नैनीताल 25 फरवरी 2020 (हि. डिस्कवर)
बीजेपी नेता और राज्यसभा सांसद सुब्रमण्यम स्वामी की तरफ से देवस्थानम एक्ट को हाई कोर्ट में चुनौती दी है। आज इस एक्ट पर हाई कोर्ट में चीफ जस्टिस बेंच में सुनवाई शुरू हो गई है। सुप्रसिद्ध अधिवक्ता व सांसद याचिकाकर्ता डॉ स्वामी की तरफ से देवस्थानम एक्ट पर उठाई गई आपत्तियों पर कोर्ट ने राज्य सरकार को 3 हफ्ते के भीतर सरकार को जवाब दाखिल करने का निर्देश दिया है।
सुब्रह्मण्यम स्वामी ने देवस्थानम एक्ट को चुनौती देते हुए मांग की है कि सरकार किसी भी मंदिर का अधिग्रहण नहीं कर सकती यह असंवैधानिक है और कोर्ट इस एक्ट पर तत्काल रोक लगा लगाए । इस पर जहां एक ओर स्वामी द्वारा कोर्ट में कई दलीलें भी पेश की है लेकिन कोर्ट द्वारा फिलहाल एक्ट पर रोक लगाने से इनकार कर दिया लेकिन कोर्ट ने राज्य सरकार से याचिकाकर्ता के तमाम सवालों का विस्तृत जवाब 3 हफ्ते में कोर्ट में दाखिल करने के निर्देश दिए।
मामले की सुनवाई मुख्य न्यायाधीश रमेश रंगनाथन और रमेश चंद्र खुल्बे की कोर्ट में हुई। याचिकाकर्ता सुब्रह्मण्यम स्वामी ने कहा कि बीजेपी किसी भी मंदिर को सरकारी नियंत्रण के खिलाफ है लेकिन उत्तराखंड में ठीक इसके उल्टा किया जा रहा है। तीर्थ पुरोहितों ने उनसे मांग की थी कि वह इस एक्ट को हाईकोर्ट में चुनौती दें।
बताया जा रहा है कि कोर्ट में स्वामी की इस दलील को पब्लिसिटी स्टंट कहा गया जिस पर सुब्रमण्यम स्वामी ने इसे को राजनीतिक और पब्लिसिटी पीआईएल इनकार करते हुए कहा कि उन्होंने जनहित में यह याचिका हाईकोर्ट में दाखिल की है और कोर्ट में इसका पुरजोर विरोध किया जाएगा। उन्होंने कहा कि सुप्रीम कोर्ट ने भी मंदिरों को सरकारी नियंत्रण से मुक्त करने के आदेश दिए हैं। सुब्रमण्यम स्वामी ने कांग्रेस पर भी आरोप लगाया कि कांग्रेस भले ही कांग्रेस अभी इस एक्ट का विरोध कर रही हो लेकिन जैसे ही सत्ता में आएगी वह इस एक्ट को रद्द नहीं करेगी और उनका कॉन्ग्रेस पर कोई भरोसा नहीं है।
उन्होंने कहा कि पूरे प्रदेश में तीर्थ पुरोहित चार धाम देवस्थान एक्ट का विरोध कर रहे हैं इससे पहले अंग्रेजों के जमाने के समय से बद्री केदार एक्ट से बद्रीनाथ और केदारनाथ मंदिर समिति का प्रबंधन संचालित किया जाता था। अब इस एक्ट के बाद बीकेटीसी एक्ट स्वत ही खत्म हो गया है।
ज्ञात हो कि पहले बद्री केदार मन्दिर समिति में 47 मंदिर थे और अब देवस्थानम एक्ट में चार धाम को मिलाकर 51 मंदिर शामिल कर दिए गए हैं। इस एक्ट के तहत एक हाई पावर कमेटी का गठन किया जाएगा जिस कमेटी के मुख्यमंत्री अध्यक्ष होंगे इसके अलावा मुख्य सचिव ,सचिव वित्त सचिव पीडब्ल्यूडी सचिव पर्यटन और सचिव लोक निर्माण विभाग सहित कई अफसरों की पूरी फौज शामिल रहेगी। इन सभी मंदिरों की पूरी प्रबंधन और वित्तीय नियंत्रण अपने पास रखेगी।
फिलहाल देवस्थानम एक्ट में भले ही सरकार को फिलहाल तीन हफ्ते में हाई कोर्ट द्वारा जबाब दाखिल करने के आदेश दे दिए गए हैं लेकिन इस से यह क़तई साबित नहीं होता कि सरकार के जबाबों से सुब्रह्मण्यम स्वामी आश्वस्त ही हों। यह तय है कि दक्षिण भारत के मंदिरों की भांति डॉ. सुब्रमण्यम स्वामी ने इन 51 मंदिरों को भी देबस्थानम नामक एक्ट से दूर रखने की कमर कस ली है।