द्वारा मिटटी उर्बरा जांच के बाद पौड़ी जिले के विभिन्न क्षेत्रों के जलवायु को सेब की फसल के लिए बेहतरीन माना है!

(जिलाधिकारी धिराज गर्ब्याल की पुस्तक का लोकार्पण करते प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी व मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत)

आपको जानकारी दे दें कि जिलाधिकारी धिराज गर्ब्याल की लिखी पुस्तक “थ्रोन ऑफ़ द गॉडस” का विमोचन देश के प्रधानमंत्री कर चुके हैं जिसमें उन्होंने पर्यटन की विभिन्न सम्भावनाओं को लेकर बहुत से महत्वपूर्ण तथ्यों पर प्रकाश डाला है!

(खिर्सू स्थित होम स्टे बासा)

धिराज गर्ब्याल ने पौड़ी में कुमाऊं मंडल की तर्ज पर होम स्टे योजना को धरातल पर लाने के लिए स्वयं खिर्सू में उत्तराखंड के काष्ठ व वास्तु के आधार पर बासा का निर्माण करवाया है जो बहुत सुंदर प्रमाण दे रहा है और उसकी देखा देखी में लोग अपने घरों को होम स्टे के रूप में तब्दील कर रहे हैं! अपनी शक्तियों का इस्तेमाल करते हुए उन्होंने जनपद पौड़ी में गढवाली भाषा को स्कूली सेलेबस में शामिल करवाकर अपने इरादे जाहिर कर दिए कि बिना मातृभाषा से जुड़े काम नहीं चलेगा! आज सम्पूर्ण पौड़ी जनपद में कक्षा पांच तक गढवाली भाषा में पढ़ाई का एक प्रारूप शुरू हो गया है जिसकी शुरुआत हंसुली, धगुली, छुबकि, पैजबि तरह की पुस्तक प्राइमरी स्टेंडर्ड में रुझान पैदा कर रहे हैं!

(फाइल फोटोज – साहसिक पर्यटन)

उन्होंने अपने कार्यकाल में जितने भी कामों का बीड़ा उठाया है वह धरातल पर दिखाई देते हैं जैसे सेब बागवानी, मानसून मैराथन, होमस्टे, शिक्षा, पर्यटन, ग्रामीण स्तर पर पशुपालन को बढ़ावा, कंडोलिया में ड्रीम पार्क, पौड़ी में ठंडी सड़क के अलावा पौड़ी-सतपुली में कैम्पिंग, फिश एंगलिंग, स्वीमिंग, एरोस्पोर्ट्स इत्यादि को मूर्त रूप देना इत्यादि! उनका कहना है कि विगत डेढ़ साल तो लोकसभा सभा व त्रिस्तरीय चुनाव खा गए, अब कोरोना महामारी ने घेर लिया! पाइपलाइन में दर्जनों योजनायें हैं जिन्हें धरातल पर उतरना है, उन्हें क्रियान्वयन करवाने की उन्हें भी बेताबी है इसलिए निश्चिन्त रहिये! वे कहते हैं उन्हें इसका भी अनुमान है कि जैसे ही लॉकडाउन समाप्त होगा अभी और प्रवासी वापस लौटेगे और अब वे लौटेंगे जिन्होंने इस महामारी में महानगरों की परेशानियां झेली हैं इसलिए उनके लिए हम पूरी योजनाओं के साथ कार्य करने के लिए तैयार हैं क्योंकि मुख्यमंत्री जी की दृढ इच्छा शक्ति है कि उत्तराखंड के 10 पर्वतीय जनपदों के गाँव सरसब्ज हों व दुबारा गाँवों में रौनक लौटे, खेतों में फसल लहलहाए!

मैंने प्रशन किया- फिर अकेला पौड़ी जिला व उसके 1174 गाँव ही क्यों? क्या ये इसलिए हो रहा है कि यह मुख्यमंत्री का गृह जनपद है? या फिर इसलिए कि यह प्रशासनिक आधार पर बड़ा जनपद है? वे हंसे और बोले- नहीं, ऐसी बात नहीं है! मैंने मुख्यमंत्री जी से बिशेष अनुरोध किया था कि मैंने लॉकडाउन शुरू होते ही इस प्रारूप पर काम करना शुरू कर दिया था! हम इस पर कितना सफल होते हैं यह आने वाला वक्त बताएगा लेकिन इतना जरुर है कि इसकी हमें किसी न किसी जनपद से शुरुआत करनी ही थी! यह मौक़ा भी है और दस्तूर भी..! मैं शुरू करूँ या फिर किसी अन्य जिले के जिलाधिकारी इसकी शुरुआत करते बात एक ही है! मैं बोला- इसका मतलब पौड़ी जनपद के जिलाधिकारी बाजी मार ले गये! वे हंसे व उन्होंने फोन बिच्छेद कर दिया!

Himalayan Discover
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35 बर्षों से पत्रकारिता के प्रिंट, इलेक्ट्रॉनिक व सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर सामाजिक, आर्थिक, राजनैतिक, धार्मिक, पर्यटन, धर्म-संस्कृति सहित तमाम उन मुद्दों को बेबाकी से उठाना जो विश्व भर में लोक समाज, लोक संस्कृति व आम जनमानस के लिए लाभप्रद हो व हर उस सकारात्मक पहलु की बात करना जो सर्व जन सुखाय: सर्व जन हिताय हो.
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