(मनोज इष्टवाल)
कभी-कभी देश काल परिस्थिति अनुसार स्थिति ऐसी भी आ जाती है कि एकाएक सब दिशा और दशा पलट जाती है। ऐसा ही कुछ आज तब हुआ जब केदारनाथ के रावल श्री श्री श्री 1008 भीमशंकरलिंग जी उखीमठ पहुंच अपने आसन पर विराजमान हो गए। ऐसे में श्रीमद्भागवत गीता के प्रथम अध्याय का प्रथम श्लोक जिसमें धृष्टराष्ट्र संजय से पूछते हैं:-
धर्मक्षेत्रे कुरुक्षेत्रे समवेता युयुत्सवः।मामकाः पाण्डवाश्चैव किमकुर्वत सञ्जय।।1.1।।
धृतराष्ट्र ने कहा — हे संजय ! धर्मभूमि कुरुक्षेत्र में एकत्र हुए युद्ध के इच्छुक (युयुत्सव:) मेरे और पाण्डु के पुत्रों ने क्या किया?
ठीक वैसा ही मुझे भी प्रतीत हुआ क्योंकि विगत दिनों अखबारों में खबर थी कि अगर रावल न भी पहुंचे तो उनके अलावा विधिसंगत पूजा कराई जा सकती है। शायद जब यह भान कुछ इसी श्लोक की तरह बोलांदा केदार भीमशंकर लिंग को हुआ तो वे सड़क मार्ग से लगातार गाड़ी से 2000 किमी की यात्रा दो दिन में पूरी कर उखीमठ पहुंचे व अपने आसन पर विराजमान हो गए ताकि केदारनाथ यात्रा में कोई विघ्न न पड़ सके।
ज्ञात होकि उन्होंने कुछ दिन पूर्व देश के प्रधानमंत्री को अपने नांदेड़ आश्रम में होने की बात कही थी व साथ ही स्पष्ट किया था कि केदार बाबा का मुकुट अभी उनके सिर विराजमान है जो केदार नाथ के कपाट खुलते ही उनके सिर से बाबा केदार के सिर विराजमान हो जाता है। ऐसे में उनका केदारनाथ धाम पहुंचना बहुत जरूरी है जिसके लिए उन्होंने सड़क या हवाई मार्ग से उखीमठ पहुंचने की परमिशन मांगी थी।
बहरहाल अब रावल भीमाशंकरलिंग ऊखीमठ पहुंच गए हैं जबकि बीच में कय्यास लगाए जा रहे थे कि सरकार या बीकेटीसी उनकी उपलब्धता के बिना भी स्थानीय पुजारियों से कपाट खोलने की परंपरा का विधि पूर्वक पालन करवा सकती है।
रावल भीमशंकरलिंग के ऊखीमठ धाम पहुंचने के पश्चात क्षेत्रीय विधायक मनोज रावत ने फेसबुक पर पोस्ट लिखते हुए कहा कि केदारनाथ के रावल 1008 जगतगुरु भीमशंकर लिंग जी महास्वामी , भगवान केदारनाथ के गद्दीस्थल , ऊषामठ (ऊखीमठ) पधार गए हैं। आज रावल जी के दर्शन उनके कक्ष के बाहर से ही किये।
अपने आश्रम महाराष्ट्र के नांदेड़ में भी रावल जी कही दिनों से अपने सेवकों के साथ एकान्तवास ही कर रहे थे। वंहा से चलने से पहले उनका स्वस्थ परीक्षण हुआ ।और मठ पंहुचने के बाद भी रावल जी का स्वास्थ्य परीक्षण हुआ है ।
रावल जी और उनके सेवकों के स्वास्थ्य बिल्कुल ठीक है । वे ऊखीमठ में भी फिलहाल एकान्तवास में ही रहेंगे।
रावल जी ने कहा कि ,” वे 2 दिन में 2000 किलोमीटर गाड़ी से चलकर ऊखीमठ पंहुचे है ।” वे केदारनाथ के 324 वें रावल हैं । उनका कहना है कि “धर्म और मठ की परंपरा की रक्षा के लिए वे अपने पूर्व रावलों / गुरुओं की भांति कभी भी जान की भी परवाह भी नही करेंगे।”
रावल भीमाशंकरलिंग जिन्हें साक्षात बोलांदा केदार माना जाता है के कहे शब्दों से साफ जाहिर होता है कि उनमें कहीं कोई नाराजगी जरूर है। वह नाराजगी वर्तमान सिस्टम से है या फिर पूर्व में हुए सरकारी हस्तक्षेप से। इस बारे में स्पष्ट तो नहीं कहा जा सकता लेकिन जैसा कि केदारनाथ विधायक ने अपने फेसबुक पर लिखा है उससे साफ जाहिर होता है कि रावल भीमाशंकरलिंग कहीं न कहीं किसी बात से नाराज प्रतीत होते हैं।
कहीं यह सब इसलिए तो नहीं कि पर्यटन व धर्मस्व मंत्री सतपाल महाराज ने जहां एक ओर बद्री केदार धाम के सड़क मार्ग से आने की पुष्टि के बाद पत्रकारों द्वारा पूछे गए 14 दिन के कोरोनटाइन पर दिए गए जबाब में यह कह दिया था कि रावलों के पहुंचने के बाद उनके कोरोना टेस्ट लिए जाएंगे व रिपोर्ट नेगेटिव आने के बाद रावल पूजा में भाग ले सकेंगे।