(जगमोहन आजाद)
*दक्षिण भारत में पहली बार आयोजित हुआ उत्तराखंडी मंडाण,शामिल हुई कई प्रमुख हस्तियां!
*बेंगलुरु शहर में आयोजित हुआ उत्तराखंडी मंडाण,देश-विदेश से पहुंचे उत्तराखंड समाज के प्रबुद्ध लोग!
कर्नाटक की राजधानी बेंगलुरू में रविवार का दिन खास रहा,भारत की उद्यान नगरी बेंगलुरु की धरती उत्तराखंड वाद्य यंत्रों,लोक गायकों और लोक धुन की गूंज से गुंजयमान हुई। पहाड़ के युवाओं ने उत्तराखंडी लोक सांस्कृति विरासत को दक्षिण भारत की सांस्कृति पटल में एक नयी पहचान दिलाई और इस लोक सांस्कृति मंच को अपने श्रीचरणों से कृतार्थ किया समाजसेवी एंव हंस फाउंडेशन की प्रेरणास्रोत माताश्री मंगला जी है।
उत्तराखंड महासंघ बेंगलुरू के तत्वावधान में आयोजित इस भव्य लोक सांस्कृति आयोजन का उद्धघाटन में माता मंगला जी एवं सुप्रीम कोर्ट के अधिवक्ता और समाज सेवी संजय दरमोड़ा के करकमलों द्वारा हुआ। इस मंच को अपनी स्वर लहरियों से लोक संगीत के रंग में रंगा गढ़रत्न नरेंद्र सिंह नेगी,हिमा नेगी करासी,पुनम सति,बी.के शांवत और पांडवाज ग्रूप के सदस्यों ने।
उत्तराखंड महासंघ को इस आयोजन के लिए शुभकामनाएं देते हुए माताश्री मंगला जी ने कहां कि यह बहुत ही श्रेयकर हैं कि आज हम दक्षिण भारत की उस जमीन पर अपनी लोक संस्कृति के बारे में बात कर रहे है। जिस राज्य की संस्कृति हमारे सांस्कृति परिवेश से कहीं न कहीं किसी ने किसी रूप में मेल खाती है। माता मंगला जी ने कहा कि मैं उत्तराखंड महासंघ के उन सभी सदस्यों को इस बेहतर आयोजन के लिए बधाई देती हूं कि आपने बेंगलुरू के मंच पर पहाड़ की संस्कृति,रीति-रिवाज और लोक परंपराओं को उकेरा है। यह हम सब के लिए सम्मान की बात हैं कि आज हम सब इस आयोजन के भागीदर है।
माता मंगला जी ने कहा की यह भी एक सांस्कृति सेवा का पथ है। जिसको आप लोगों ने बहुत मेहनत से संजोया है। माताश्री मंगला जी इस मौके पर कहा कि हम द हंस फाउंडेशन के माध्यम से देश के 28 राज्यों में निरंतर अपनी सेवाएं दे रहे है। स्वास्थ के फलक पर हमने पौड़ी गढ़वाल के सतपुली,बाबा केदारनाथ और बद्री विशाल जी प्रांगण में ऐसे मल्टिस्पेशालिटी हॉस्पिटल की स्थापन की है। जिनके माध्यम से उन लोगों को बेहतर स्वास्थ्य की सेवाएं मिल सके,जो ऐन वक्त पर अवस्थ हो जाते हैं,या किसी आपता स्थिति में परेशान हो जाते है।
माताश्री मंगला जी ने कहां की शिक्षा के क्षेत्र में भी द हंस फाउंडेशन देश के उन दूरस्थ क्षेत्रों में शिक्षा की अलख जगा रहा है। जिन क्षेत्रों तक पहुंच पाना भी आज के समय में नामुकिन सा है। लेकिन हमने इस क्षेत्रों में शिक्षा की अलख जगा दी और सेवा की हमारी यह यात्रा जारी है। हम देश के साथ ही उत्तराखण्ड में स्वास्थ्य, शिक्षा, महिला सशक्तिकरण, ग्रामीण विकास, कृषक कल्याण एवं राज्य के पर्वतीय क्षेत्रों की आबादी के जीवन स्तर में सुधार लाने के लिए निरंतर प्रयासरत है।
माताश्री मंगला जी उत्तराखंड महासंघ को इस आयोजन के लिए बधाई देते हुए। कार्यक्रम में उपस्थिति गढ़रत्न नरेंद्र सिंह नेगी,संजय दरमोड़ा,घन्नानंद,अनुज जोशी एवं देश-विदेश से पधारे उत्तराखंडी समाज के प्रबुद्धजनों का अभिवादन भी किया।
इस मौके पर नई पहल नई सोच के संस्थाप एवं सुप्रीम कोर्ट के अधिवक्ता संजय दरमोड़ा ने बेंगलुरू में आयोजित इस सांस्कृति आयोजन के लिए उत्तराखंड महासंघ के पदाधिकारियों को बधाई देते हुए कहा कि हम सब सौभाग्यशाली हैं कि आज हमारे साथ इस मंच पर करूणामयी माताश्री मंगला जी विराज मान है। श्री दरमोड़ा ने कहा कि हम माताश्री मंगला जी का कोटि-कोटि आभार व्यक्त करते हैं कि आज आपका आशीष हमें मिला। श्री दरमोड़ा ने माता मंगला जी संघर्षों की यात्रा के बारे में समारोह में उपस्थित दर्शकों को बताते हुए कहा कि यह हम सब के लिए गर्व की बात हैं कि हमारे साथ माताश्री मंगला जी एवं श्री भोले जी महाराज जैसे व्यक्तित्व के संत लोग मौजूद है। जो अपनी सेवाओं के माध्मय से देश-विदेश में सिर्फ उत्तराखंड का नाम रोशन ही नहीं कर रहे,बल्कि असंख्य जरूरतमंद लोगों के साथ उस हर नीडी व्यक्ति के साथ खड़े है। जिसे आज के समय में सही मायने में मदद की आवश्यकता है। स्वास्थ्य-शिक्षा,संस्कृति,पलायन,जल संरक्षण और रोजगार के क्षेत्र में माता मंगला जी एवं श्री भोले जी महाराज जी जिस तरह से विकास की एक नयी इबारत लिख रहे है। यह यकीनन श्रेयकर है,इस के लिए हम सब माताश्री मंगला जी एवं श्री भोले जी महाराज जी का अभिनंदन करते है। अपनी समृद्ध सांस्कृतिक विरासत व अनमोल परंपराओं के कारण सदियों से उत्तराखंड की देवभूमि देश,दुनिया में एक अलग ही पहचान रखती है। उत्तराखंड की लोक संस्कृति को बचाने-सहेजने के प्रयास आज उत्तराखंड की तमाम संस्थाएं निरंतर कार्यरत है। यही वजह भी हैं की आज के समय में उत्तराखंड की लोक-संस्कृति विश्व सांस्कृति मंच पर अपनी अलग पहचान ही नहीं बना रही है अपितु दुनिया के तममा लोक-सांस्कृतिक परिवेशों में अपना परचम भी लहरा रही है। इस कड़ी में उत्तराखंड की लोक संस्कृति व लोक संगीत को बढ़ावा देने के उद्देश्य से सामाजिक संस्था ‘उत्तराखंड महासंघ’ ने कर्नाटक की राजधानी बेंगलुरु में ‘मण्डाण 2019’ का भव्य आयोजन किया था। जिसमें उत्तराखंड सहित देश-विदेश से कई प्रबुद्धजन पहुंचे।
बाबू राजेंद्र प्रसाद इंटरनेशनल सेंटर बेंगलुरु में आयोजित इस भव्य सांस्कृति कार्यमक्रम उत्तराखंडी मंडाण में लोक गायक नरेंद्र सिंह नेगी,हेमा नेगी करासी,पूनम सति,बी.के शांवत और पांडवाज ग्रूप की रंगरंगा प्रस्तुतियों पर दर्शक खूब झूमें। कार्यक्रम के अंत में उत्तराखंड महासंघ से संस्थापक अनुज जोशी एवं पंडित जोशी और प्रदीप सुंदरियाल,विजय उप्रेती एवं सोहन सिंह रावत ने कार्यक्रम में अपनी भागीदारी देने के लिए सभी का आभार प्रकट किया।
रविवार दिनांक 17 नवंबर 2019 का दिन कई अर्थों में मेरे लिए खास रहा। दिल्ली में अपनी संस्कृति एवं लोक परंपाराओं के संरक्षण के लिए कार्यरत तमाम संस्थाओं के मंच पर मुझे जाने का अवसर प्राप्त हुआ। पूर्वी विनोद नगर में उत्तराखंडी बच्चों और वरिष्ठ नागरिकों का सम्मान में आयोजित सम्मान समारोह में उन बच्चों को सम्मानित किया गया। जिन बच्चों ने ग्रीष्मकालीन गढ़वाली-कुमाऊंनी भाषा-बोली पढ़ना-लिखना सीखा। यह सम्मान राइफल मैन श्री जसवंत सिंह रावत ( महावीर चक्र विजेता) के सम्मान में आयोजित किया गया था। मैं इस कार्यक्रम का हिस्सा बना यह मेरे लिए सम्मान की बात है।
इसी के साथ उत्तराखंड राज्य स्थापना के मौके पर मयूर विहार फेस-1 में उत्तराखंड जन संगठन के तत्ववाधान में सांस्कृतिक कार्यक्रम का आयोजन किया गया। इस कार्यक्रम के मंच पर मुझे भागीदारी करने का अवसर प्राप्त हुआ। इसके लिए इन संस्थाओं के सभी पदाधिकारियों और सदस्यों का आभार प्रकट करता हूं।